आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हर व्यक्ति बस पैसे पाने की चाह में भागा जा रहा है। ‘जितना ज्यादा कमा लिया जाये, बस वही अच्छा है’ इस विचारधारा के साथ जब इंसान जीवन जीता है तो यह एक समय के बाद पीड़ादायक साबित होने लगता है। भारत की अपनी जो विचारधारा रही है उसमें भौतिकतावाद को बहुत ज्यादा जगह नहीं दी गयी है। लेकिन आज हम पश्चिमी संस्कृति को तरजीह दे रहे हैं। जैसे-जैसे हम भौतिकतावाद में खोते हैं तभी आध्यात्मिकता से हम दूर होने लग जाते हैं। अब सवाल यह है कि क्या संसार में जीवन निर्वाह करते हुए हम आध्यात्मिकता से जुड़ सकते हैं? या आध्यात्मिकता से जुड़ने के लिए जंगलों में ही तपस्या करना एक उपाय है। तो जवाब है कि सांसारिक कार्यों को करते हुए भी ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है।
आइये जानते कैसे हम खुद को आध्यात्मिकता से जोड़ सकते हैं-
भोजन की तरह ‘ध्यान’ भी मौलिक आवश्यकता है
हमें यह समझना होगा कि जैसे प्रतिदिन भोजन करना हमारे शरीर की आवश्यकता है उसी तरह से ‘ध्यान’ भी शरीर की आत्मा के लिए मौलिक आवश्यकता होती है। आप रोज खुद को तो भोजन से ऊर्जा देते हैं लेकिन आत्मा को ऊर्जा नहीं देते हैं। इसलिए आत्मा आध्यात्मिकता से दूर हो जाती है और तब यह एक पीड़ादायक स्थिति बन जाती है।
प्रतिदिन खुद से जरूर बात करें
इंसान को अपने व्यस्त समय में से कुछ समय घंटा या आधा-घंटा, खुद के लिए जरुर निकालना चाहिए और खुद से बात करनी चाहिए। हम क्या कर रहे हैं और जो हम कर रहे हैं क्या वह हमें प्रसन्नता प्रदान कर रहा है? जब आप खुद से इस तरह की बात करेंगे तो आप जीवन के सत्य और असत्य पक्ष को समझ पायेंगे। आप समझ पाएंगे कि हमें इंसान का जन्म क्यों मिला है और मोह-माया-काम-क्रोध में फंसकर क्या हम अपना जीवन व्यर्थ तो नहीं कर रहे हैं।
सकारात्मक लोगों का साथ करें
हिन्दू शास्त्र कहते हैं कि ‘जैसा करें हम संग-वैसा होवे मन’। अर्थात जिस तरह का हम साथ करते हैं उसी तरह का हमारा जीवन बनने लगता है। आप अगर ऐसे लोगों का साथ करोगे तो ईश्वर को मानते नहीं है या आध्यात्मिकता उनके लिए कोई चीज़ ही नही है तो आप भी इसी तरह के बन जाओगे। प्रारंभ में तो हो सकता है कि आपको आनंद आये, किन्तु एक समय बाद आप बेहद दुखी हो सकते हो। तो उस स्थिति से बचने के लिए आध्यात्मिक या सकारात्मक लोगों का साथ करना चाहिए।
आध्यात्मिक पाठन सामग्री जरूर पढ़ें
आपको अगर पढ़ने का शौक है तो आपको कुछ अच्छी और विश्वसनीय आध्यात्मिक पुस्तकें या अन्य पाठन सामग्री जरूर पढ़नी चाहिए। पुस्तकों को इंसान का सबसे अच्छा मित्र बताया गया है। अगर हम निरंतर कुछ समय अच्छी आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं तो हमारा मन ईश्वर की शरण में लगा रहता है।
तो निम्न उपायों से खुद को ईश्वर से जोड़ा रख सकते हैं और एक दिन यही आध्यात्मिकता हमारी ताकत बनकर उभरती है। संसार में बिना आध्यात्मिकता के जीना बहुत मुश्किल कार्य है।