मकर संक्रांति 2025

bell iconShare

मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण होने की ख़ुशी में मनाया जाता है जो सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार है। साल 2025 में कब है मकर संक्रांति? इस दिन का धार्मिक, ज्योतिषीय महत्व एवं तिथि के बारे में जानने के लिए, अभी पढ़ें। 

2025 में कब है मकर संक्रांति?

bell icon मकर संक्रान्ति मुहुर्तbell icon
bell icon मकर संक्रान्ति मुहुर्तbell icon

मकर संक्रांति का पर्व हिन्दुओं का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान सूर्य को समर्पित होता है। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, यदि इस संक्रांति के शुरूआती छह घंटे के भीतर दान-पुण्य किया जाए तो वो फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में वर्णित है कि दान सदैव अपनी कमाई से ही करना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि दूसरों को सताकर या दुख देकर कमाए गए धन से दान करने पर कभी भी फल की प्राप्ति नहीं होती है। मकर संक्रांति का त्यौहार किसानों के लिए भी विशेष होता है। 

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टि से भी मकर संक्रांति का अत्यधिक महत्व है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। जैसाकि शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी है इसलिए मकर संक्रांति का पर्व पिता-पुत्र के मिलन से भी सम्बंधित है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करने का काफी महत्व होता है।

शास्त्रों में दक्षिणायन को नकारात्मकता और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। श्रीभगवद् गीता के अध्याय 8 में भगवान कृष्ण ने कहा हैं कि उत्तरायण के छह माह के दौरान देह त्यागने से ब्रह्म गति प्राप्त होती हैं जबकि दक्षिणायन के छह महीने में देह त्यागने वाले मनुष्य को संसार में पुनः जन्म-मृत्यु के चक्र की प्राप्ति होती हैं।

मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व

मकर संक्रांति का पर्व सामान्यतः 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन जब पौष माह में सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है या दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाते है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करने को संक्रांति कहते है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जनवरी महीने में प्रायः 14 तारीख को जब सूर्य धनु राशि से (दक्षिणायन) मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

हिंदू त्यौहारों की गणना अधिकतर चंद्र आधारित पंचांग के आधार पर होती है लेकिन मकर संक्रांति को सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना द्वारा मनाया जाता है। इस दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। शरद ऋतु धीरे-धीरे कम होने लगती है और बसंत ऋतु का आरम्भ हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।

आइये जानते है, देश के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाते है? 

मकर संक्रांति के त्यौहार को नई ऋतु और नई फसल के आगमन के रूप में भी किसानों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन देश के कई राज्यों जैसे यूपी, पंजाब, बिहार सहित तमिलनाडु में नई फसल की कटाई की जाती है, इसलिए किसान द्वारा मकर संक्रांति के पर्व को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। 

खेतों में धान की लहलहाती फसल किसानों को उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है जो ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से ही संभव होता है। मकर संक्रांति पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ’लोहड़ी’ के नाम से प्रसिद्ध है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को ’पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है, वहीं यह पर्व उत्तर प्रदेश और बिहार में ’खिचड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं खिचड़ी बनाते है तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाये जाते हैं।

लोहड़ी: मकर संक्रांति के दिन सहित उत्तर भारत पंजाब में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है जो फसलों की कटाई करने के बाद 13 जनवरी को मनाई जाती है। संध्याकाल पर अलाव जलाकर अग्नि को तिल, गुड़ और मक्का का भोग लगाया जाता है।

पोंगल: दक्षिण भारत का प्रमुख हिन्दू त्यौहार है पोंगल जो मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से किसानों का होता है। इस अवसर पर धान की कटाई करने के बाद लोग अपनी खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल मनाते हैं। पोंगल को ’तइ’ नामक तमिल माह की पहली तारीख अर्थात जनवरी की 14 तारीख को मनाया जाता है। तीन दिनों तक निरंतर चलने वाला पर्व सूर्य देव और इंद्र देव को समर्पित होता है। पोंगल के त्यौहार द्वारा समस्त किसान उपजाऊ भूमि, अच्छी बारिश एवं फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद प्रकट करते हैं। 

उत्तरायण: गुजरात में उत्तरायण को विशेष रूप से मनाया जाता है। नई फसल और ऋतु के आगमन की ख़ुशी में इस पर्व को 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर गुजरात में पतंग उड़ाने की परंपरा है और इस दिन यहाँ पर पतंग महोत्सव का आयोजन भी होता है। उत्तरायण के दिन व्रत भी किया जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाने की परंपरा है।

बिहू: माघ माह की संक्रांति के प्रथम दिन से माघ बिहू अर्थात भोगाली बिहू का त्यौहार मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से फसल की कटाई का पर्व है। बिहू के अवसर पर कई तरह के पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं। भोगाली बिहू के दिन अलाव जलाकर तिल और नरियल से बने व्यंजन से अग्नि देवता को भोग लगाए जाते हैं। 

मकर संक्रांति से जुड़ें रीति-रिवाज़ 

मकर संक्रांति के दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। इस दिन विशेष रूप से पतंग महोत्सव आयोजित किये जाते है। 
अग्नि के आसपास लोक गीत पर नृत्य किया जाता है जिसे आंध्र प्रदेश में "भोगी", पंजाब में "लोहड़ी" और असम में "मेजी" केहते है।
इस दिन धान और गन्ना आदि फसलों की कटाई की जाती है।
मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में स्नान करना शुभ होता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है।
इस दिन सफलता और समृद्धि के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है जिन्हें ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति पर "
कुंभ मेला", "गंगासागर मेला" और "मकर मेला" आदि आयोजित किए जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन क्या दान करें?

  • तिल: मकर संक्रांति के दिन ब्राह्माणों को तिल से बनी चीजों का दान करना पुण्यकारी माना गया है। 
  • कंबल का दान: इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल का दान करना बेहद शुभ होता है। 
  • खिचड़ी का दान: मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन खिचड़ी के दान से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • घी: मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी का दान करने से करियर में लाभ और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। 
  • गुड़: इस दिन गुड़ के दान से नवग्रह से जुड़ें दोष दूर हो जाते है।

bell icon
bell icon
bell icon
कालभैरव जयन्ती
कालभैरव जयन्ती
22 नवम्बर 2024
Paksha:कृष्ण
Tithi:अष्टमी
उत्पन्ना एकादशी
उत्पन्ना एकादशी
26 नवम्बर 2024
Paksha:कृष्ण
Tithi:एकादशी
प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत
28 नवम्बर 2024
Paksha:कृष्ण
Tithi:त्रयोदशी
मासिक शिवरात्रि
मासिक शिवरात्रि
29 नवम्बर 2024
Paksha:कृष्ण
Tithi:चतुर्दशी
चोपड़ा पूजा
चोपड़ा पूजा
01 नवम्बर 2024
Paksha:शुक्ल
Tithi:प्रथमा
केदार गौरी व्रत
केदार गौरी व्रत
01 नवम्बर 2024
Paksha:शुक्ल
Tithi:प्रथमा

अन्य त्यौहार

Delhi- Thursday, 21 November 2024
दिनाँक Thursday, 21 November 2024
तिथि कृष्ण षष्ठी
वार गुरुवार
पक्ष कृष्ण पक्ष
सूर्योदय 6:49:11
सूर्यास्त 17:25:32
चन्द्रोदय 22:44:5
नक्षत्र पुष्य
नक्षत्र समाप्ति समय 15 : 37 : 51
योग ब्रह्म
योग समाप्ति समय 35 : 33 : 12
करण I वणिज
सूर्यराशि वृश्चिक
चन्द्रराशि कर्क
राहुकाल 13:26:54 to 14:46:26
आगे देखें

एस्ट्रो लेख और देखें
और देखें