सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है।। इस बार सावन के महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 26 जुलाई को है और सावन का अंतिम सोमवार 16 अगस्त को है।
इस बार 4 सावन सोमवार के अलावा कई दिन शुभ योग भी बन रहे हैं। सावन के 30 दिनों में 1 सर्वार्थ सिद्धि योग, 1 अमृतसिद्धि योग, 1त्रिपुष्कर योग, 6 रवि योग बन रहे हैं।। इस बार सावन की शिवरात्रि 06 अगस्त को मनाई जाएगी। चतुर्मास में सावन के महीने का विशेष महत्व माना गया है। शिव भक्त सावन के सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं। मान्यता है कि सावन के सोमवार में रखे जाने वाले व्रत से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करते हैं। सावन के सोमवार को व्रत रखने दांपत्य जीवन ख़ुशियों से भर जाता है। सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से घर की कलह का नाश होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है और पति और पत्नी के संबंधों में मधुरता बढ़ती है।
जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु- केतु के संयोग से कालसर्प दोष का निर्माण होता है वे यदि सावन के प्रत्येक सोमवार व्रत रखकर भगवान भोेलेनाथ की पूजा और अभिषेक करते हैं तो यह दोष दूर होता है। कालसर्प के कारण व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर कार्य में बाधा आती है। व्यापार, नौकरी और शिक्षा में अड़चन बनी रहती है।
हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। इस मास की अपनी संस्कृति है। ज्येष्ठ के तीव्र ताप और आषाढ़ की उमस से क्लांत प्रकृति को अमृत वर्षा की दरकार होती है। सावन में श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव का गहरा संबंध है। भगवान शिव ने स्वयं सनत्कुमार से कहा है मुझे बारह महीनों में सावन (श्रावण) विशेष प्रिय है। इसी काल में वे श्री हरि के साथ मिलकर लीला करते हैं। इस मास की विशेषता है कि इसका कोई दिन व्रत शून्य नहीं देखा जाता है।
इस महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शतरूद्र का पाठ और पुरुष सूक्त का पाठ एवं पंचाक्षर, षडाक्षर आदि शिव मंत्रों व नामों का जप विशेष फल देने वाला होता है। श्रावण मास का माहात्म्य सुनने अर्थात श्रवण हो जाने के कारण इसका नाम श्रावण हुआ। पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र से योग होने से भी इस मास का नाम श्रावण कहलाया है। यह सुनने मात्र से सिद्धि देने वाला है। श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र, और चंद्र के स्वामी भगवान शिव, सावन मास के अधिष्ठाता देवाधिदेव शिव ही हैं।
राशिनुसार पूजन से मिलता है ये फल
इस पवित्र महीने में राशि के अनुसार महादेव की पूजा एवं अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
मेष राशि- मेष राशि वालों को दूध में गुड़ मिलाकर भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति व स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों को दही में शक्कर मिलाकर महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों को गन्ने के रस से भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
कर्क राशि- कर्क राशि वालों को घी से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से घर की अशांति चली जाती है और शांति का वास घर में हो जाता है।
सिंह राशि- सिंह राशि वालों को जल में गुड़ मिलाकर भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से यश कीर्ति की प्राप्ति होती है।
कन्या राशि- कन्या राशि वालों को दूध में भांग मिलाकर के भगवान का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
तुला राशि- तुला राशि वालों को दही एवं शहद से भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से रोग कष्ट निकल जाते हैं व घर में एक शांति का माहौल बन जाता है।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि वालों को पंचामृत से भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से मनचाहा फल मिलता है।
धनु राशि- धनु राशि वालों को दूध में हल्दी मिलाकर भगवान महादेव का अभिषेक करने से रोग मुक्ति वह घर में कलेश से भी छुटकारा मिल जाता है।
मकर राशि- मकर राशि वालों को नारियल के पानी से भगवान महादेव का अभिषेक करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों को तिल के तेल से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिल जाती है और घर में शांति का वातावरण बन जाता है।
मीन राशि- मीन राशि वालों को केसर युक्त दूध से भगवान महादेव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से सुंदर काया और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।