
हरियाली तीज: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार का अपना विशिष्ट महत्व होता है। वर्ष भर में महिलाओं द्वारा अनेक प्रकार के व्रत रखें जाते हैं और इन्ही व्रतों में से एक हरियाली तीज का प्रसिद्ध व्रत है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। सावन के महीने में जब चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होती है, या फिर जब धरती हरी चादर से ढक जाती है उस समय हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज (Hariyali Teej) का उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस पर्व को हरियाली तीज या श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। हर साल हरियाली तीज के उत्सव की तिथि चन्द्रमा के चक्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, हर साल जुलाई या अगस्त के महीने में हरियाली तीज आती है।
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 18, 2023 को 08:01 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 19, 2023 को 10:19 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 06, 2024 को 07:52 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 07, 2024 को 10:05 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जुलाई 26, 2025 को 10:41 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - जुलाई 27, 2025 को 10:41 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 14, 2026 को 06:46 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 15, 2026 को 05:28 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 04, 2027 को 08:19 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 05, 2027 को 05:08 ए एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जुलाई 24, 2028 को 02:09 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - जुलाई 24, 2028 को 10:52 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 12, 2029 को 02:38 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 12, 2029 को 11:53 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 01, 2030 को 05:00 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 02, 2030 को 04:30 पी एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जुलाई 21, 2031 को 11:33 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - जुलाई 23, 2031 को 01:21 ए एम बजे
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 08, 2032 को 03:30 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 09, 2032 को 05:59 पी एम बजे
शिव पुराण में हरियाली तीज का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए इस व्रत की विवाहित स्त्रियों के लिए बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती के लिए व्रत एवं उनका पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा इस प्रकार करें..
हिन्दू धर्म के सभी व्रतों में हरियाली तीज के व्रत को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस व्रत को मुख्य रूप से पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता यह है कि तीज का दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की उपासना करने के लिए श्रेष्ठ होता है। इस दिन शिव जी और माँ पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन महिलाओं को मायके से आने वाले वस्त्र ही धारण करने चाहिए, साथ ही मायके से आई हुई शृंगार की वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए। यह सब हरियाली तीज की परंपरा है। तीज के त्यौहार को साल में तीन बार मनाया जाता है जो इस प्रकार है: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज।
हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। इस कठोर तप के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि ये हरियाली तीज के दिन अर्थात श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था।
उस समय से ही श्रावण माह की तृतीया के दिन भगवान शिव और माता पार्वती सुहागिन स्त्रियों को अपना आशीष प्रदान करते हैं। यही वजह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती है, वहीँ सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत किया जाता है।
पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।
दिनाँक | Friday, 27 January 2023 |
तिथि | शुक्ल सप्तमी |
वार | शुक्रवार |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
सूर्योदय | 7:12:25 |
सूर्यास्त | 17:56:16 |
चन्द्रोदय | 10:59:27 |
नक्षत्र | अश्विनी |
नक्षत्र समाप्ति समय | 43 : 7 : 19 |
योग | साध्य |
योग समाप्ति समय | 35 : 54 : 11 |
करण I | वणिज |
सूर्यराशि | मकर |
चन्द्रराशि | मेष |
राहुकाल | 11:13:51 to 12:34:20 |