हनुमान जयंती का पर्व हर साल धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। साल 2025 में कब है हनुमान जयंती? इस दिन कैसे करें हनुमान जी की पूजा? जानें
हनुमान जयंती हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध त्यौहार है जो संकटमोचन हनुमान को समर्पित होता है। हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में हनुमान जयंती के पर्व को मनाया जाता है। हनुमान जी को संकट मोचन, अंजनी सूत, पवन पुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है। सभी देवताओं में से सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले और चिरंजीव भगवान हनुमान की जयंती देशभर में अत्यंत श्रद्धाभाव एवं धूमधाम से मनाई जाती है।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 12, 2025 को 03:21 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 13, 2025 को 05:51 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01, 2026 को 07:06 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 02, 2026 को 07:41 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 20, 2027 को 04:51 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 21, 2027 को 03:56 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 08, 2028 को 07:10 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 09, 2028 को 03:55 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 27, 2029 को 07:55 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 28, 2029 को 04:06 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 17, 2030 को 12:17 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 18, 2030 को 08:49 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 07, 2031 को 12:09 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 07, 2031 को 10:50 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 24, 2032 को 08:30 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 25, 2032 को 08:39 पी एम बजे
हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ रामायण के प्रमुख किरदारों में से एक महावीर हनुमान है जिन्हे भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार माना गया है। पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जयंती को मनाने की परंपरा है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व अधिकतर मार्च या अप्रैल महीने के दौरान पड़ता है। हनुमान जयंती का बहुत ही महत्व होता है। हनुमान जी अत्यंत दयालु है और वे हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते है, साथ ही हर संकट से उनकी रक्षा करते हैं। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा-आराधना और व्रत करना अत्यंत फलदायी होता है।
हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण उत्सव है हनुमान जयंती। संकटमोचन हनुमान को गुणवत्ता और जीवन शक्ति की छवि माना गया है। हनुमान जी का जन्म वानर राज केसरी और उनकी पत्नी अंजना के घर में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि माता अंजना अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं। माता-पिता के कारण ही हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन के नाम से भी पुकारा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी स्वेच्छा से किसी भी रूप को धारण करने में सक्षम हैं, चट्टानों को उठा सकते हैं, पहाड़ों को हिला सकते हैं, तीव्र गति से कभी भी कही भी पहुँच सकते हैं, उड़ान में गरुड़ के समान वेगवान हैं। हनुमान को महान भारतीय महाकाव्य ‘रामायण’ के उत्कृष्ट नायकों में से प्रमुख माना जाता है।।
सभी देवी-देवताओं में मात्र वायुपुत्र हनुमान ही ऐसे देवता माने गए है जो कलयुग में भी सशरीर धरती पर मौजूद है। यही वजह है कि हनुमान जी सदैव अपने भक्तों की सहायता करते है। हनुमान जयंती के पर्व को मुख्य रूप से हनुमान जी के भक्तों द्वारा अपार भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
हनुमान जयंती पर विधिपूर्वक हनुमान जी के पूजन से इनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। संकटमोचन हनुमान अपने भक्तों की सभी संकटों से रक्षा करते हैं, साथ ही उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ण करते है। हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की पूजा करना सर्वोत्तम होता है। इस दिन पूजा करने से मनुष्य को भय, ग्रह दोष और संकटों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी हनुमान जयंती को महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की आराधन से न सिर्फ विघ्न एवं बाधाएं दूर होती है अपितु ग्रह-दोष भी शांत होते है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष होता है जो शनि सम्बंधित समस्याओं से परेशान हैं, उन्हें हनुमान जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
हनुमान जयंती पर अंजनी पुत्र हनुमान की पूजा को अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए इस प्रकार करें हनुमान जयंती पर पूजा:
इस दिन हनुमान जी की पूजा के लिए तात्कालिक तिथि अर्थात राष्ट्रव्यापिनि को लिया जाता है।
व्रत से पहले वाली रात्रि को ज़मीन पर सोने से पूर्व श्रीराम और माँ सीता सहित हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
प्रातःकाल जल्दी उठकर पुनः राम जी और माता सीता व हनुमान जी को याद करें।
सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें।
इसके पश्चात हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
अब पूर्व की तरफ हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
दोनों हाथ जोड़कर सहृदय महाबली हनुमान से प्रार्थना करें।
अब षोडशोपाचार की विधि से भगवान हनुमान की उपासना करें।
हिन्दू धर्मग्रंथों में हनुमान जी के जन्म से सम्बंधित एक पौराणिक कथा वर्णित है। कथा के अनुसार, अमरत्व की प्राप्ति के लिए जब देवताओं व असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे। उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहनी रूप देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया, जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुती संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ।
हनुमान जयंती के दिन निकट स्थित मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन करें और उनके समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं। 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से हनुमान जी आपकी सभी समस्याओं को दूर करते है।
इस दिन हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए उन्हें गुलाब की माला अर्पित करें। हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है।
इस दिन धन प्राप्ति के लिए हनुमान मंदिर में हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक प्रजव्वलित करें। इसके अतिरिक्त सिंदूर लगाकर हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
किसी भी तरह की धन हानि से बचने के लिए हनुमान जयंती पर 11 पीपल के पत्तों पर श्रीराम नाम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
दिनाँक | Saturday, 18 January 2025 |
तिथि | कृष्ण पंचमी |
वार | शनिवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 7:15:2 |
सूर्यास्त | 17:49:9 |
चन्द्रोदय | 22:3:28 |
नक्षत्र | पूर्व फाल्गुनी |
नक्षत्र समाप्ति समय | 14 : 53 : 18 |
योग | शोभन |
योग समाप्ति समय | 25 : 16 : 55 |
करण I | कौलव |
सूर्यराशि | मकर |
चन्द्रराशि | सिंह |
राहुकाल | 09:53:33 to 11:12:49 |