हिंदुओं का सबसे पवित्र एवं प्रमुख पर्व हैं महाशिवरात्रि। वर्ष 2025 में कब है महाशिवरात्रि का पर्व? क्या है इस पर्व का महत्व? जानने के लिए पढ़ें।
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्यौहार हिन्दुओं के सर्वाधिक पवित्र एवं महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है जो देवो के देव "महादेव" को समर्पित होता हैं। पुराणों, वेदों और हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव के महात्म्य का वर्णन किया गया है। शिवशंकर की आराधना के लिए हर दिन शुभ होता है लेकिन सोमवार, सावन,शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 26, 2025 को 11:08 ए एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी 27, 2025 को 08:54 ए एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 15, 2026 को 05:04 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी 16, 2026 को 05:34 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 06, 2027 को 12:03 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 07, 2027 को 01:46 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 23, 2028 को 10:44 ए एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी 24, 2028 को 01:26 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 11, 2029 को 01:29 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी 12, 2029 को 02:34 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 02, 2030 को 12:22 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 03, 2030 को 12:01 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 20, 2031 को 02:44 ए एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी 20, 2031 को 11:54 पी एम बजे चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 10, 2032 को 04:51 ए एम बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 11, 2032 को 01:18 ए एम बजे
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:29 पी एम से 09:34 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:34 पी एम से 12:39 ए एम, फरवरी 27
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:39 ए एम से 03:45 ए एम, फरवरी 27
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:45 ए एम से 06:50 ए एम, फरवरी 27
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:23 पी एम से 09:32 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:32 पी एम से 12:41 ए एम, फरवरी 16
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:41 ए एम से 03:50 ए एम, फरवरी 16
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:50 ए एम से 06:59 ए एम, फरवरी 16
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:32 पी एम से 09:35 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:35 पी एम से 12:38 ए एम, मार्च 07
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:38 ए एम से 03:41 ए एम, मार्च 07
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:41 ए एम से 06:44 ए एम, मार्च 07
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:27 पी एम से 09:33 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:33 पी एम से 12:40 ए एम, फरवरी 24
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:40 ए एम से 03:47 ए एम, फरवरी 24
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:47 ए एम से 06:53 ए एम, फरवरी 24
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:21 पी एम से 09:31 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:31 पी एम से 12:41 ए एम, फरवरी 12
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:41 ए एम से 03:51 ए एम, फरवरी 12
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:51 ए एम से 07:01 ए एम, फरवरी 12
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:30 पी एम से 09:35 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:35 पी एम से 12:39 ए एम, मार्च 03
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:39 ए एम से 03:43 ए एम, मार्च 03
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:43 ए एम से 06:47 ए एम, मार्च 03
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:25 पी एम से 09:33 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:33 पी एम से 12:40 ए एम, फरवरी 21
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:40 ए एम से 03:48 ए एम, फरवरी 21
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:48 ए एम से 06:55 ए एम, फरवरी 21
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:34 पी एम से 09:35 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:35 पी एम से 12:37 ए एम, मार्च 11
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:37 ए एम से 03:38 ए एम, मार्च 11
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:38 ए एम से 06:39 ए एम, मार्च 11
हिन्दू संस्कृति के प्रणेता आदिदेव महादेव को माना गया हैं जो समस्त देवी एवं देवताओं में सर्वशक्तिमान एवं सर्व्यापक है। शिव जी की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि को दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के मुताबिक़, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वहीं, उत्तर भारतीय पंचांग (पूर्णिमान्त पंचांग) के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का त्यौहार पूर्णिमान्त व अमावस्यान्त दोनों ही पंचांगों के अनुसार एक ही तिथि पर पड़ता है, इसलिए अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार भी इस पर्व की तारीख़ समान रहती है।
महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के पर्व को भोलेनाथ के भक्त अत्यंत हर्षोर्ल्लास, भक्ति एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाते हैं। इस दिन सभी शिव भक्त अपने आराध्य का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और रात्रि के समय जागरण करते हैं। यह पर्व हिन्दू धर्म के अन्य त्यौहारों से बिल्कुल विपरीत रात के दौरान मनाया जाता है। इसके विपरीत महाशिवरात्रि का पर्व उपवास तथा ध्यान के द्वारा जीवन में व्याप्त अंधेरे एवं बाधाओं को नियंत्रित करने के रूप में चिह्नित है। महाशिवरात्रि का समय अंत्यंत शुभ होता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव और आदिशक्ति की दिव्य शक्तियां एक साथ आती हैं। इस दिन महाशिवरात्रि व्रत का पालन, भगवान शिव का पूजन एवं ध्यान, आत्मनिरीक्षण, सामाजिक सद्भाव आदि शिव मंदिरों में किया जाता है।
महाशिवरात्रि से सम्बंधित कई पौराणिक मान्यताएं हैं। लिंग पुराण में महाशिवरात्रि के महत्व का वर्णन किया गया है जिसके अंर्तगत महाशिवरात्रि व्रत करने तथा भगवान शिव व उनके प्रतीकात्मक प्रतीकों जैसे लिंगम के महत्व का विस्तारपूर्वक वर्णन हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस रात को महादेव ने तांडव नृत्य का प्रदर्शन किया था जो सृजन और विनाश की अतिशक्तिशाली और दिव्य अभिव्यक्ति है।
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए यह दिन विवाहित जोड़ों द्वारा सुखी-वैवाहिक जीवन और अविवाहित कन्याओं द्वारा एक अच्छे पति की कामना करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।
वैदिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शंकर अर्थात स्वयं शिव ही चतुर्दशी तिथि के स्वामी हैं। यही वज़ह है कि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि को अत्यंत शुभ कहा गया है। गणित ज्योतिष की गणना के मुताबिक, महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण में होते हैं, साथ ही ऋतु-परिवर्तन भी हो रहा होता है।
ज्योतिष के अनुसार, ऐसी भी मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अत्यंत कमज़ोर होते हैं और भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। अतः शिवजी की पूजा एवं उपासना से व्यक्ति का चंद्र मज़बूत होता है जो मन का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य शब्दों में कहें तो शिव जी के पूजन से इच्छा-शक्ति ढृंढ होती है, साथ ही अदम्य साहस का संचार होता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने हेतु भगवान शिव की पूजा इस प्रकार करें:
मिट्टी के बने लोटे द्वारा पानी या दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके पश्चात शिवलिंग पर बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि अर्पित करने चाहिए। यदि घर के निकट कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन करना चाहिए।
इस दिन शिवपुराण का पाठ तथा महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जप करना चाहिए। महाशिवरात्रि की रात जागरण करने की भी परंपरा है।
शास्त्रों के अनुसार,महाशिवरात्रि की पूजा निशीथ काल में करना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस दिन शिव भक्त चारों प्रहरों में से किसी भी पहर में अपनी सुविधानुसार पूजा कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात्रि समस्त शिव मंदिर ’ओम नमः शिवाय’ के उच्चारण से गूंज उठते हैं तथा सभी भगवान शिव के सम्मान में भक्ति गीत गाते हैं।
महाशिवरात्रि से जुड़ीं अनेक कथाएँ प्रचलित हैं इन्ही में से एक कथा के बारे में हम जानेंगे। पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घनघोर तपस्या की थी। इस कथा के परिणामस्वरूप फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उस समय से ही महाशिवरात्रि को अत्यंत पवित्र माना जाता है।
इसके अतिरिक्त, गरुड़ पुराण में महाशिवरात्रि से जुड़ीं एक अन्य कथा का वर्णन मिलता है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार पर गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। थकान एवं भूख-प्यास से परेशान होकर एक तालाब के किनारे गया, जहाँ बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था। अपने शरीर को आराम देने के लिए निषादराज ने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उसने उन पर तालाब का जल छिड़का और जल की कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी गिर गई। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे जा गिरा और जिसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने झुका। इस तरह अनजाने में ही उसने शिवरात्रि पर शिव पूजा की प्रक्रिया पूरी कर ली। मृत्यु के उपरांत जब यमदूत उसे लेने के लिए आए, तब शिव जी के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया।
इस प्रकार अज्ञानतावश महाशिवरात्रि पर किये गए शिव जी के पूजन से शुभ फल की प्राप्ति हुई, अपनी सोच और श्रद्धभाव द्वारा किये गए देवाधिदेव महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी सिद्ध होगा।
दिनाँक | Thursday, 21 November 2024 |
तिथि | कृष्ण षष्ठी |
वार | गुरुवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 6:49:11 |
सूर्यास्त | 17:25:32 |
चन्द्रोदय | 22:44:5 |
नक्षत्र | पुष्य |
नक्षत्र समाप्ति समय | 15 : 37 : 29 |
योग | शुक्ल |
योग समाप्ति समय | 12 : 1 : 21 |
करण I | वणिज |
सूर्यराशि | वृश्चिक |
चन्द्रराशि | कर्क |
राहुकाल | 13:26:54 to 14:46:26 |