- Home
- Festival
भारत को त्यौहारों की भूमि भी कहा जाता है जो शुभ तिथि पर विभिन्न धर्मों के लोगों को एक साथ मिलकर जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है। भारत एक विविधताओं वाला देश है जहाँ हमें धर्म, संस्कृति, भाषाएं और त्यौहारों की विविधताओं देखने को मिलती है जो इस देश की खुबसूरती में चार चाँद लगाती हैं। त्यौहार 2025(Festival 2025) "अनेकता में एकता" की भावना को दर्शाने का एक सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
हमारा देश को तीर्थों की भूमि कहा गया है और प्राचीनकाल से ही पर्व निरंतर मनाये जा रहे हैं। हमेशा से ही त्यौहार(festival) अपने प्रियजनों से मेल-मिलाप का माध्यम रहा हैं। इसलिए भारत सहित विश्व के अन्य देशो में सभी प्रकार के त्यौहारों को बड़े प्रेम के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा देश है जहाँ हर दिन एक त्यौहार होता है।
| सूर्य उदय | चंद्र उदय |
|---|---|
6:34:50 - 17:45:51 |
18:18:35 - 7:15:10 |
| तिथि | प्रथमा |
| नक्षत्र | कृतिका |
| पक्ष | कृष्ण |
| राशि | वृषभ |
| कुण्डली | तुला |
| सूर्य उदय | चंद्र उदय |
|---|---|
6:34:50 - 17:45:51 |
18:18:35 - 7:15:10 |
| तिथि | प्रथमा |
| नक्षत्र | कृतिका |
| पक्ष | कृष्ण |
| राशि | वृषभ |
| कुण्डली | तुला |
6:29:17 |
11:26:17 |
|---|
| षष्ठी | 17:51:51 |
| 27 | षष्ठी |
धनु |
22:3:9 |
मूल |
13:28:56 |
6:29:49 |
12:14:14 |
|---|
| सप्तमी | 17:51:10 |
| 28 | सप्तमी |
धनु |
22:59:55 |
पू. षाढ़ा |
15:46:7 |
6:30:21 |
12:58:12 |
|---|
| अष्टमी | 17:50:29 |
| 29 | अष्टमी |
मकर |
23:57:49 |
उ. षाढ़ा |
17:30:24 |
6:30:52 |
13:38:27 |
|---|
| नवमी | 17:49:51 |
| 30 | नवमी |
मकर |
0:56:3 |
श्रवण |
18:34:5 |
6:31:25 |
14:15:50 |
|---|
| दशमी | 17:49:13 |
| 31 | दशमी |
कुंभ |
0:56:3 |
धनिष्ठा |
18:52:5 |
6:31:57 |
14:51:31 |
|---|
| एकादशी | 17:48:36 |
| 1 | एकादशी |
कुंभ |
1:54:26 |
शतभिषा |
18:21:40 |
6:32:31 |
15:26:52 |
|---|
| द्वादशी | 17:48:1 |
| 2 | द्वादशी |
मीन |
2:53:27 |
पू. भाद्रपद |
17:4:47 |
6:33:5 |
16:3:28 |
|---|
| त्रयोदशी | 17:47:27 |
| 3 | त्रयोदशी |
मीन |
3:54:4 |
उ. भाद्रपद |
15:6:33 |
6:33:39 |
16:43:3 |
|---|
| चतुर्दशी | 17:46:53 |
| 4 | चतुर्दशी |
मीन |
4:57:27 |
रेवती |
12:35:15 |
6:34:13 |
17:27:32 |
|---|
| पूर्णिमा | 17:46:21 |
| 5 | गुरु नानक जयन्ती |
मेष |
6:4:29 |
भरणी |
06:35:41 |
6:34:50 |
18:18:35 |
|---|
| प्रथमा | 17:45:51 |
| 6 | प्रथमा |
वृषभ |
7:15:10 |
भरणी |
03:29:20 |
6:35:24 |
19:16:55 |
|---|
| तृतीया | 17:45:21 |
| 7 | तृतीया |
वृषभ |
8:27:39 |
कृतिका |
00:35:4 |
6:36:0 |
20:21:18 |
|---|
| चतुर्थी | 17:44:53 |
| 8 | चतुर्थी |
मिथुन |
9:38:12 |
मृगशिरा |
22:3:20 |
6:36:37 |
21:28:23 |
|---|
| पंचमी | 17:44:26 |
| 9 | पंचमी |
मिथुन |
10:42:37 |
आर्द्रा |
20:6:58 |
6:37:15 |
22:34:27 |
|---|
| षष्ठी | 17:44:1 |
| 10 | षष्ठी |
मिथुन |
11:38:27 |
पुनर्वसु |
18:49:13 |
6:37:52 |
23:36:57 |
|---|
| सप्तमी | 17:43:35 |
| 11 | सप्तमी |
कर्क |
12:25:43 |
पुष्य |
18:19:32 |
6:38:30 |
0:35:15 |
|---|
| अष्टमी | 17:43:12 |
| 12 | अष्टमी |
कर्क |
13:5:58 |
अश्लेषा |
18:37:36 |
6:39:8 |
0:35:15 |
|---|
| नवमी | 17:42:51 |
| 13 | नवमी |
सिंह |
13:41:4 |
मघा |
19:40:57 |
6:39:47 |
1:29:53 |
|---|
| दशमी | 17:42:30 |
| 14 | दशमी |
सिंह |
14:12:55 |
पू. फाल्गुनी |
21:22:42 |
6:40:26 |
2:21:56 |
|---|
| एकादशी | 17:42:11 |
| 15 | एकादशी |
कन्या |
14:43:2 |
उ. फाल्गुनी |
23:36:46 |
6:41:5 |
3:12:38 |
|---|
| द्वादशी | 17:41:55 |
| 16 | द्वादशी |
कन्या |
15:12:46 |
हस्त |
02:12:18 |
6:41:44 |
4:3:7 |
|---|
| त्रयोदशी | 17:41:38 |
| 17 | त्रयोदशी |
कन्या |
15:43:21 |
हस्त |
05:2:8 |
6:42:24 |
4:54:18 |
|---|
| चतुर्दशी | 17:41:24 |
| 18 | चतुर्दशी |
तुला |
16:15:56 |
चित्रा |
08:0:21 |
6:43:4 |
5:46:49 |
|---|
| अमावस्या | 17:41:9 |
| 19 | अमावस्या |
तुला |
16:51:38 |
स्वाति |
10:59:38 |
6:43:45 |
6:40:42 |
|---|
| अमावस्या | 17:40:58 |
| 20 | अमावस्या |
वृश्चिक |
17:31:24 |
विशाखा |
13:56:56 |
6:44:25 |
7:35:25 |
|---|
| प्रथमा | 17:40:47 |
| 21 | प्रथमा |
वृश्चिक |
18:15:51 |
अनुराधा |
13:56:35 |
6:45:6 |
8:29:44 |
|---|
| द्वितीया | 17:40:39 |
| 22 | द्वितीया |
वृश्चिक |
19:5:1 |
ज्येष्ठा |
16:47:10 |
6:45:47 |
9:22:4 |
|---|
| तृतीया | 17:40:31 |
| 23 | तृतीया |
धनु |
19:58:9 |
मूल |
19:28:26 |
6:46:28 |
10:10:56 |
|---|
| चतुर्थी | 17:40:24 |
| 24 | चतुर्थी |
धनु |
20:53:54 |
पू. षाढ़ा |
21:54:20 |
6:47:9 |
10:55:39 |
|---|
| पंचमी | 17:40:20 |
| 25 | पंचमी |
मकर |
21:50:41 |
उ. षाढ़ा |
23:58:30 |
6:47:50 |
11:36:16 |
|---|
| षष्ठी | 17:40:17 |
| 26 | षष्ठी |
मकर |
22:47:31 |
श्रवण |
01:33:51 |
6:48:30 |
12:13:29 |
|---|
| सप्तमी | 17:40:15 |
| 27 | सप्तमी |
मकर |
23:43:59 |
श्रवण |
02:33:19 |
6:49:11 |
12:48:26 |
|---|
| अष्टमी | 17:40:15 |
| 28 | अष्टमी |
कुंभ |
0:40:27 |
धनिष्ठा |
02:50:15 |
6:49:52 |
13:22:25 |
|---|
| नवमी | 17:40:16 |
| 29 | नवमी |
कुंभ |
0:40:27 |
शतभिषा |
02:23:40 |
6:50:33 |
13:56:54 |
|---|
| दशमी | 17:40:18 |
| 30 | दशमी |
मीन |
1:37:53 |
पू. भाद्रपद |
01:11:59 |
6:51:14 |
14:33:33 |
|---|
| एकादशी | 17:40:22 |
| 1 | एकादशी |
मीन |
2:37:27 |
रेवती |
23:14:8 |
6:51:54 |
15:14:16 |
|---|
| द्वादशी | 17:40:27 |
| 2 | द्वादशी |
मेष |
3:40:30 |
अश्विनि |
20:52:1 |
6:52:36 |
16:1:6 |
|---|
| त्रयोदशी | 17:40:34 |
| 3 | त्रयोदशी |
मेष |
4:47:54 |
भरणी |
18:0:24 |
6:53:15 |
16:55:40 |
|---|
| पूर्णिमा | 17:40:42 |
| 4 | पूर्णिमा |
वृषभ |
5:59:12 |
कृतिका |
14:55:11 |
6:53:55 |
17:58:6 |
|---|
| प्रथमा | 17:40:51 |
| 5 | प्रथमा |
वृषभ |
7:11:48 |
मृगशिरा |
08:50:3 |
6:54:35 |
19:6:9 |
|---|
| द्वितीया | 17:41:1 |
| 6 | द्वितीया |
मिथुन |
8:21:14 |
मृगशिरा |
06:15:56 |
6:55:15 |
20:15:32 |
|---|
| तृतीया | 17:41:13 |
| 7 | तृतीया |
मिथुन |
9:23:20 |
आर्द्रा |
04:12:59 |
| दिनाँक | Thursday, 06 November 2025 |
| तिथि | कृष्ण प्रतिपदा |
| वार | गुरुवार |
| पक्ष | कृष्ण पक्ष |
| सूर्योदय | 6:37:18 |
| सूर्यास्त | 17:32:48 |
| चन्द्रोदय | 17:59:55 |
| नक्षत्र | कृतिका |
| नक्षत्र समाप्ति समय | 27 : 29 : 35 |
| योग | वरीयान |
| योग समाप्ति समय | 26 : 41 : 54 |
| करण I | कौलव |
| सूर्यराशि | तुला |
| चन्द्रराशि | वृष |
| राहुकाल | 13:26:59 to 14:48:55 |
पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है तो वह उनकी
भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई अलग-अलग संस्कृतियाँ, धर्म और भाषाएँ मिलकर एक राष्ट्र का निर्माण करती हैं। संसार में भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हमारे देश की यह संस्कृति सदियों से दुनिया के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती आई है। प्रकृति में जिस प्रकार मौसम के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं, ठीक उसी प्रकार संस्कृति में भी भिन्नता देखने को मिलती है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत अनेक प्रकार की लोक संस्कृतियों का मिश्रण हैं। इस विविधता ने ही सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा हुआ है। यह एक ऐसा देश है जहां प्रत्येक समुदाय और धर्म के लोग भारतीय कैलेंडर 2025 के अनुसार अपने त्यौहारों के साथ-साथ अन्य धर्म के पर्वों को भी धूमधाम से मनाते हैं। इस प्रकार हर दिन न केवल देश में रहने वाले भारतीयों के लिए बल्कि विदेशों में रहने वालों के लिए भी उत्सव का एक नया दिन है।
भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं त्यौहार जो हमारे जीवनशैली का भी अभिन्न अंग हैं। त्योहारों की विविधिता समस्त देशवासियों की एकता का प्रतीक हैं। हर त्यौहार को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। हमारे लिए, यह मिलजुल कर आपस में प्रेम एवं खुशियां बाँटने का एक अवसर है क्योंकि हम सब एकसाथ मिलकर त्यौहार मनाते हैं। देश के नागरिक क्रिसमस पर गिरजाघर में जाकर प्रार्थना करते है, वही दिवाली के दौरान अपने घर के आँगन को दीयों से सजाते हैं। होली के रंग से आपसी मनमुटाव को दूर करते हैं जबकि पोंगल की रौनक से पूरा देश जगमगा उठता है, लेकिन हर क्षेत्र के त्योहार की परम्परा अलग है पर इसका मकसद सबको एकजुट करना हैं। प्रत्येक भारतीय त्योहार हमारी बहुसांस्कृतिक भूमि की एकता को दर्शाता है।
1. दिवाली: हिंदू पंचांग के अनुसार, रोशनी का पर्व दिवाली(Diwali) वर्ष का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध त्यौहार है जो भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। पूरे देश में उत्साह से मनाई जाने वाली दिवाली का अपना विशेष धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार होने के बावजूद, इस पर्व को सभी धर्मों के लोगों के द्वारा समान उत्साह के साथ मनाया जाता है।
2. होली: होली को रंगों के त्यौहार के रूप में चिह्नित किया जाता है जो प्रेम एवं सद्भाव का पर्व हैं। यह एक ऐसा त्यौहार है जो विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाता हैं, साथ ही हर कोई मिलकर एक ही नारा लगाता है, "बुरा न मानो होली है!"। पकवान, गाने और नृत्य का संयोजन होली(Holi) के दिन को विशेष बनाता है। यह दिन किसी पुराने रिश्ते की नई शुरुआत करने के सबसे अच्छा होता है।
3. मकर संक्रांति: मकर संक्रांति एक हिन्दू पर्व है जो हिंदू कैलेंडर 2025 के अनुसार, पूरे भारत में जनवरी के महीने में मनाया जाता है। इस दिन मौसम की पहली फसल की कटाई करने की परंपरा है। मकर संक्रांति पर किसान फसल की अच्छी पैदावार के लिए देवताओं और प्रकृति को धन्यवाद देते हैं, साथ ही इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। इस पर्व के नाम में भौगोलिक स्थिति के आधार पर भिन्नता पाई जाती है जो इस प्रकार हैं:
4. ईद-उल-फितर: इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से प्रमुख है ईद-उल-फितर जो पर्व और त्यौहार 2025 की सूची का एक हिस्सा है। यह पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत विशेष होता है क्योंकि वे रमजान के पवित्र माह के बाद अपने महीने भर का उपवास या रोज़ा तोड़ते हैं। यह त्यौहार अनेकता में एकता" का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं जो सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ मिलकर इफ्तार का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान करता है, साथ ही ये दिन कृतज्ञता, सद्भाव और आनंद से पूर्ण होता है।
5. क्रिसमस:यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार भारत में भी समान रूप से मनाया जाता है। क्रिसमस के पेड़ पर लाल, सफेद और हरे रंग की सजावट मन को मोह लेती हैं, सभी लोग इस पर्व को बेहद उत्साह से मनाते है। इस दिन केवल ईसाई धर्म के लोग ही चर्च नहीं जाते, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी समान रूप से अपने बच्चों को सांता क्लॉज़ दिखने और प्रार्थना करने के लिए चर्च जाते हैं।
इस प्रकार हमारा देश अलग-अलग परंपराओं वाले विभिन्न पर्वों को धूमधाम से मनाता है जो दुनिया में भारत को सबसे विशिष्ट बनाता हैं। यह एकजुटता की भावना का प्रतीक है और इस दौरान लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों और मिठाइयों को प्रेमपूर्वक बांटेते हैं।
देश में मनाए जाने वाले त्यौहारों की सूची काफी लंबी है, लेकिन यह इस बात की तरफ इशारा करती है कि भारतीय किसी भी ऐसे अवसर में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं जो उन्हें उत्साह और जश्न का मौका देता है। यहाँ आपको इस वर्ष में आने वाले महत्वपूर्ण पर्व एवं त्यौहार की तिथि एवं मुहूर्त आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। पर्व व त्यौहार 2025 (Festival 2025 Date) की तिथियां नीचे देखें:
हिंदू त्योहारों की सूची के साथ-साथ अन्य समुदायों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों के बारे में अधिक जानने के लिए, या शुभ तिथि के लिए मुहूर्त जानने के लिए, तुरंत एस्ट्रोयोगी के ज्योतिषियों से संपर्क करें!