भारत मंदिरों का देश है। यहाँ आपको गली-गली और चौराहे पर अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर मिल जायेंगे। भारत का कोई मंदिर अपने नाम के लिए, तो कोई अपनी महिमा के लिए विख्यात होता है। भारत मे कुछ मंदिर तो हज़ारों साल पुराने हैं, इन मंदिरों का इतिहास ही पर्यटक और भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आइये आज जानते हैं भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जहाँ प्रसाद के रूप में नूडल्स और मोमोज जैसे चाइनीज व्यंजन दिए जाते हैं। यहाँ हर साल लगने वाले एक मैले के अन्दर भारत के अलावा चीन से भी भक्त आते हैं। आइए पढ़ते हैं इस मंदिर की पूरी कहानी-
कोलकाता के टंगरा में ‘चाइनीज काली मंदिर’ है। बताया जाता है कि यह मंदिर ब्रिटिश साम्राज्य के समय का है। मंदिर में बेशक जो प्रतिमा रखी गयी है वह काली माता जी की है किन्तु मंदिर को ‘चाइनीज काली मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। इस जगह को चाइनाटाउन नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश काल में व्यापार करने के दौरान कुछ चाइनीज परिवार यहाँ रहते थे इसलिए इस जगह को चाइनाटाउन के नाम से पुकारा जाता था। मंदिर के इस नाम के पीछे एक बड़ी रोचक कथा, यहाँ के स्थानीय लोगों द्वारा बताई जाती है।
कहा जाता है कि अंग्रेजों के समय, इस जगह पर काफी चीन के लोग रहते थे(आज भी काफी संख्या में चीनी लोग यहाँ रहते हैं), उस समय में एक पेड़ के नीचे रखे, काले पत्थर को लोग(काली माता)के रूप में पूजते थे। एक बार किसी एक चीनी परिवार का बच्चा काफ़ी बीमार हुआ। डॉक्टर भी इस बच्चे का ईलाज नहीं कर पा रहे थे, तब इस बच्चे के माता-पिता को इस जगह का पता चला और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यहाँ इन लोगों ने मन्नत मांगी। मन्नत के कुछ दिनों बाद बच्चा पूरी तरह से सही हो गया और तब इसी चीनी परिवार ने यहाँ मंदिर का निर्माण कराया। तभी से मंदिर ‘चाइनीज काली मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।
मंदिर में आज हिन्दू लोगों के अलावा, यहाँ रह रहे चीन के लोग तो पूजा करते ही हैं साथ ही साथ चीन से भी लोग माता के दर्शन करने आते हैं।
मंदिर की ख़ास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों को प्रसाद में नूडल्स, मोमोज, चावल आदि चाइनीज फ़ूड दिया जाता है। यह मंदिर अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं है। वहीँ मंदिर की महिमा के बारें में भी लोग खूब बातें करते देखे जा सकते हैं।