बृहस्पति

बृहस्पति

बृहस्पति ग्रह सौर मंडल प्रमुख ग्रहों में से एक है। जिसका हम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में गुरू को शुभ ग्रह माना जाता है। ये हमेशा शुभ परिणाम ही देते हैं। इस लेख में हम बृहस्पति ग्रह क्या है?, बृहस्पति (Jupiter) का ज्योतिषीय महत्व क्या है?, मानव जीवन पर गुरू का कितना प्रभाव है? बृहस्पति के यंत्र, मंत्र, मूल व उपाय के बारे में जानेंगे। तो आइये जानते हैं बृहस्पति ग्रह के बारे में –

बृहस्पति ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का विशेष स्थान है। बृहस्पति को गुरू का स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में गुरू बृहस्पति को शिक्षा का कारक माना गया है। खोगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो बृहस्पति सूर्य से पाँचवाँ और हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति ग्रह हीलियम व हाइड्रोजन से बना हुआ है। इसके साथ ही बृहस्पति के 79 प्राकृतिक उपग्रह भी हैं।


ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व

वैदिक ज्योतिष के नौ ग्रहों में बृहस्पति को ही ‘गुरु’ की उपाधी मिली है। हिंदू ज्योतिष में गुरू को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है। बात गुरू के नीच व उच्च राशि की करें तो कर्क इनकी उच्च राशि है जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है। जैसा कि पहले ही बता चुकें हैं ज्योतिष में गुरु को ज्ञान का कारक माना जाता है इसके साथ ही ये संतान, धार्मिक कार्य, धन, दान और पुण्य आदि के भी कारक हैं। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को 27 नक्षत्रों में तीन पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामीत्व प्राप्त है। जातक के शिक्षा तथा विकास हेतु कुंडली में बृहस्पति (Jupiter) का स्थान देखा जाता है।
 

मावन जीवन पर गुरु का प्रभाव

यदि शारीरिक संरचना व बनावट की दृष्टि से देखा जाए तो जातक के कुंडली में गुरू लग्न भाव में स्थित हो तो वह जातक भाग्यशाली माता जाता है। जातक के आगे उसका भाग्य होता है। इसके साथ ही गुरू के प्रभाव से जातक का व्यक्तित्व मनमोहक और आकर्षक होता है। ऐसे जातक अपने जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। इसके साथ ही इनके अंदर तार्किक और उदारवादी विचार जन्म लेते हैं। जातक धार्मिक तथा दान पुण्य जैसे कार्यों में अधिक रूची लेता है।
ज्योतिष के अनुसार कर्क बृहस्पति ग्रह की उच्च राशि है। इसलिए गुरु इस राशि में होने से बलवान होगा। जिसके कारण जातक को विभिन्न क्षेत्रों में लाभ प्राप्त होगा। उसके जीवन में धन की वृद्धि होगी। जातक धार्मिक कार्यों में अधिक रूचि लेता है। धर्म के प्रति जातक के भीतर अधिक झुकाव होता है और वह सदैव सत्य के मार्ग पर चलता है। बली गुरु के कारण जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।

विपरीत स्थिति में बृहस्पति (Jupiter) जातकों के लिए अच्छा परिणाम नहीं देता है। इसके कारण जातक को जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाता है। यदि जातक शिक्षा के लिए अथक प्रयास करे तो ही वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाता है। बिना परिश्रम के जातक किसी भी कार्य में सफल नहीं होता है। इसके साथ ही जातक शारीरिक कष्ट से परेशान रहता है। जातक का करियर भी उतार –चढ़ाव भरा रहता है। वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
 

बृहस्पति ग्रह की पौराणिक मान्यता

हिंदू पौराणिक ग्रंथों में सभी प्रमुख ग्रहों जिन्हें हम नवग्रह भी कहते हैं के संदर्भ में पौराणिक कथाएं मिलती हैं। बृहस्पति ग्रह की भी अपनी पौराणिक कथा मिलती है। ये शुक्र ग्रह के समकालीन हैं और अपनी आरंभिक शिक्षा एक ही गुरु से हासिल की लेकिन चूंकि शिक्षक स्वयं बृहस्पति (Jupiter) के पिता थे इसलिये भेदभाव को महसूस कर शुक्र ने उनसे शिक्षा ग्रहण करने का विचार त्याग दिया। भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक थे ऋषि अंगिरा जिनका विवाह स्मृति से हुआ कुछ इन्हें सुनीथा भी बताते हैं। इन्हीं के यहां उतथ्य और जीव नामक दो पुत्र हुए। जीव बहुत ही बुद्धिमान व स्वभाव से बहुत ही शांत थे। माना जाता है कि इन्होंने इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। भगवान शिव ने ही जीव को देवगुरु ग्रह बृहस्पति के नाम से ख्याति प्राप्त करने का वरदान दिया है। इस तरह भगवान शिव की कृपा से जीव को देवगुरु की पदवी एवं नवग्रहों में स्थान प्राप्त हुआ।
 
यंत्र – गुरू यंत्र
मंत्र – ओम बृहस्पति देवों भवः
जड़ – केला का जड़
रत्न – पुखराज
रंग -  पीला
उपाय –
उपाय की बात करें तो जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति (Jupiter) कमजोर हैं या कम प्रभावी हैं उन्हें भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। इसके साथ ही आप बृहस्पति वार को व्रत भी रख सकते हैं। सत्य नारायण की पूजा करने से भी गुरू प्रबल होते हैं।


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पंचांग
Delhi- Thursday, 21 November 2024
दिनाँक Thursday, 21 November 2024
तिथि कृष्ण सप्तमी
वार गुरुवार
पक्ष कृष्ण पक्ष
सूर्योदय 6:49:11
सूर्यास्त 17:25:32
चन्द्रोदय 22:44:5
नक्षत्र अश्लेषा
नक्षत्र समाप्ति समय 41 : 11 : 27
योग ब्रह्म
योग समाप्ति समय 35 : 33 : 31
करण I विष्टि
सूर्यराशि वृश्चिक
चन्द्रराशि कर्क
राहुकाल 13:26:54 to 14:46:26

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