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हस्तरेखा शास्त्र

हाथों की लकीरें व्यक्ति के वर्तमान, भूत और भविष्य पर प्रकाश डालती हैं। हथेली पर बनीं, हाथों की रेखों को पढ़कर, जब व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसके जीवन को देखा जाता है तब इसे हस्तरेखा अध्ययन बोलते हैं। हस्त रेखा शास्त्र की जड़ें, चीन, भारत और रोम के जुडी हुई मानी जाती हैं। प्राचीन वेदों में इसे संस्कृत भाषा द्वारा अंकित किया गया है। संस्कृत में इसे ज्योतिष नाम से जाना जाता है।

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हस्त रेखा विद्या भारत में, सनातन(हिन्दू) लोगों द्वारा प्रयोग की जाने वाली एक विद्या है। भारत में जन्म से लेकर मृत्यु का वर्णन, हथेली की इन रेखाओं में बताया जाता है। इसके साथ-साथ यहाँ आपको अपने स्वास्थ्य, धन, परिवार, सुख, दुःख, व्यवसाय, समृधि और विवाह समेत जानकारियां, यहाँ से प्राप्त हो जाती हैं। हस्त-रेखा शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के हाथ में जीवन, मस्तिष्क और अर्थ आदि सभी रेखायें होती हैं जिनका अध्ययन कर भविष्यवाणी की जाती है। इतिहास के अनुसार भारत से, हस्तरेखा कला का चीन, तिब्बत, फ्रांस, मिश्र और यूरोप के अन्य देशों में प्रसार हुआ।

 

हस्त-रेखा शास्त्र

नीचे दिए गए चरणों का अनुसरण करें ताकि ऍस्ट्रोयोगी आपकी हस्त-रेखाएँ पढ़ने में आपकी मदद कर सके।

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सबसे पहले ऍस्ट्रोयोगी आपके हाथ की जाँच करेंगे, फिर आपकी ऊँगलियों, अँगूठे, जीवन रेखा, ह्रदय रेखा और भाग्य रेखा के विभिन्न प्रकारों से आपके जीवन एवं भविष्य के विषय में बताएँगे।

प्रत्येक पृष्ठ पर आपको विभिन्न चित्र मिलेंगे, आपको केवल इन चित्रों में से वो छवि चुननी है जो कि आपके हाथ के उस हिस्से से बहुत हद तक मेल खाती हो। उसके बाद उस चित्र के नीचे दिए गए रेडियो बटन को दबा दीजिए।

तत्पश्चात पृष्ठ के बिल्कुल नीचे दिए गए “अब आगे” के बटन को दबाइए।

एक बार आपने प्रत्येक श्रेणी में सभी चुनाव कर लिए तो भाग्य रेखा के अन्त में दिए गए “अब जानिए” बटन को दबाइए, आपका जीवन आपके सामने होगा।

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