शनि जयंती या शनिश्चरी अमावस्या सनातन धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है जो भगवान शनि के सम्मान में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म और ज्योतिष में सूर्य देव के पुत्र भगवान शनि को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शनि देव को न्याय के देवता माना गया है जो कर्म फल के दाता है अर्थात शनि देव हर मनुष्य को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 26, 2025 को 12:11 पी एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - मई 27, 2025 को 08:31 ए एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 16, 2026 को 05:11 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - मई 17, 2026 को 01:30 ए एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - जून 04, 2027 को 04:05 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - जून 05, 2027 को 01:09 ए एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 23, 2028 को 02:09 पी एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - मई 24, 2028 को 01:45 पी एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - जून 11, 2029 को 08:17 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - जून 12, 2029 को 09:19 ए एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 31, 2030 को 09:15 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - जून 01, 2030 को 11:50 ए एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 20, 2031 को 11:14 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - मई 21, 2031 को 12:46 पी एम बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ - जून 07, 2032 को 06:47 ए एम बजे अमावस्या तिथि समाप्त - जून 08, 2032 को 07:01 ए एम बजे
शनि जयंती को सूर्य पुत्र भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन साल 2024 मे 06 जून को है। भगवान शनि सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र है और यम व यमुना इनके भाई-बहन है।
शनि जयंती पर भगवान शनि का पूजन करना कल्याणकारी होता है। शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए भगवान शनि का पूजन इस प्रकार करें:
शनि जयंती पर व्रती को प्रात:काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
अब चौकी पर काले रंग के वस्त्र को बिछाएं और उस पर शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
इसके पश्चात शनि देव के सामने देशी घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
अब शनि देव की प्रतिमा को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवायें।
इसके बाद कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ फूल शनिदेव को अर्पित करें।
भगवान शनि को इमरती या तेल से बनी मिठाई का प्रसाद के रूप भोग लगाएं।
पंचोपचार और पूजा के सम्पन्न होने के बाद शनि मंत्र की एक माला का जाप करें।
माला जाप के बाद शनि चालीसा का पाठ करें।
अंत में शनिदेव की आरती करें एवं पूजा संपन्न करें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शनि को नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त हैं जिन्हे न्यायाधीश माना गया है और समस्त नवग्रहों में शनि ग्रह सबसे धीमा चलने वाला ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में शनि की अशुभ दृष्टि के कारण ही इसे पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। शनि देव मकर और कुंभ राशियों के स्वामी हैं। क्रूर ग्रह के नाम से प्रसिद्ध शनि देव का रंग काला है और इनके कुल 9 वाहन है।
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति पर शनि की दृष्टि पड़ जाए तो सामान्य परिस्थिति में भी उस व्यक्ति का अशुभ होना निश्चित है, लेकिन शनि देव सदैव जातकों का बुरा नहीं करते हैं। शनि देव की कृपा किसी जातक को रंक से राजा बना सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति शनि जयंती के दिन सच्चे मन से पूजा करता है, उसे शनि देव की कृपा बहुत जल्द प्राप्त होती है।
शनि जयंती का महत्व
सनातन धर्म में भगवान शनि को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है और शनि जयंती के दिन इनका पूजन फलदायी सिद्ध होता है। न्याय के देवता शनि उन लोगों को सफलता प्रदान करते है, जिन्होंने कड़ी मेहनत, अनुशासन और ईमानदारी के द्वारा अपने जीवन में तपस्या और संघर्ष किया है।
ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होने के कारण शनि साढ़े साती या ढैया के दौरान अनेक कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। उन जातकों को शनि जयंती के दिन भगवान शनि की पूजा एवं उपासना से लाभ मिलता है। शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए शनि जयंती सर्वोत्तम दिन होता है।
शनि को पश्चिम का भगवान माना जाता है और वे सौरी, मंदा, नील, यम, कपिलक्ष और छटा सुनु आदि नामों से जाने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में एक बार शनिदेव की साढ़े साती से गुजरना पड़ता हैं और ऐसी स्थिति में आपको शनि देव कर्मों के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्रदान करते है। इस दिन पूजन से शनि देव आपको अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे, जिससे आपको सफलता मिलेगी, साथ ही पीड़ा और कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
यही कारण है कि हिंदू देवता भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए लोग पूजा करते हैं, उनसे प्रार्थना करते हैं जिससे उनके जीवन से शनि का बुरा प्रभाव कम हो सकें। साढ़े साती का सामना करने वाले लोगों को भगवान शनि का नियमित पूजन करना चाहिए। शनि जयंती के दिन उपवास करके और भगवान शनि के मंदिर में जाकर भक्तों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
शनि जयंती पर पीपल की जड़ में जल चढ़ाने एवं दीपक जलाने से अनेक दुखों एवं कष्टों का निवारण होता है।
इस दिन पीपल के पेड़ को लगाने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
शनि जयंती पर शनि देव से जुड़ी वस्तुओं जैसे काले कपड़े, काले तिल, सरसों के तेल आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान शनि के आराध्य भगवान शिव का काले तिल मिले हुए जल से अभिषेक करना चाहिए।
इस दिन भगवान शनि सहित हनुमान जी की उपासना से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
शनि जयंती पर शनि दोष के निवारण के लिए सुबह स्नान करने के बाद शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल सहित कटोरी को शनि मंदिर में दान करें।
पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।
दिनाँक | Thursday, 14 November 2024 |
तिथि | शुक्ल चतुर्दशी |
वार | गुरुवार |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
सूर्योदय | 6:43:37 |
सूर्यास्त | 17:28:8 |
चन्द्रोदय | 16:11:4 |
नक्षत्र | अश्विनी |
नक्षत्र समाप्ति समय | 24 : 33 : 53 |
योग | व्यतिपात |
योग समाप्ति समय | 31 : 30 : 58 |
करण I | गर |
सूर्यराशि | तुला |
चन्द्रराशि | मेष |
राहुकाल | 13:26:27 to 14:47:01 |