राम नवमी जैसा कि नाम से ही ज्ञात है कि राम नवमी का संबंध भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिये हर युग में अवतार धारण किये। इन्हीं में एक अवतार उन्होंने भगवान श्री राम के रुप में लिया था। जिस दिन भगवान श्री हरि ने राम के रूप में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया वह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन था। यही कारण है कि इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का भी यह अंतिम दिन होता है।
क्यों और कैसे श्री राम का जन्म
पौराणिक ग्रंथों में जो कथाएं हैं उनके अनुसार भगवान राम त्रेता युग में अवतरित हुए। उनके जन्म का एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना, मानव समाज के लिये एक आदर्श पुरुष की मिसाल पेश करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। यहां धर्म का अर्थ किसी विशेष धर्म के लिये नहीं बल्कि एक आदर्श कल्याणकारी समाज की स्थापना से है।
राजा दशरथ जिनका प्रताप दशों दिशाओं में व्याप्त रहा। तीन-तीन विवाह उन्होंने किये थे लेकिन किसी भी रानी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऋषि मुनियों से जब इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के पश्चात यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया। कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा केकैयी को दिया इसके पश्चात कौशल्या और केकैयी ने अपने हिस्से से आधा-आधा हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इसीलिये चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम जन्मे। केकैयी से भरत ने जन्म लिया तो सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।
कैसे मनाते हैं रामनवमी
भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है। वे स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते। अनेक उदाहरण हैं जहां वे अपनी पत्नी सीता के प्रति समर्पित व उनका सम्मान करते नज़र आते हैं। वे समाज में व्याप्त ऊंच नीच को भी नहीं मानते। शबरी के झूठे बेर खाने का उदाहरण इसे समझने के लिये सर्वोत्तम है। वेद शास्त्रों के ज्ञाता और समस्त लोकों पर अपने पराक्रम का परचम लहराने वाले, विभिन्न कलाओं में निपुण लंकापति रावण के अंहकार के किले को ध्वस्त करने वाले पराक्रमी भगवान श्री राम का जन्मोत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन किये जाते हैं। श्री रामकथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। श्री राम स्त्रोत का पाठ किया जाता है। कई जगहों भर भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया जाता है। रामनवमी को उपवास भी रखा जाता है। मान्यता है कि रामनवमी का उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप नष्ट होते हैं।
पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।राम नवमी 2021
21 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:02 से 13:37
नवमी तिथि आरंभ – 00:42 (21 अप्रैल 2021)
नवमी तिथि समाप्त – 00:34 (22 अप्रैल 2021)
राम नवमी 2022
10 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:07 से 13:38
नवमी तिथि आरंभ – 01:23 (10 अप्रैल 2022)
नवमी तिथि समाप्त – 03:15 (11 अप्रैल 2022)
राम नवमी 2023
30 मार्च
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:12 से 13:39
नवमी तिथि आरंभ – 21:06 (29 मार्च 2023)
नवमी तिथि समाप्त – 23:29 (30 मार्च 2023)
राम नवमी 2024
17 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:04 से 13:37
नवमी तिथि आरंभ – 13:23 (16 अप्रैल 2024)
नवमी तिथि समाप्त – 15:13 (17 अप्रैल 2024)
राम नवमी 2025
6 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:08 से 13:38
नवमी तिथि आरंभ – 19:25 (5 अप्रैल 2025)
नवमी तिथि समाप्त – 19:22 (6 अप्रैल 2025)
राम नवमी 2026
27 मार्च
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:13 से 13:39
नवमी तिथि आरंभ – 11:48 (26 मार्च 2026)
नवमी तिथि समाप्त – 10:06 (27 मार्च 2026)
राम नवमी 2027
15 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:05 से 13:37
नवमी तिथि आरंभ – 15:22 (14 अप्रैल 2027)
नवमी तिथि समाप्त – 13:20 (15 अप्रैल 2027)