गणेश चतुर्थी जिसे कि विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दु धर्म में एक बहुत ही शुभ पर्व माना जाता है। यह पर्व हिन्दी कैलेन्डर के भाद्रपद मास (अगस्त मध्य से सितम्बर मध्य) में मनाया जाता है। विशेषकर पश्चिम भारत के महाराष्ट्र राज्य में गणेश चतुर्थी को बहुत ही भव्यता एवं आस्था के साथ मनाया जाता है। क्योंकि गणेश जी का एक नाम विघ्नहरता भी है इसलिए हिन्दुओं का मानना है कि इन दस दिनों के दौरान, जो कि बहुत ही शुभ माने जाते हैं, यदि श्रद्धा एवं विधि-विधान के साथ गणेश जी का पूजन किया जाए तो गणेश भगवान जो कि देवताओँ के भी अग्रणी हैं, आप के जीवन की समस्त बाधाओं का अन्त करते हैं तथा अपने भक्तों पर सौभाग्य, समृद्धि एवं सुखों की वर्षा करते हैं।
2022 में गणेश उत्सव 31 सितंबर को गणेश चतुर्थी से लेकर दस दिन यानि 19 सितंबर अनंत चतुर्दशी के दिन तक चलेगा। अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ गणेशोत्सव संपन्न होता है। गणेश चतुर्थी के दिन व्रती को चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिये इससे चंद्र दोष लग सकता है जिसमें व्यक्ति को मिथ्यारोपों का सामना करना पड़ सकता है। चंद्रदोष से बचने के क्या उपाय हैं इसकी जानकारी आपको विद्वान ज्योतिषाचार्यों से ही मिल सकती है।
गणेश चतुर्थि तिथि - 31 अगस्त 2022
गणेश पूजा – सुबह 11:05 से दोपहर 01:37 बजे तक
चंद्र दर्शन से बचने का समय- सुबह 09 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 10 तक
चतुर्थी तिथि आरंभ- दोपहर 03 बजकर :33 मिनट (30 अगस्त, 2022) से
चतुर्थी तिथि समाप्त- :दोपहर 03 बजकर 22 मिनट (31 अगस्त, 2022 तक
दस दिनों तक चलने वाला यह त्योहार हिन्दुओं की आस्था का एक ऐसा अद्भुत प्रमाण है जिसमें कि शिव-पार्वती-नंदन श्री गणेश की 3/4 इंच से लेकर 25 फुट या इससे भी अधिक ऊँचाई की प्रतिमा को घरों, मन्दिरों अथवा पन्डालों में साज-श्रँगार के साथ शुद्ध चतुर्थी वाले दिन स्थापित किया जाता है, जहाँ एक पुजारी जो कि लाल धोती पहने रहता है इस मूर्ति में वैदिक मन्त्रोच्चारण के साथ प्राण फूँकता है जिसे कि “प्राणप्रतिष्ठा” कहा जाता है। दस दिन तक अर्थात अनंत-चतुर्दशी तक गणेश प्रतिमा का नित्य विधिपूर्वक पूजन किया जाता है, ग्यारहवें दिन इस प्रतिमा को किसी स्वच्छ जलाशय जैसे कि नदी अथवा सागर आदि में प्रवाहित (विसर्जित) कर दिया जाता है।
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महाराष्ट्र में तो इस दिन विशेष आयोजन होते हैं तथा जलाशयों पर उमड़े जनसैलाव व उनकी आस्था को देखकर मन भावविभोर हो उठता है। इस दिन समस्त श्रद्धालुगण गणेश-प्रतिमा को हाथों, रथों व वाहनों पर उठा कर बहुत धूम-धाम से गाजों-बाजों के साथ इसे प्रवाहित करने के लिए पैदल ही जलाशयों की ओर चल पड़ते हैं और ऊँची आवाज में नारे लगाते हैं, “गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया, पर्चा वर्षी लौकरिया।” जिसका अर्थ होता है कि “ओ परमपिता गणेश जी! मंगल करने वाले, अगले बरस जल्दी आना।” यह शुभ पर्व हिन्दुओं के लिए बहुत ही प्रसन्नता का समय होता है।
गणेश-पूजन के इन दस दिनों के दौरान गणपति पूजन में इन चुने हुए यंत्रों को गणेश-प्रतिमा के साथ पूजने से निश्चित तौर पर गणपति जी प्रसन्न होकर आपके जीवन को सुख-समृद्धि एवं सौभाग्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ऐसा इन यंत्रों के विशेष महत्व के कारण होता है जिसे कि पूजन के समय बहुत ही शुभ माना जाता है। विधि-विधान से पूजन के लिए जिस प्रकार दीया, धूप-बाती, पुष्प एवं प्रसाद का महत्व है वैसे ही इन यंत्रों के पूजन से आपको विशेष लाभ होता है। एस्ट्रोयोगी पर देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।
✍️ By- Team Astroyogi