हरियाली तीज 2026

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हर‍ियाली तीज: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार का अपना विशिष्ट महत्व होता है। वर्ष भर में महिलाओं द्वारा अनेक प्रकार के व्रत रखें जाते हैं और इन्ही व्रतों में से एक हरियाली तीज का प्रसिद्ध व्रत है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। सावन के महीने में जब चारों तरफ हर‍ियाली ही हर‍ियाली होती है, या फिर जब धरती हरी चादर से ढक जाती है उस समय हर‍ियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज (Hariyali Teej) का उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस पर्व को हरियाली तीज या श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। हर साल हरियाली तीज के उत्सव की तिथि चन्द्रमा के चक्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, हर साल जुलाई या अगस्त के महीने में हरियाली तीज आती है।

हरियाली तीज 2026 तिथि एवं मुहूर्त 

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हरियाली तीज व्रत की पूजा विधि

शिव पुराण में हरियाली तीज का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए इस व्रत की विवाहित स्त्रियों के लिए बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती के लिए व्रत एवं उनका पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा इस प्रकार करें:

  • हरियाली तीज के दिन साफ-सफाई करके घर को तोरण और मंडप से सजाएं। 

  • एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, श्री गणेश, माँ पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा का निर्माण करें।

  • सभी देवी-देवताओं की मिट्टी की प्रतिमा बनाने के उपरांत सुहाग की समस्त सामग्री को एक थाली में एकत्रित करें और माता पार्वती को अर्पित  करें।

  • माँ पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें।

  • इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।

  • अंत में हरियाली तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। 

  • हरियाली तीज व्रत की पूजा पूरी रात चलती है। इस दौरान महिलाओं द्वारा जागरण और कीर्तन भी किये जाते हैं।

हरियाली तीज का महत्व

हिन्दू धर्म के सभी व्रतों में हरियाली तीज के व्रत को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस व्रत को मुख्य रूप से पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता यह है कि तीज का दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की उपासना करने के लिए श्रेष्ठ होता है। इस दिन शिव जी और माँ पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन महिलाओं को मायके से आने वाले वस्त्र ही धारण करने चाहिए, साथ ही मायके से आई हुई शृंगार की वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए। यह सब हरियाली तीज की परंपरा है। तीज के त्यौहार को साल में तीन बार मनाया जाता है जो इस प्रकार है: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज।

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व

हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। इस कठोर तप के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि ये हरियाली तीज के दिन अर्थात श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था।

उस समय से ही श्रावण माह की तृतीया के दिन भगवान शिव और माता पार्वती सुहागिन स्त्रियों को अपना आशीष प्रदान करते हैं। यही वजह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती है, वहीँ सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत किया जाता है। 

हरियाली तीज से जुड़ीं परम्पराएं 

  • सावन के माह में आने वाले त्यौहारों को नवविवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत विशेष माना गया है। हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है।

  • हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा मनाने की परम्परा है। इस दिन ससुराल पक्ष से नवविवाहित स्त्रियों को वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई आदि भेजी जाती है।

  • इस तीज के अवसर पर मेहंदी लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, साथ ही हरियाली तीज पर पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह सुहागिन महिलाओं की सुहाग की निशानी मानी गई है।

  • हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर सास नहीं हो तो सुहागा जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दिया जा सकता है।

  • इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मां पार्वती की पूजा करती हैं।

  • हरियाली तीज के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नृत्य करती हैं।

पर्व को और खास बनाने के लिये गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से।

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कालाष्टमी
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Thursday, December 11, 2025
Paksha:कृष्ण
Tithi:सप्तमी
सफला एकादशी
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Monday, December 15, 2025
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Wednesday, December 17, 2025
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पौष अमावस्या
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Friday, December 19, 2025
Paksha:कृष्ण
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अन्य त्यौहार

Delhi- Thursday, 11 December 2025
दिनाँक Thursday, 11 December 2025
तिथि कृष्ण सप्तमी
वार गुरुवार
पक्ष कृष्ण पक्ष
सूर्योदय 7:4:11
सूर्यास्त 17:25:20
चन्द्रोदय 0:8:58
नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी
नक्षत्र समाप्ति समय 27 : 57 : 9
योग विष्कुम्भ
योग समाप्ति समय 11 : 40 : 41
करण I बव
सूर्यराशि वृश्चिक
चन्द्रराशि सिंह
राहुकाल 13:32:25 to 14:50:03
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