अक्सर हम कुंडली में दोष होने जैसी बातों के बारे में सुनते हैं। हालांकि इन दोषों के बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं। आपको बता दें कि कुंडली के अध्ययन के बाद ही इस बात का पता चलता है कि कुंडली में योग और दोष की क्या संभावना है। दोष ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हैं। काल सर्प दोष (kaal sarp dosh) भी इनमें से एक है। ज्योतिष में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना जाता है। यह आपके जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दोष का सही समाधान होना बहुत जरूरी होता है, वरना यह आपको शारीरिक और मानसिक कष्ट दे सकता है। बहुत से लोगों को काल सर्प दोष को लेकर अधूरी जानकारी होती है इसलिए वे इस दोष का नाम सुनकर डर जाते हैं। इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि काल सर्प दोष क्या है? कालसर्प दोष दूर करने का रामबाण उपाय क्या है? और कालसर्प दोष के फायदे क्या हैं?
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली चार्ट में काल सर्प दोष का होना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इसको दूर करने के लिए उपाय किया जा सकता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कि कालसर्प दोष क्यों होता है? दरअसल किसी की कुंडली में काल सर्प दोष तब बनता है जब सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि ये सभी ग्रह गोचर में भ्रमण करते हुए राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। धर्मशास्त्र के मुताबिक राहु को सर्प के सिर के रूप में जाना जाता है जबकि छाया ग्रह केतु को सर्प की पूंछ के रूप में जाना जाता है। आपकी कुंडली में कौन सा दोष है इसे जानने के लिये आप एस्ट्रोयोगी पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर सकते हैं और उनकी सलाह पर काल सर्प दोष पूजा (kaal sarp dosh puja) का आयोजन भी करवा सकते हैं।
इस दोष के प्रभाव में भिन्नताएं होती हैं। इसके प्रभाव काल सर्प दोष के विभिन्न प्रकारों पर निर्भर करते हैं। तो आइए काल सर्प दोष के प्रकारों के बारे जानें-
1. अनंत काल सर्प दोष: यह तब बनता है, जब राहु को 1 वें घर में और केतु को 7 वें घर में रखा जाता है, जहां दोनों ग्रहों के बीच शेष 7 ग्रह बैठे होते हैं।
2. कुलिक काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 2 वें घर में और केतु 8 वें घर में हो और दोनों ग्रहों के बीच में शेष 7 ग्रह स्थित हों।
3. वासुकी काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु तीसरे घर में हो और केतु 9 वें घर में हो और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह उपस्थित हो।
4. शंखपाल काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु चौथे घर(भूमि, भवन, माता से मिलने वाले सुख के घर) में होता है और केतु 10 वें (आजीविका के घर) घर में होता है और शेष 7 ग्रह एक दिशा में दोनों के बीच में हो।
5. पदम काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 5 वें घर में और केतु 11 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।
6. महापद्म काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु छठे घर में होता है और केतु 12 वें घर में हो और बाकी बचे 7 ग्रह दोनों के बीच में स्थित हो।
7. तक्षक काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 7 वें घर में और केतु 1 घर में बैठा होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में बैठे होते हैं।
8. कर्कोटक काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 8 वें (मृत्यु, अपयश, दुर्घटना, साजिश का घर) घर में होता है और केतु 2 वें (धन एवं कुटुम्ब) घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
9. शंखनाद काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 9 वें घर में और केतु तीसरे घर में, बाकी बचे हुए 7 ग्रह एक ही दिशा में दोनों ग्रहों के बीच स्थित होते हैं।
10. घृत काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 10 वें घर में होता है और केतु 4 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
11. विषधर काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 11 वें घर में होता है और केतु 5 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।
12. शेषनाग काल सर्प दोष: यह दोष तब बनता है जब राहु 12 वें घर में होता है और केतु 6 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
कुंडली में होने वाले दोष हमेशा एक जैसा परिणाम नहीं देते हैं। इसी प्रकार कालसर्प दोष भी हमेशा नकारात्मक या अशुभ फल प्रदान नहीं करता हैं। काल सर्प दोष के कुछ फायदे भी होते हैं जो जीवन को बेहतर बना सकते हैं। कालसर्प दोष के परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि कुंडली में राहु केतु किस स्थिति में हैं। इन दोनों ग्रहों की स्थिति इस दोष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह दोष लोगों को आगे बढ़ने और मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। यह खासकर उन लोगों के लिए अच्छा होता है, जिनमें आगे बढ़ते रहने का जज़्बा होता है। इसके विपरीत जो लोग जल्दी हार मान लेते हैं, उनके लिए यह दोष अच्छा नहीं होता है। इसके अलावा कुछ ग्रहों की स्थिति भी इसे लाभकारी बनाती है। उदाहरण के लिए अगर आपकी कुंडली में राहु अपनी उच्च राशि में है तो यह दोष आपको सफलता की राह में आगे ले सकता है। इसी के साथ अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है और आपकी कुंडली में गुरु व चंद्र एक दूसरे से केंद्र में हैं तो यह दोष आपके लिए आशीर्वाद बन जाएगा। इस लेख में आगे आपको कालसर्प दोष के लक्षण और उपाय भी जानने को मिलेंगे।
कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के आधार पर कालसर्प दोष का प्रभाव जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी पड़ता है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों में दुख जीवन का हिस्सा बन जाता है। मानसिक अशांति, धन की कमी, संतान होने में समस्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां, कुंडली में काल सर्प दोष प्रभाव के रूप में देखने को मिलती हैं। कालसर्प दोष के 12 प्रकार हैं, तो इन दोषों के आधार पर ही प्रभाव भी देखने को मिलता है। साथ ही दोष का प्रभाव राहु और केतु के दशा या अन्तर्दशा के दौरान अधिक बढ़ जाता है। ये प्रभाव इतने शक्तिशाली होते हैं कि व्यक्ति को कई बार आत्महत्या करने के लिए उकसाते हैं। ये समस्याएं न केवल आपको प्रभावित करती हैं। यह आपके परिवार को भी प्रभावित करता है। कालसर्प दोष विशेषकर पति-पत्नी के बीच कलेश का कारण बनता है। (काल सर्प दोष इफ़ेक्ट व मैरिज) इसलिए प्रतीक्षा न करें, यदि आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो तुरंत किसी ज्योतिषी से सलाह लें।
काल सर्प दोष होने से क्या होता है?
कुंडली में काल सर्प दोष के कारण आपको जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह दोष आपके लिए न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक कष्ट का कारण भी बनता है।
कालसर्प दोष कितने समय तक रहता है?
कालसर्प दोष जीवन में कष्ट लेकर आता है। यह लगभग 42 वर्ष तक आपको परेशान कर सकता है, इसलिए इसका सही समय पर उपाय कर लेना चाहिए।
कालसर्प दोष को हमेशा के लिए दूर कैसे करें?
कालसर्प दोष बहुत कष्टकारी होता है, लेकिन अगर जल्द ही इसके लिए प्रभावी उपाय कर लिए जाएं तो इस दोष से छुटकारा पाना आसान हो जाता है।
काल सर्प दोष की पूजा कब करनी चाहिए?
ऐसा माना जाता है कि कुंडली में काल सर्प दोष पिछले जन्म में किये गए कर्मों का परिणाम होता है। इसके लिए कि जाने वाली पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो किसी विशेषज्ञ पंडित द्वारा संपन्न करवाई जाती है।
कालसर्प दोष के लिए कौन सा रत्न पहने?
कालसर्प दोष के प्रभावों को कम करने के लिए आपको गोमेद रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। गोमेद रत्न राहु का रत्न होता है, जो इस दोष के नकारात्मक परिणामों को दूर कर सकता है।