गुरु नानक जयंती 2025

bell iconShare

गुरु नानक जयंती का पर्व सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माना गया है जो हर साल देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती मुख्य रूप से गुरु नानक देव को समर्पित होती है जो एक दार्शनिक, समाज सुधारक, चिंतक एवं कवि थे। वर्तमान युग के लिए गुरु नानक देव एक आदर्श गुरु हैं जिन्होंने अपनी शिक्षाओं से समाज का मार्गदर्शन किया। 

गुरु नानक जयंती को हर वर्ष गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक के जन्मदिवस को गुरु नानक जयंती या गुरु पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर गुरु नानक जयंती या गुरु पूर्णिमा को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। यह सामान्यरूप से दिसंबर के महीने में आती है। 

गुरु नानक जयंती 2025 तिथि एवं मुहूर्त 

bell icon गुरु नानक जयन्ती मुहुर्तbell icon
bell icon गुरु नानक जयन्ती मुहुर्तbell icon

कैसे मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?

गुरू नानक जयंती के पर्व को सिख धर्म के लोगों द्वारा  प्रकाश पर्व के रूप में मनाने का प्रावधान हैं। इस दिन से कुछ समय पूर्व ही पाठ करके समाज के प्रति गुरू नानक देव के समर्पण का स्मरण करते हैं। इस तिथि पर सिख समुदाय के कुछ लोग अखंड पाठ का आयोजन करते हैं, जिसमें गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। इस तिथि पर लगभग 48 घंटे तक अखंड पाठ का आयोजन कर सभी सिख गुरू नानक देव की जयंती से एक दिन पहले प्रभात फेरी निकालते हैं।

गुरु नानक जयंती का महत्व 

गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, साथ ही वे सिखों के दस गुरुओं में से प्रथम गुरु भी थे। गुरु नानक देव का जन्म वर्ष 1469 में लाहौर के निकट तलवंडी राय भोई गाँव में हुआ था जिसके नाम को बाद में बदलकर ननकाना साहिब कर दिया गया और इनका देहांत 1539 में करतारपुर, पंजाब में हुआ था। गुरु नानक जी द्वारा दी गई शिक्षा और उपदेश आज भी उनके अनुयायियों के बीच काफ़ी लोकप्रिय और महत्व रखते है।  गुरु नानक देव ने अपने जीवनकाल में आध्यात्मिक शिक्षा के आधार पर ही सिख धर्म को स्थापित किया था। 

ऐसी मान्यता हैं सिख धर्म की स्थापना गुरू नानक देव द्वारा ही की गई थी, इसलिए सिख इन्हे अपना आदि गुरू मानते हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में एक समाज सुधारक और धर्म सुधारक के रूप में अनेक यात्राएं की थी। इन यात्राओं के दौरान गुरु नानक जी ने एक कवि के साथ विश्व बंधू के रूप में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सिर्फ 16 साल की आयु में विवाह होने और बेटे लखीमदास के जन्म के पश्चात भी जब उनका मन घर-गृहस्थी में नहीं लगा तो गुरु नानक जी गृहस्थ जीवन का त्याग करके भारत सहित अन्य देशों की यात्रा पर निकल गए और अपने धार्मिक उपदेशों के माध्यम से वहां उन्होंने लोगों को सही रास्ते पर लाने का कार्य किया।

गुरु नानक जयंती का धार्मिक महत्व

गुरु पूर्णिमा का दिन सिख धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए बेहद ख़ास होता है। गुरु नानक देव से आशीष पाने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन सच्चे मन से गुरु नानक जी का ध्यान कर उनका स्मरण करने और गुरबाणी सुनने से मन को शांति प्राप्त होती है।

गुरु नानक जयंती से जुड़ीं ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना एवं मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। इस दिन गुरु नानक पर्व की खुशी में कई लोग प्रसाद, हलवा, बिस्कुट, नमकीन, मिठाईयां और फल आदि बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि सिख धर्म की प्रार्थना जपजी साहिब गुरु नानक देव द्वारा लिखी गई थी।  

गुरु नानक का समाज में योगदान

धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए गुरु नानक देव जाने जाते थे। इन्होने समाज में अपनी शिक्षा और उपदेश से विशेष योगदान दिया हैं जो इस प्रकार है।  

  1. गुरु नानक जी ने समानता और भाईचारे के आधार पर समाज तथा महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया।

  2. इन्होने संसार को 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' का संदेश दिया। इसका अर्थ है- ईश्वर के नाम का जप करो, ईमानदारी और मेहनत के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभाओ, जो कुछ भी कमाते हो उसे ज़रूरतमंद लोगों के साथ बाँटो।

  3. गुरु नानक जी ने यज्ञ, धार्मिक स्नान, मूर्ति पूजा, कठोर तपस्या आदि अनुष्ठानों को नकार दिया।

  4. यह एक ऐसे आदर्श व्यक्ति थे, जो जीवनभर एक संत की तरह रहे और समस्त संसार को 'कर्म' का सन्देश दिया।

  5. उन्होंने विश्व को ईश्वर भक्ति के 'निर्गुण' रूप की शिक्षा दी।

  6. इसके अतिरिक्त गुरु नानक देव ने अपने अनुयायियों को एक समुदाय के रूप में संगठित किया और सामूहिक पूजा के लिए कुछ नियमों का निर्माण किया।

  7. गुरु नानक जी ने ही अपने अनुयायियों को ‘एक ओंकार’ का मंत्र प्रदान किया, साथ ही जाति, पंथ तथा लिंग के आधार पर बिना भेदभाव किये बिना सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करने पर ज़ोर दिया।

आधुनिक भारत में गुरु नानक देव की शिक्षा का अनुसरण इस प्रकार किया जा रहा है: 

वर्तमान भारत में आज भी गुरु नानक जी द्वारा दी गई शिक्षा का अनुसरण किया जा रहा है जो हमें अनेक स्थानों पर देखने को मिलती है।

लंगर: सामूहिक खाना बनाना और सभी को समान रूप से भोजन को वितरित करना।

पंगत: उच्च और निम्न जाति के भेदभाव के बिना एकसाथ भोजन करना।

संगत: सामूहिक निर्णय लेना।

गुरु गुरु नानक जी की दस शिक्षाएं -

  • परम पिता परमेश्वर एक हैं|  

  • सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करो|  

  • ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में विद्यमान हैं|

  • ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी भय नहीं रहता|

  • ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए|

  • बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सताएं|

  • हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें|

  • मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें|

  • सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं|

  • भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है| परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है|

पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।

bell icon
bell icon
bell icon
जानकी जयन्ती
जानकी जयन्ती
21 फरवरी 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:नवमी
विजया एकादशी
विजया एकादशी
24 फरवरी 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:एकादशी
प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत
25 फरवरी 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:द्वादशी
महा शिवरात्रि
महा शिवरात्रि
26 फरवरी 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:चतुर्दशी
फाल्गुन अमावस्या
फाल्गुन अमावस्या
27 फरवरी 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:अमावस्या
गणेश जयन्ती
गणेश जयन्ती
01 फरवरी 2025
Paksha:शुक्ल
Tithi:चतुर्थी

अन्य त्यौहार

Delhi- Friday, 21 February 2025
दिनाँक Friday, 21 February 2025
तिथि कृष्ण नवमी
वार शुक्रवार
पक्ष कृष्ण पक्ष
सूर्योदय 6:54:36
सूर्यास्त 18:16:3
चन्द्रोदय 1:20:35
नक्षत्र ज्येष्ठा
नक्षत्र समाप्ति समय 41 : 41 : 18
योग हर्षण
योग समाप्ति समय 35 : 56 : 48
करण I तैतिल
सूर्यराशि कुम्भ
चन्द्रराशि वृश्चिक
राहुकाल 11:10:08 to 12:35:19
आगे देखें

एस्ट्रो लेख और देखें
और देखें