मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात भगवान राम के जन्मदिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इस साल कब मनाई जाएगी राम नवमी और किस समय करें पूजा? जानने के लिए पढ़ें
राम नवमी का पर्व सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है और इस दिन का भगवान राम के भक्तों को वर्ष भर इंतजार रहता है। राम नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे जिनका जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था। इस त्यौहार को श्रीराम के भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।
हिन्दू कैंलेडर के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र माह की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप में मनाने का विधान है। चैत्र महीने की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व भी मनाया जाता है और इन दिनों भक्तों द्वारा उपवास भी रखा जाता हैं। त्रेता युग में भगवान राम ने धरती पर अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लिया था।
नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 05, 2025 को 07:26 पी एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 06, 2025 को 07:22 पी एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - मार्च 26, 2026 को 11:48 ए एम बजे नवमी तिथि समाप्त - मार्च 27, 2026 को 10:06 ए एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 14, 2027 को 03:23 पी एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 15, 2027 को 01:20 पी एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 03, 2028 को 11:59 ए एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 04, 2028 को 10:07 ए एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 22, 2029 को 12:54 पी एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 23, 2029 को 11:29 ए एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 11, 2030 को 09:00 पी एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 12, 2030 को 09:33 पी एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - मार्च 31, 2031 को 07:16 पी एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 01, 2031 को 09:34 पी एम बजे नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 18, 2032 को 10:03 ए एम बजे नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 19, 2032 को 12:27 पी एम बजे
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, राम नवमी का त्यौहार भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में वर्णित है। शास्त्रों में कहा गया है कि दुष्ट रावण के अत्याचारों का अंत तथा धर्म की पुन: स्थापना करने के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि पर पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में माता कौशल्या के गर्भ से राजा दशरथ के घर में अवतार लिया था।
रामनवमी का अपना विशेष धार्मिक और पारंपरिक महत्व है जो हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा पूरी भक्ति आस्था एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अर्थात राम नवमी के साथ ही चैत्र नवरात्रि का भी समापन हो जाता हैं। रामनवमी के दिन ही संतश्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का प्रारम्भ किया था।
भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का धरती पर अवतार लेने का एकमात्र उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की पुनः स्थापना करना था जिससे सामान्य मानव शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सके, साथ ही भगवान की भक्ति कर सके। उन्हें किसी प्रकार का दुःख या कष्ट न सहना पड़ें।
भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राम नवमी के दिन श्रीराम की पूजा इस प्रकार करें:
प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात पवित्र होकर पूजा स्थल पर बैठें और श्रीराम सहित समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करें।
इस पूजा में तुलसी के पत्ते और कमल के फूल को अवश्य शामिल करें।
इसके उपरांत श्रीराम नवमी की षोडशोपचार पूजा करें।
भगवान राम को खीर का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं।
राम नवमी पूजा के समापन के बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक करें।
भगवान श्रीराम का जन्म मध्याह्न के दौरान हुआ था अर्थात हिंदू दिवस के मध्य में। यह अवधि 2 घंटे 24 मिनट की होती है और इस अवधि के दौरान राम नवमी से जुड़ें सभी पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठान किये जाते है। भगवान श्री राम के जन्मदिन के साथ अनेक परंपराएं जुड़ीं हैं जैसे इस दिन कुछ लोग श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दिन भर व्रत करते हैं। इस दिन भक्तों सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखते है।
राम नवमी के अवसर पर पंडाल कार्यक्रम और राम मंदिरों में भजन और पाठ पूरे दिन किये जाते हैं। यह एक धार्मिक उत्सव है जिसका भगवान राम के सभी भक्तों को सालभर इंतजार रहता है।
राम नवमी के दिन किये जाने वाले उपवास तीन प्रकार के होते है।
आकस्मिक उपवास जो बिना किसी विशेष इच्छा या मनोकामना से किया जाता है, इसे नैमितिक भी कहते है।
जो पूरे जीवन में बिना किसी इच्छा के किया जा सकता है, इस व्रत को नित्य और वांछनीय के रूप में जाना जाता है।
जब उपवास किसी मनोकामना को पूरा करने के लिए किया जाता है, तो इसे काम्या कहा जाता है।
राम नवमी पर संपन्न किये जाने वाले कार्य
इस अवसर पर भगवान श्रीराम के भक्तजन रामायण का पाठ करते हैं।
रामनवमी के दिन रामरक्षा स्त्रोत का पाठ भी करते हैं।
इस दिन मंदिरों में भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
भगवान श्रीराम की मूर्ति का पुष्पों से शृंगार करके पूजा की जाती हैं।
इस दिन राम जी की मूर्ति को पालने में झूलाने की परंपरा हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, लंका नरेश रावण अपने शासनकाल में बहुत अधिक अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से मनुष्य सहित देवी-देवता भी त्रस्त थे, क्योंकि लंकापति रावण को ब्रह्मा जी से अनेक शक्तिशाली वरदान प्राप्त थे। रावण के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए गए और उनसे प्रार्थना करने लगे। भगवन विष्णु ने उनकी सहायता करने के लिए अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या के गर्भ से राम के रूप में जन्म लिया। भगवन राम का जन्म चैत्र की नवमी तिथि पर हुआ था, तब से ही इस दिन को रामनवमी के रूप में धूमधाम से मनाये जाने लगा। ऐसा भी माना जाता है कि राम नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
दिनाँक | Thursday, 21 November 2024 |
तिथि | कृष्ण षष्ठी |
वार | गुरुवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 6:49:11 |
सूर्यास्त | 17:25:32 |
चन्द्रोदय | 22:44:5 |
नक्षत्र | पुष्य |
नक्षत्र समाप्ति समय | 15 : 37 : 23 |
योग | शुक्ल |
योग समाप्ति समय | 12 : 1 : 12 |
करण I | वणिज |
सूर्यराशि | वृश्चिक |
चन्द्रराशि | कर्क |
राहुकाल | 13:26:54 to 14:46:26 |