शनि वक्री 2026

शनि वक्री 2026

Shani Vakri 2026: वैदिक ज्योतिष में वक्री शनि (Shani Vakri) का बड़ा महत्व हैं। शनि को न्याय तथा कर्म का फलदाता कहा गया है। आमतौर पर शनि को लेकर लोगों के मन में शनि का भय होता है। शनि हमेशा कष्ट ही देते हैं ऐसा लोगों का मानना है परंतु यह सही नहीं है। शनि की कृपा हो जाए तो जातक रंक से राजा बन जाता है। ऐसे में यदि शनि अपनी चाल बदलें तो क्या होगा। शनि का वक्री (Saturn Retrograde 2026) होना जातक के लिए क्या परिणाम ला सकता है। इसी के बारे में हम इस लेख में जानेंगे।

साल 2026 में शनि वक्री की तिथियां (Shani Retrograde 2026 Dates)

शनि वक्री 2026

शनि वक्री: 27 जुलाई 2026, सोमवार को रात 01:25 बजे
शनि मार्गी: 11 दिसम्बर 2026, शुक्रवार को सुबह 05:00 बजे

अवधि: 138 दिन

वैदिक ज्योतिष में शनि का प्रभावी होना

वैदिक ज्योतिष में शनि का कुंडली में प्रभावी होने से जातक दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करता है। शनि के प्रभाव से जातक न्याय प्रिय बनाता है। सदैव सत्य व धर्म के साथ खड़ा रहता है। जातक इमानदार व अपने काम के प्रति गंभीर रहता है। ऐसे जातक न्याय के क्षेत्र में नाम कमाता है। जातक कर्मठ होता है। कार्य को लगन से करने पर ये काफी सफल होते हैं। तर्कपूर्ण व न्याय संगत संबाद करने में ये रूचि रखते हैं।

शनि का कुंडली में कमजोर होना

कुंडली में शनि का कमजोर होना जातक को कई परेशानियों का सामना करवाता है। जातक का व्यवसायिक व पेशेवर जीवन अच्छा नहीं होता है। धन की हानि होती है। इसके साथ ही जातक के सम्मान में कमी आती है। सामाजिक जीवन भी सही नहीं होता है। वैवाहिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है। गलत फैसले लेकर जातक अपना नुकसान कर बैठता है। न्यायिक विवाद में फंसा रहता है।

शनि का वक्री होकर कुंडली में गोचर करना

शनि का वक्री (Saturn Retrograde) होकर कुंडली में गोचर करना उसके भाव व स्थान के मुताबिक परिणाम देता है। ज्योतिषियों की माने तो वक्री अवस्था में शनि अधिक प्रभावी व बलशाली हो जाते हैं। जैसा कि शनि को कर्म का फल देने वाला कहा जाता है। ऐसे में वक्री होना जातक के लिए शुभ व अशुभ दोनों ही परिणाम देगा। यदि जातक परिश्रम करता है तो वह जातक को सफल बनाते हैं और एक ही कार्य को दोहराने के लिए प्रेरित करते हैं।

खगोलीय दृष्टि से शनि का वक्री होना

खगोलीय दृष्टि से शनि ग्रह का वक्री होने से तात्पर्य है कि जब यह अपने परिक्रमण मार्ग पर न चलते हुए, विपरीत दिशा में या पीछे की ओर बढ़ना ही शनि की वक्री अवस्था माना जाता है। 

वक्री शनि का प्रभाव: जानें 12 भावों पर इसका असर

ज्योतिष में उल्लेखित 12 भाव के मुताबिक देखा जाए तो वक्री शनि का प्रभाव अलग – अलग होता है।

  1. कुंडली के पहले भाव में शनि का वक्री स्थिति में विराजना जातक के लिए शुभ माना जाता है। ऐसे जातक राजा के समान जीवन जीते हैं। यदि शनि अशुभ परिणाम वाला है तो यह जातक के लिए हृदय रोग का जोखिम बनाता है।

  2. दूसरे भाव में शनि का वक्री (Saturn Retrograde) होकर बैठना जातक को धर्म के प्रति उदार बनाता है। जातक जीवन में धन अर्जित करता है और उसका सुख भी भोगता है। इसके साथ ही जातक दयालु व ज्ञानी होता है।

  3. पत्रिका के तीसरे भाव में शनि का वक्री अवस्था में विराजना जातक के पराक्रम में वृद्धि करता है। ऐसे जातक नेता व नेतृत्वकर्ता बनते हैं। यदि शानि कमजोर है तो यह जातक को असफलता दिलाता है।

  4. चौथे भाव में वक्री शनि जातक के मनोस्थिति को प्रभावीत करता है। क्योंकि जातक अपनी माता व घर के किसी बड़ें के स्वास्थ्य के सेहत को लेकर परेशान रहता है। घर का भी सुख जातक को नहीं मिलता है।

  5. पांचवे भाव में शनि का वक्री होना संतान व परिवार के लिए जातक गंभीर नहीं होता है। प्रेम के लिए शनि वक्री अवस्था में अच्छा परिणाम देता है परंतु जातक को प्रेम धोखा भी मिलता है।

  6. छठें भाव का वक्री शनि जातक को धन लाभ के साथ ही संतान सुख भी देता है। जातक अधिक यात्राएं करता है। जातक कुटिल व विरोधियों को अपने वश में करके रखता है। 

  7. कुंडली के सांतवें भावम में वक्री शनि का विराजमान होना जातक के लिए अच्छा माना जाता है। परिवारीक जीवन भी सुखमय रहता है। लोहे व मशीनरी का व्यापार करने वाले जातकों अच्छा लाभ मिलता है।

  8. आठवें भाव का वक्री शनि जातक को लंबी उम्र तो देता है परंतु भाई व बहनों को शत्रि बनाने का भी कार्य करता है। ऐसे जातक के पिता की भी आयु लंबी नहीं होती है।

  9. कुंडली के नौवें भाव में वक्री शनि का विराजना जातक को एक सुखमय जीवन देता है। ऐसे जातक ट्रेवल व अभियंत्रिक क्षेत्र में अच्छा नाम कमाते हैं। जातक यदि लोगों की मदद करता है तो उसे शनि सफल बनाते हैं।

  10. दसवें भाव में वक्री शनि का होना जातक को चतुर व निर्भयी बनाता है। ऐसे जातक धन अर्जित करने में सफल होते हैं। ये अपना घर बनाने में सफल होते हैं। सरकार से भी इन्हें लाभ मिलता है। जातक महत्वाकांक्षी होते हैं।

  11. एकादश भाव का वक्री शनि जातक को संतान सुख देता है। इसके साथ ही जातक धनवान व कुटिल होता है। जातक आयु लंबी होती है। जातक अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है।

  12. द्वादश भाव में वक्री शनि का होना जातक के लिए शुभफलदायी होता है। जातक का परिवारीक जीवन अच्छा व व्यापार में भी जातक को सफलता मिलती है। जातक धनवान होता है। परंतु जातक कठोर भी हो जाता है।

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