Bhairavi Jayanti 2025: हिन्दू धर्म शास्त्रों में माँ भैरवी को एक शक्तिशाली रूप की तरह माना गया है। माँ भैरवी जातक के जीवन से डर, भ्रम और उसके जीवन में आने वाली समस्यों को दूर करती हैं। माँ के इस नाम का अर्थ है ‘भय को हरने वाली’।
हिन्दू धर्मग्रंथों में माँ भैरवी को शक्ति का अत्यंत प्रबल और रौद्र स्वरूप माना गया है। ऐसा विश्वास है कि माँ भैरवी भक्त के जीवन से भय, भ्रम और कठिनाइयों का नाश करती हैं। उनके नाम का अर्थ भी है- “भय को हरने वाली”। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पूर्णिमा को माँ त्रिपुर भैरवी की जयंती श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है।
भैरवी जयंती 2025 बृहस्पतिवार, 4 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा पर देवी त्रिपुर भैरवी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। माना जाता है कि इस तिथि पर माँ भैरवी की पूजा करने से साधक को सिद्धि, शक्ति और मनोबल की प्राप्ति होती है।
साल 2025 में भैरवी जयंती का शुभ समय इस प्रकार है-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 3 दिसंबर 2025, रात 09:07 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 4 दिसंबर 2025, शाम 05:13 बजे
त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन इस बार तीन बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। सुबह 6:59 बजे से दोपहर 2:54 बजे तक रवि योग रहेगा। प्रातःकाल से दोपहर 12:34 बजे तक शिव योग रहेगा। इसके बाद दिन में सिद्ध योग बन जाएगा। इन योगों के कारण यह दिन पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए बेहद उत्तम माना गया है।
माता भैरवी को कालिका ही स्वरूप माना जाता है। दस महाविद्याओं में माँ भैरवी पाँचवीं महाविद्या हैं। इन्हें रूद्र भैरवनाथ की शक्ति माना गया है। माँ भैरवी अनेक रूपों में पूजी जाती हैं। उनके प्रमुख रूप में- रूद्र भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, कौलेश भैरवी, श्मशान भैरवी, सम्पत भैरवी, सम्पदाप्रदा भैरवी, कलेश्वरी भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, शतकुटी भैरवी, और नित्य भैरवी हैं।
नारद पञ्चरात्र के अनुसार, एक समय महाकाली ने पुनः गौर वर्ण धारण करने का निश्चय किया और खुद को अंतर्धान कर लिया। शिव जी कहीं से लौटे और उन्हें अपने स्थान पर न देख पाने के कारण वे काफी चिंतत हो गए। जिसके जी ने नारद जी को देवी को खोजने का आदेश दे दिया। बहुत खोजने के बाद सुमेरु पर्वत देवी मिली।
जब नारद जी ने वहां देवी की शिव जी के विवाह का प्रस्ताव दिया, तो देवी क्रोधित हो उठीं और अपनी देह से भैरवी का विग्रह प्रकट किया। ऐसी उग्र छाया विग्रह को त्रिपुर भैरवी कहा गया। रुद्रयामल और देवी भागवत में इन्हें शिव की शक्तियों में प्रमुख और महाकाली के उग्र रूप में मन गया।
जय-जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनी माया
सहज सुमति वर दियउ गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया
वासर रैनि सबासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा
कतओक दैत्य मारि मुख मेलल
कतओ उगिलि कएल कूड़ा
सामर बरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फुलकोका
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि
लिधुर फेन उठ फोंका
घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय
हन-हन कर तुअ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र बिसरू जनि माता
माँ त्रिपुर भैरवी की साधना को अत्यंत त्वरित फलदायी माना जाता है। उनकी कृपा दृष्टि से-
जीवन में आने वाली बाधाएं धीरे धीरे समाप्त हो जाती हैं।
आपके जीवन में छिपे हुए नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं।
आपके जीवन में जो भी फालतू के डर आपको सता रहे हैं वो खत्म हो जायेंगे।
आपकी निर्णय क्षमता मजबूत हो सकती हैं।
घर-परिवार में चल रहा तनाव भी कम हो सकता है।
मां भैरवी भक्तों को ऊर्जा, संरक्षण और तेज सी चेतना से जोड़ सकती हैं।
जो लोग अपनी जिंदगी में असफलता से जूझ रहे हों- अगर किसी काम में बार-बार रुकावटें हों या सफलता हाथ न लग रही हो, तो मान भैरवी की पूजा बेहज प्रभावी मानी जाती हैं।
जिन पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव महसूस हो रहा है- अगर व्यक्ति बुरी नजर, नकारात्मक शक्तियों या किसी अदृश्य बाधा से परेशान,हो तो माँ भैरवी सुरक्षा प्रदान करती है।
कोर्ट- कचहरी, नौकरी या बिजनेस में अड़चनों से घिरे लोग- माँ भैरवी की पूजा से जीवन में आने वाली रुकावटें कम होती हैं और कार्यों में गति आती है।
जिन्हे अनजान डर सता रहा हो- माँ भैरवी की पूजा करने से मन का भय दूर होता है।
छात्र और कॉम्पटीशन की तैयारी करने वाले- माँ की पूजा करने से मन फोकस्ड और आप अपने लक्ष्य पर ध्यान देने लग सकते हैं।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
घर के मंदिर या पूजा स्थान की सफाई करें और वहाँ हल्का-सा गंगाजल छिड़क दें।
एक साफ चौकी पर मां त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
चौकी के सामने एक कलश रखें और उसमें स्वच्छ जल भरकर उसे भी पूजित करें।
मां को कुमकुम से तिलक करें और लाल फूल या लाल फूलों की माला अर्पित करें।
फल, मिठाई या अपनी श्रद्धा अनुसार भोग चढ़ाएं।
तिल के तेल का दीपक जलाकर मां की शांत भाव से उपासना करें।
अंत में कपूर जलाकर मां की आरती करें और मन में अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।






| दिनाँक | Friday, 05 December 2025 |
| तिथि | कृष्ण प्रतिपदा |
| वार | शुक्रवार |
| पक्ष | कृष्ण पक्ष |
| सूर्योदय | 6:59:56 |
| सूर्यास्त | 17:24:17 |
| चन्द्रोदय | 17:36:51 |
| नक्षत्र | मृगशिरा |
| नक्षत्र समाप्ति समय | 32 : 50 : 25 |
| योग | साध्य |
| योग समाप्ति समय | 27 : 48 : 43 |
| करण I | कौलव |
| सूर्यराशि | वृश्चिक |
| चन्द्रराशि | वृष |
| राहुकाल | 10:54:04 to 12:12:06 |