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Bhagwan Shiv Ke 108 Naam: भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार की पूजा-विधियों का पालन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महादेव बहुत ही भोले हैं इसलिए उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव का नाम जाप करना, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप शिव जी के 108 नामों का विधिपूर्वक तरीके से जाप करते हैं तो भोलेनाथ की कृपा दृष्टि आप पर बहुत जल्दी होती है। इस ब्लॉग में हम आपको भगवान शिव के 108 नामों के बारे में बताएंगे और साथ ही इन नामों का महत्व भी बताएंगे। तो चलिए जानते हैं भगवान शिव के 108 नाम हिंदी में -
भगवान शिव को प्रसन्न करने और मनवांछित फल पाने के लिए आपको भगवान शिव के 108 नामों का जाप जरूर करना चाहिए। यहां जानें भगवान शिव के 108 नाम हिंदी में -
1. शिव
2. महेश्वर
3. शम्भू
4. पिनाकी
5. शशिशेखर
6. वामदेव
7. विरूपाक्ष
8. कपर्दी
9. नीललोहित
10. शंकर
11. शूलपाणी
12. खटवांगी
13. विष्णुवल्लभ
14. शिपिविष्ट
15. अंबिकानाथ
16. श्रीकण्ठ
17. भक्तवत्सल
18. भव
19. शर्व
20. त्रिलोकेश
21. शितिकण्ठ
22. शिवाप्रिय
23. उग्र
24. कपाली
25. कामारी
26. सुरसूदन
27. गंगाधर
28. ललाटाक्ष
29. महाकाल
30. कृपानिधि
31. भीम
32. परशुहस्त
33. मृगपाणी
34. जटाधर
35. कैलाशवासी
36. कवची
37. कठोर
38. त्रिपुरांतक
39. वृषांक
40. वृषभारूढ़
41. भस्मोद्धूलितविग्रह
42. सामप्रिय
43. स्वरमयी
44. त्रयीमूर्ति
45. अनीश्वर
46. सर्वज्ञ
47. परमात्मा
48. सोमसूर्याग्निलोचन
49. हवि
50. यज्ञमय
51. सोम
52. पंचवक्त्र
53. सदाशिव
54. विश्वेश्वर
55. वीरभद्र
56. गणनाथ
57. प्रजापति
58. हिरण्यरेता
59. दुर्धुर्ष
60. गिरीश
61. गिरिश्वर
62. अनघ
63. भुजंगभूषण
64. भर्ग
65. गिरिधन्वा
66. गिरिप्रिय
67. कृत्तिवासा
68. पुराराति
69. भगवान्
70. प्रमथाधिप
71. मृत्युंजय
72. सूक्ष्मतनु
73. जगद्व्यापी
74. जगद्गुरू
75. व्योमकेश-
76. महासेनजनक
77. चारुविक्रम
78. रूद्र
79. भूतपति
80. स्थाणु
81. अहिर्बुध्न्य
82. दिगम्बर
83. अष्टमूर्ति
84. अनेकात्मा
85. सात्त्विक
86. शुद्धविग्रह
87. शाश्वत
88. खण्डपरशु
89. अज
90. पाशविमोचन
91. मृड
92. पशुपति
93. देव
94. महादेव
95. अव्यय
96. हरि
97. पूषदन्तभित्
98. अव्यग्र
99. दक्षाध्वरहर
100. हर
101. भगनेत्रभिद्
102. अव्यक्त
103. सहस्राक्ष
104. सहस्रपाद
105. अपवर्गप्रद
106. अनंत
107. तारक
108. परमेश्वर
भगवान शिव के नामों के जन्म को लेकर एक ऐतिहासिक काहानी प्रचलित है। एक बार की बात है कि क्षीरसागर में जब भगवान विष्णु योग निद्रा में थे, तब उनके नाभि से परम पिता ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी बहुत साल तक विष्णु के जागृत होने का इंतजार करते रहे, तब उनके सामने एक अग्निमय ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव प्रकटिष्ठ हुए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उनको प्रणाम नहीं किया। यह देख भगवान विष्णु जागृत हुए और उन्होंने शिव को नमन किया। इसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता की और भगवान विष्णु को सांसारिक बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी। जब सृष्टि के विनाश की बात हुई तो भगवान शिव ने ये कार्य स्वयं लिया। ब्रह्मा जी के अनुसार, सबसे पहले शिव जी को उनके द्वारा जन्म लेना होगा तभी वे विनाशक की भूमिका में आ पाएंगे।
मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने घोर तप किया और सृष्टि की रचना की इसके बाद उनके शरीर से भगवान शिव का बालक रूप में जन्म हुआ। शिव का बाल रूप ब्रह्मा जी की गोद में आते ही रोने लगा और कई प्रयासों के बावजूद जब चुप नहीं हुआ तो ब्रह्मा जी ने उन्हें 108 नाम दिए जिन्हें सुनकर उन्होंने रोना बंद कर दिया।
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