हिंदू धर्म में देवी-देवताओं और त्योहारों का विशेष महत्व है, और नवरात्रि इन्हीं खास त्योहारों में से एक है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है। बहुत से लोग नहीं जानते कि चैत्र (वासंती नवरात्रि) और शारदीय नवरात्रि (अश्विन नवरात्रि) के अलावा, दो गुप्त नवरात्रि (माघ और आषाढ़) भी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा महत्व शारदीय नवरात्रि का है, जो अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा, उपवास और आखिरी दिन कन्या पूजन करते हैं। इन दिनों में माँ दुर्गा भक्तों की प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि (Shardiya navratri 2024) का त्योहार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस पर्व की तारीखें हर साल बदलती हैं, क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार तारीखें निर्धारित होती हैं। यह त्योहार आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में ही मनाया जाता है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 22, 2025 को 01:23 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - सितम्बर 23, 2025 को 02:55 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 10, 2026 को 09:19 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 11, 2026 को 09:30 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 30, 2027 को 08:05 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 01, 2027 को 05:34 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 18, 2028 को 11:53 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - सितम्बर 19, 2028 को 08:00 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 08, 2029 को 12:43 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 08, 2029 को 08:55 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 27, 2030 को 03:23 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - सितम्बर 28, 2030 को 01:09 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 16, 2031 को 01:50 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 17, 2031 को 12:58 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 04, 2032 को 06:55 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 05, 2032 को 08:42 पी एम बजे
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध वैधृति योग के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि के क्षय होने के कारण, घटस्थापना मुहूर्त अमावस्या तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध वैधृति योग के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना करना, सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होता है। घटस्थापना नवरात्रों की शुरुआत का प्रतीक है। यह अनुष्ठान प्रतिपदा तिथि अर्थात नवरात्र के शुरुआती दिन पर किया जाता है।
साल 2024 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर 2024, सुबह 06 बजकर 19 मिनट से दोपहर 07 बजकर 23 मिनट तक है।
सबसे पहले सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनें।
पूरे घर को शुद्ध करने के बाद मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं।
पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल से पवित्र कर लें।
अब वहां चौकी लगाएं और माता की प्रतिमा स्थापित करें।
दुर्गा मां और गणेश जी का नाम लें।
इसके बाद उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापना के लिए पहले एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। फिर एक तांबे के कलश में पानी और गंगाजल डालें।
कलश पर कलावा बांधें और आम के पत्तों के साथ उसे सजाएं। इसके बाद उसमें दूब, अक्षत और सुपारी डालें।
उसी कलश पर चुनरी और मौली बांध कर एक नारियल रख दें।
सामग्री का उपयोग करते हुए विधि- विधान से मां दुर्गा का पूजन करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अंत में मां दुर्गा की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
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देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा पृथ्वी पर विशेष रूप से अपने भक्तों की रक्षा और कल्याण के लिए विभिन्न वाहनों पर सवार होकर आती हैं। यह वाहन उस दिन के अनुसार बदलता है जिस दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है, और इसका गहरा प्रतीकात्मक अर्थ होता है।
श्लोक "शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे, गुरौ शुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता" के अनुसार:
सोमवार या रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने पर माँ हाथी पर आती हैं, जो वर्ष में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
मंगलवार या शनिवार को नवरात्रि शुरू होने पर माँ घोड़े पर आती हैं, जो युद्ध, उथल-पुथल और बदलाव का सूचक है।
गुरुवार या शुक्रवार को माँ डोली पर आती हैं, जिसे सामान्यतः अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह अस्थिरता और चुनौतियों का संकेत है।
बुधवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर माँ नौका पर आती हैं, जो आपदा से मुक्ति और जीवन में शांति का संकेत देती है।
इस बार शारदीय नवरात्रि गुरुवार से आरंभ हो रही है, इसलिए माँ का वाहन डोली रहेगा, जो परंपरागत रूप से शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि यह कठिन समय और चुनौतियों का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि डोली पर माँ का आगमन विशेष सतर्कता और सावधानियों की आवश्यकता का संकेत देता है।
शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के अलग-अलग रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। पूजा सामग्री के रूप में कुमकुम, फूल, देवी की मूर्ती या फोटो, जल से भरा कलश, मिट्टी का बर्तन, जौ, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, नारियल, साफ चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी / तेल, धूप, फल-मिठाई व कलावा आदि शामिल है।
शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और नौवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। शारदीय नवरात्रि, मां दुर्गा द्वारा राक्षस महिसासुर के वध और भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाई जाती है।
शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि या अश्विन नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान राम, माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के लिए वनवास गए थे, तो वहां रावण ने धोखे से माता सीता का हरण कर लिया था। इसके बाद भगवान राम ने माता सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और उस पर विजय प्राप्त की। तभी से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने लगा।
इसके पीछे एक और पौराणिक कथा भी मौजूद है। जिसके अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिसासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। इसलिए लगातार नौ दिनों तक भक्त माता की उपासना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और आप एक समृद्ध जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि दो प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं, जो भारत में विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं। हर साल चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) मास में मनाए जाते हैं। इस प्रकार चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में मनाई जाती है, जबकि शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु के आगमन को दर्शाती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान, हम नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। फिर, नौवें दिन, राम नवमी मनाते हैं। वहीं शारदीय नवरात्रि में हम दुर्गा महानवमी और विजयदशमी के साथ नवरात्रों का समापन करते हैं।
नवरात्रि के त्योहार में रंगों का भी विशेष महत्व होता है। इन नौ दिनों के लिए नौ अलग-अलग रंगों को चुना जाता है। अगर आप नौ दिनों तक इन रंगों को पहनते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं तो यह आपको बेहद शुभ परिणाम देता है। आइए जानते हैं किस दिन कौन-सा रंग आपके लिए शुभ होगा?
पहले दिन- साल 2024 में नवरात्रि के पहले दिन आपको नारंगी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। नारंगी रंग को पहन कर पूजा करने से आपको बहुत सकारात्मक महसूस होगा।
दूसरे दिन- इस दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें। यह रंग आपको आत्मशांति और बेहतर महसूस करवाने में सहयोग करेगा।
तीसरे दिन- नवरात्रि के तीसरे दिन लाल रंग को दिनचर्या में जरूर शामिल करें। आप इस रंग का प्रयोग माता की पूजा के लिए भी कर सकते हैं क्योंकि लाल रंग माता को अतिप्रिय होता है।
चौथे दिन- गहरा नीला रंग नवरात्रि के चौथे दिन सबसे शुभ रहेगा। नीला रंग समृद्धि और शान्ति लाता है। इस रंग के वस्त्र पहनें और माता का ध्यान करें।
पांचवे दिन- पीले रंग के कपड़े पहनने से आप खुश और सकारात्मक महसूस कर सकते हैं। पीला एक नर्म और मन को खुशी देने वाला रंग है। यह आपका दिन अच्छा बनाएगा।
छठवें दिन- नवरात्रि के छठवें दिन हरा रंग पहनें। हरा रंग प्रकृति से जुड़ा होता है, यह सभी चीज़ों के फलदायी, शांतिपूर्ण और स्थिर होने का संकेत देता है। देवी की प्रार्थना करते समय हरा रंग पहनना, आपको शांति महसूस करवा सकता है।
सातवें दिन- इस दिन स्लेटी रंग पहनें। यह आपकी सोच को संतुलित करने में मदद करेगा। इसकी ऊर्जा से आप अधिक व्यावहारिक हो सकते हैं।
आठवें दिन- नवदुर्गा पूजा के दौरान आठवें दिन बैंगनी रंग का उपयोग करें। इससे आपको समृद्धि और सफलता प्राप्त हो सकती है। इसलिए, अगर आप देवी मां का आशीर्वाद चाहते हैं, तो यह रंग अवश्य चुनें।
नौवें दिन- नवरात्रि के नौवें दिन आपको मोर वाला हरा रंग पहनना चाहिए। यह हरे और नीले रंग से मिलकर बनता है। यह रंग समृद्धि से जुड़ा होता है।
शारदीय नवरात्रि के दौरान, अगर आप पूरी श्रद्धा के साथ ऊपर दिए हुए नियमों का पालन करेंगे तो आपको मां दुर्गा का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होगा। मां दुर्गा इन नौ दिनों तक सभी भक्तों की प्रार्थना सुनती हैं और उनके कष्ट दूर करती हैं। तो आइए इन नौ दिनों के त्योहार को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाएं और मां दुर्गा से सभी के सुखी जीवन की कामना करें।
पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।
दिनाँक | Thursday, 21 November 2024 |
तिथि | कृष्ण षष्ठी |
वार | गुरुवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 6:49:11 |
सूर्यास्त | 17:25:32 |
चन्द्रोदय | 22:44:5 |
नक्षत्र | पुष्य |
नक्षत्र समाप्ति समय | 15 : 37 : 23 |
योग | शुक्ल |
योग समाप्ति समय | 12 : 1 : 12 |
करण I | वणिज |
सूर्यराशि | वृश्चिक |
चन्द्रराशि | कर्क |
राहुकाल | 13:26:54 to 14:46:26 |