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Vakri Budh 2024: बुध को ज्योतिषशास्त्र में शुभ ग्रह माना जाता है वक्री बुध ज्योतिष में एक स्थिति है। बुध ज्योतिष के नौ ग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह है। इसे वाणी का कारक भी कहा जाता है। इसके साथ ही जातक के ज्ञान को बढ़ाने में भी बुध सहयोग करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह समयानुसार राशि बदलते रहते हैं। कुछ सीधे तो कुछ विपरीत अवस्था में इसी अवस्था को ज्योतिष में वक्री व सीधे अवस्था को मार्गी कहा गया है। जिसे हम गोचर तथा राशि परिवर्तन के नाम से जानते हैं। इस लेख में हम वक्री बुध (Mercury Retrograde 2024) का जातक पर कैसा प्रभाव पड़ता इसके बारे में जानेंगे।
बुध वक्री (दिसंबर 2023): 13 दिसंबर 2023, बुधवार को दोपहर 12:38 बजे और बुध मार्गी: 02 जनवरी 2024, मंगलवार को प्रातः 08:36 बजे (बुध की वक्री चाल की कुल समय अवधि = 20 दिन)
बुध वक्री (अप्रैल 2024 ): 2 अप्रैल 2024, मंगलवार को प्रातः 03:43 बजे और बुध मार्गी : 25 अप्रैल 2024, गुरुवार को शाम 06:23 बजे (बुध की वक्री चाल की कुल समय अवधि = 24 दिन)
बुध वक्री (अगस्त 2024): 5 अगस्त 2024, सोमवार को सुबह 10:25 बजे और बुध मार्गी : 29 अगस्त 2024, गुरुवार को प्रातः 02:43 बजे (बुध की वक्री चाल की कुल समय अवधि = 24 दिन)
बुध वक्री (नवंबर 2024): 26 नवंबर 2024, मंगलवार को सुबह 08:11 बजे और बुध मार्गी : 16 दिसंबर 2024, सोमवार को प्रातः 02:25 बजे (बुध की वक्री चाल की कुल समय अवधि =20 दिन)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में बुध शुभ स्थिति में है तो उस जातकों अच्छे परिणाम मिलते हैं। जातक का वाणी काफी प्रभावित करने वाला होता है। इसके साथ ही जातक जो भी कहता है उसका प्रभाव श्रोता पर अधिक पड़ता है। इसके साथ ही जातक तार्किक बनाता है। जातक की मानसिक शक्ति मजबूत होती है। जातक अपने फैसले लेने में सक्षम होता है। ऐसे में बुध का वक्री (Mercury Retrograde) होकर शुभ स्थिति में होना जातक के लिए शुभ परिणाम देने वाला बन जाएगा।
ज्योतिष के अनुसार यदि बुध कमजोर है तो वह परिणाम अशुभ व विपरीत देने का कार्य करेगा। जिसके कारण जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। जातक की वाणी कठोरव असभ्य हो जाती है। जिसके चलते जातक कितनी ही अच्छी बात क्यों न करें व दूसरों के लिए कटु बन जाता है। जातक निर्णय लेने में असमर्थ महसूस करता है व संकोच खाता है। जातक के जीवन पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वैदिक ज्योतिष में मान्य नौ ग्रह में बुध, शुक्र, शनि और गुरु समय-समय पर वक्री अवस्था में गोचर करते हैं। वहीं राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो लगभग वक्री ही रहते हैं ऐसा ज्योतिषियों का मानना है। जबकि सूर्य और चंद्रमा ग्रह वक्री नहीं होते हैं। भाव के अनुसार वक्री बुध (Mercury Retrograde) अलग परिणाम देता है। तो आइये जानते हैं।
बुध की वक्री विशेष रूप से वह खगोलीय घटना है जब सौर मंडल में बुध ग्रह आगे की ओर न जाकर पीछे की ओर चलता दिखाई देता है। बुध प्रतिवर्ष तीन से चार बार वक्री चाल चलता है। ऐसा माना जाता है की बुध वक्री (Mercury Retrograde) पांच अलग समय या कालों में होते हैं।
ज्योतिष में उल्लेखित 12 भाव के मुताबिक देखा जाए तो वक्री बुध का प्रभाव अलग –अलग होता है।
पहले भाव में वक्री बुध का विराजमान होना जातक के लिए सही नहीं माना जाता है। ज्योतिषों की माने तो ऐसे में जातक गलत फैसले कर बैठता है जिससे उसे हानि का सामना करना पड़ता है।
दूसरे भाव में बुध का वक्री (Mercury Retrograde) होकर बैठना जातक को बुद्धिमान बनाता है। जातक अपने फैसलों को लेने से पूर्व गहन विचार करता है। जातक तार्किक होता है।
कुंडली के तीसरे भाव में वक्री बुध का होना जातक को निर्भिक बनाता है। जातक के आत्मबल में वृद्धि करता है। जातक जोखिम भरे कार्यों को करने में अधिक रूचि दिखाता है।
बुध का वक्री होकर कुंडली के चौथे भाव भाव में विराजना जातक के लिए धन लाभ की संभवना बनाता है। लेकिन जातक विलासता के साथ जीवन भी यापन करने में लिप्त हो सकता है।
पांचवे भाव में वक्री बुध का बैठना शुभ माना जाता है। साथी के साथ संबंध बेहतर होते हैं। परिवार में सुख समृद्धि आती है।
छठे भाव में यदि वक्री बुध बैठा है तो ऐसे में जातक को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। जातक सभी को संदेह की दृष्टि से देखता है। विश्वास करने में परेशानी होती है।
कुंडली के सांतवे भाव में बुध का वक्री होकर बैठना जातक के जीवन में आकर्षक साथी के आने व प्राप्त होने की ओर संकेत करता है। ऐसे जातक को खूबसूरत जीवनसाथी मिलती है।
आठवें भाव में वक्री बुध का होना जातक को धर्म के प्रति उदार बनाता है। जातक को दार्शिनिक दृष्टिकोण देता है। इसके साथ ही जातक आध्यात्म के क्षेत्र में रूचि लेता है।
कुंडली के नवम भाव में वक्री बुध का विराजना जातक को तर्क संपन्न बनाता है। विवेकवान होते हैं।
दशम भाव में बुध का वक्री (Mercury Retrograde) होकर विराजना जातक को पैतृक संपत्ती में लाभ दिलवाता है। गरीबी का मूंह नहीं देखना पड़ता है।
पत्रिका के एकादश भाव में वक्री अवस्था में बैठना जातक को लंबी उम्र देता है। जातक अपने जीवन को सुखमय बिताता है।
द्वादश भाव में वक्री बुध का विराजना जातकों निर्भिक बनाता है। जातक के अंदर किसी का भी भय नहीं रहता है। वह अपने विरोधियों को परास्त करने का मार्ग बनाने में सफल होता है। धर्म में रूचि लेता है।