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श्री रक्षेन्द्र एक प्रसिद्ध ज्योतिषि एवं वास्तु विशेषज्ञ है। इनके पिता श्रीमान अशोक ओझा ‘‘पुखराज’’ राजस्थान के ख्याति प्राप्त देवज्ञ, वास्तु विशेषज्ञ एवं आध्यात्मिक गुरू है। रक्षेन्द्र ओझा ने औपचारिक शिक्षा राजस्थान युनिवर्सिटी से भूगोल विषय में स्नातकोत्तर (एम.एससी.) तक प्राप्त की है। ज्योतिष का ज्ञान इन्होंने पारम्परिक रूप से अपने पिताजी से प्राप्त किया है। स्वयं ने भी ज्योतिष में गहराई तक अध्ययन मनन कर अनुसंधान किया है। इन्होंने राहु-केतु को ‘‘छाया ग्रह’’ मानने की भ्रांत धारणा का खण्डन करते हुए राहु-केतु के भौतिक पिण्डों को सौर मण्डल की खगोलिय स्थिति में ज्योतिष की गणित व फलित सूत्रों की प्रामाणिकता के साथ उजागर किया है। जो ज्योतिष जगत में एक क्रांति का सूत्रपात साबित होगा। इसी खोज पर आधारित इनकी पुस्तक ‘‘ज्ञान भारती पब्लीकेशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित हो चुकी है। जिसका शीर्षक ‘‘राहू-केतु भौतिक ग्रह - भारतीय ज्योतिष शास्त्र की नवीन अवधारणा’’ है। पुस्तक की पाठ्य सामग्री से ही इनके ज्योतिष पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आध्यात्मिक ज्ञान तथा ज्योतिष विषय पर गहराई तक पकड़ होने की जानकारी मिलती है।ज्योतिष विषय के जिन क्षैत्रों में इनकी विशेषज्ञता है वे है ‘‘व्यवसाय, धन के योग, पति-पत्नी का सुख, आपसी प्रेम, विवाह का समय, विवाह में यदि विलम्ब हो रहा है तो क्यो?, उसका उपाय, शिक्षा में कौन सा विषय जातक के अनुकूल होगा, शिक्षा की बाधा को दूर करना, व्यवसाय का चयन, धनागमन में आ रही बाधा का निवारण, शारीरिक व मानसिक रोग, रोग शांति के उपाय, संतान सुख, राजनैतिक पद प्राप्ति, राज्य से लाभ, सरकारी नौकरी, राजनैतिक सफलता, आदि’’ विषयों पर इनका फलादेश सटीक तथा सही होता है। ग्रहों के बलों के अनुसार उपयुक्त रत्न धारण परामर्शदाता है।श्री रक्षेन्द्र ओझा का ज्ञान पारम्परिक होने से स्वयं के अनुभव के अलावा पारम्परिक अनुभवों का भी सहयोग रहता है। अतः रोग शांति, बाधा निवारण तथा कार्य सिद्धि के लिए किये जाने वाले काम्य कर्म अर्थात अनुष्ठान आदि भी आशा के अनुरूप सफल होते है। इसलिए इनकी ख्याति व यश निरन्तर वृद्धि की ओर अग्रसर है। इसके अलावा वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान, दुकान, फैक्ट्री आदि के नक्शे बनाना, बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष दूर करना तथा मनोवैज्ञानिक परामर्शकर्ता के रूप में भी इनकी अलग पहचान है।
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