वैदिक ज्योतिष दिन के प्रत्येक घंटे को होरा के रूप में परिभाषित करता है। पाश्चात्य घड़ी की तरह ही, हिंदू वैदिक पंचांग में सूर्योदय से सूर्यास्त तक शुरू होने वाले 24 होरा हैं। एक होरा एक दिन में एक घंटे की अवधि का होता है और एक विशेष ग्रह द्वारा शासित होता है। इन ग्रहों पर निर्भर करता है कि होरा फायदेमंद होगा या हानिकारक। किसी शुभ कार्य की योजना बनाने और कार्य को करने से जीवन पर उसका अधिकतम सकारात्मक प्रभाव पाने तथा बुरे परिणामों से बचने के लिए होरा का उपयोग किया जाता है। होरा सारणी तब बनायी जाती है जब शिशु के जन्म के समय उसके भविष्य का पूर्वानुमान करना हो या किसी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ घड़ी तय कराना हो। होरा सारणी किसी के भी जीवन के मजबूत व कमजोर पक्ष की पहचान करने में मदद करता है।
होरा | समय |
---|---|
बुध | 17:21 : 18:21 |
चन्द्र | 18:21 : 19:21 |
शनि | 19:21 : 20:21 |
गुरु | 20:21 : 21:21 |
मंगल | 21:21 : 22:21 |
सूर्य | 22:21 : 23:21 |
शुक्र | 23:21 : 0:21 |
बुध | 0:21 : 1:21 |
चन्द्र | 1:21 : 2:21 |
शनि | 2:21 : 3:21 |
गुरु | 3:21 : 4:21 |
मंगल | 4:21 : 5:21 |
होरा | समय |
---|---|
सूर्य | 5:21 : 6:21 |
शुक्र | 6:21 : 7:21 |
बुध | 7:21 : 8:21 |
चन्द्र | 8:21 : 9:21 |
शनि | 9:21 : 10:21 |
गुरु | 10:21 : 11:21 |
मंगल | 11:21 : 12:21 |
सूर्य | 12:21 : 13:21 |
शुक्र | 13:21 : 14:21 |
बुध | 14:21 : 15:21 |
चन्द्र | 15:21 : 16:21 |
शनि | 16:21 : 17:21 |
किसी व्यक्ति के जन्म या जन्म कुंडली की गणना होरा के आधार पर की जाती है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपका जन्म किस होरा में हुआ है तो हम आपको बता दें कि जातक सूर्य होरा या चंद्र होरा में ही जन्म लेता है। जब दिन के समय के होरों पर विचार किया जाता है तो सूर्य, शुक्र और बृहस्पति पर अधिक ध्यान दिया जाता है, क्योंकि इन्हें मजबूत ग्रह माना जाता है। जबकि रात के समय के होरों की गणना करते समय चंद्रमा, मंगल और शनि पर ध्यान दिया जाता है। ये ग्रह रात में शक्तिशाली होते हैं ऐसा माना जाता है। इनके अलावा, जन्म के समय के आधार पर बुध का प्रभाव भिन्न होता है। यह तब शक्तिशाली होता है जब जन्म का समय सूर्योदय या सूर्यास्त के करीब होता है, जन्म का समय अलग होने पर इसका प्रभाव सामान्य रहता है।
किसी भी जातक का जन्म बारह राशियों में से किसी एक में ही होता है। प्रत्येक राशि को राशिचक्र में 30 अंश का मान दिया गया है। इस अंश को आगे दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक को 15 अंश पर। वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशियों के जातक रात्रि होरा के होते हैं और चंद्रमा द्वारा शासित होते हैं। तो वहीं मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के जातक दिन होरा के होते हैं और सूर्य द्वारा शासित होता है।
इन सभी विशेषताओं के आधार पर सारणी तैयार की जाती है और एक बार ग्रहों के घंटे या होरों का विश्लेषण कर लेने के बाद यह विभिन्न कार्यों को करने के लिए दिन में शुभ और अशुभ समय के अनुसार परिणाम देते हैं।
प्रत्येक होरा की गणना दिन की योजना बनाने के लिए ग्रहों की चाल के आधार पर की जाती है और होरा 24 घंटे के समय चक्र में किन चीजों को किया जा सकता है, यह बताता है। प्रत्येक ग्रह एक विशेष प्रकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोग करते हैं और लक्ष्य का अनुसरण किया जाए तो यह सर्वोपरि परिणाम देते हैं।
सूर्य - प्रशासनिक, स्वास्थ्य, खेल, सरकारी काम
चंद्रमा - घरेलू गृहस्थी, जनसंपर्क, मातृ देखभाल, सामाजिक सेवाएं
बुध - शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, व्यवसाय
शुक्र- साहित्य, सामाजिक सेवाएं, घरेलू गृहस्थी, कला, मनोरंजन
मंगल - खेल, सैन्य, शारीरिक कार्य
बृहस्पति - शिक्षा, वित्तीय, धार्मिक, यात्रा, मातृ
शनि - व्यवसाय, घरेलू गृहस्थी, सफाई
शुक्र और बृहस्पति ग्रहों के होरा में जातक यदि कोई कार्य करता है तो उसे उस कार्य का परिणाम उसके जन्म कुंडली के अनुसार प्राप्त होगा। इसके विपरीत, शनि और मंगल ग्रह के होरा में कार्य करते समय व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ये किसी व्यक्ति के जीवन में विभिन्न मोर्चों पर बाधा, दबाव, तनाव और चिंता को अपने साथ लेकर आते हैं।
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