नाग पंचमी 2022
2 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:48 से 8:28 (2 अगस्त 2022)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 05:12 (2 अगस्त 2022)
पंचमी तिथि समाप्ति - 05:41 (3 अगस्त 2022)
नाग पंचमी 2023
21 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:58 से 8:32 (21 अगस्त 2023)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 00:21 (21 अगस्त 2023)
पंचमी तिथि समाप्ति - 01:59 (22 अगस्त 2023)
नाग पंचमी 2024
9 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:52 से 8:30 (9 अगस्त 2024)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 00:36 (9 अगस्त 2024)
पंचमी तिथि समाप्ति - 03:13 (10 अगस्त 2024)
नाग पंचमी 2025
29 जुलाई
पूजा मुहूर्त - 05:46 से 8:26 (29 जुलाई 2025)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 23:23 (28 जुलाई 2025)
पंचमी तिथि समाप्ति - 00:45 (30 जुलाई 2025)
नाग पंचमी 2026
17 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:56 से 8:32 (17 अगस्त 2026)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 16:52 (16 अगस्त 2026)
पंचमी तिथि समाप्ति - 16:59 (17 अगस्त 2026)
नाग पंचमी 2027
6 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:50 से 8:29 (6 अगस्त 2027)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 02:26 (6 अगस्त 2027)
पंचमी तिथि समाप्ति - 00:22 (7 अगस्त 2027)
नाग पंचमी 2028
26-07-, दिन बुधवार
पूजा मुहूर्त-सुबह 05:39 से सुबह 08:23 (26-07-2028)
पंचमी तिथि प्रारंभ-रात 02:27 (06-07-2028) से
पंचमी तिथि समाप्ति-रात 12:22 (07-07-2028) तक
नाग पंचमी 2029
14-08-, दिन मंगलवार
पूजा मुहूर्त-सुबह 05:50 से सुबह 08:28 (14-08-2029)
पंचमी तिथि प्रारंभ-रात 09:05 (13-08-2029) से
पंचमी तिथि समाप्ति-शाम 06:20 (14-08-2029) तक
नाग पंचमी 2030
04-08-, दिन रविवार
पूजा मुहूर्त-सुबह 05:44 से सुबह 08:25 (04-08-2030)
पंचमी तिथि प्रारंभ-दोपहर 03:38 (03-08-2030) से
पंचमी तिथि समाप्ति-दोपहर 02:26 (04-08-2030) तक
नाग पंचमी 2031
24-07-, दिन बृहस्पतिवार
पूजा मुहूर्त-सुबह 05:38 से सुबह 08:22 (24-07-2031)
पंचमी तिथि प्रारंभ-रात 02:49 (24-07-2031) से
पंचमी तिथि समाप्ति-रात 03:52 (25-07-2031) तक
नाग पंचमी 2032
11-08-, दिन बुधवार
पूजा मुहूर्त-सुबह 05:48 से सुबह 08:27 (11-08-2032)
पंचमी तिथि प्रारंभ-रात 08:21 (10-08-2032) से
पंचमी तिथि समाप्ति-रात 10:26 (11-08-2032) तक
हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये ही जाते हैं साथ ही देवी-देवताओं के प्रतिकों की पूजा अर्चना करने के साथ साथ उपवास रखने के दिन निर्धारित हैं। नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।
नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें
इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
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