पंच मुहूर्त में शुभ मुहूर्त, या शुभ समय, वह समय अवधि जिसमें ग्रह और नक्षत्र मूल निवासी के लिए अच्छे या फलदायक होते हैं। एक ही दिन में तीस शुभ मुहूर्त होते हैं, जिसके दौरान किसी व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य शुरू करना चाहिए। शुभ मुहूर्त का आशय है महत्वपूर्ण कार्यों में सार्थक परिणाम प्राप्त करना है। सरल शब्दों में कहे तो, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत शुभ समय पर करने को ही मुहूर्त कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार कुल 30 मुहूर्त हैं। जो क्रमशः इस प्रकार हैं - रुद्र, आहि, मित्र, पितॄ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातॄ, कण्ड, अदिति, जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम हैं। ध्यान रहे इस में शुभ अथवा अशुभ दोनों ही मुहूर्तों के नाम शामिल हैं।
ज्योतिषी दृढ़ता से मानते हैं कि हर अच्छे और शुभ कार्य को शुरू करने का एक निश्चित समय होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का अच्छा आदान-प्रदान होता है। ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाएं हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, शुभ मुहूर्त के दौरान की गई कोई भी गतिविधि व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाती है। हमारे जीवन को ग्रहों की परिवर्तन व उनकी गति प्रभावित करती है। ग्रहों की चाल ही है जो हमें अच्छे और बुरे समय का अनुभव कराती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी काम को शुभ मुहूर्त के दौरान किया जाए तो कार्य की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, शुभ समय के दौरान कार्य करने का अधिकतम परिणाम को जातक का भाग्य प्रभावित जरूर करता है। यही कारण है कि कार्य शुरू करने से पहले मुहूर्त के समय पर जातक की जन्म कुंडली का क्या प्रभाव पड़ सकता है इस पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है। शुभ मुहूर्त की गणना करते समय ज्योतिषियों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
वैदिक ज्योतिषी अक्सर हिंदू कैलेंडर, वैदिक ज्योतिष पंचांग के आधार पर मुहूर्त की गणना करते हैं। वे हमेशा ग्रहों की गति और स्थिति, विशेष दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना करते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण का आकलन किया जाता है और इन्हीं के आधार पर शुभ समय निश्चित किया जाता है। अधिकतर, लोग विभिन्न पर्व और अनुष्ठान करने के लिए शुभ मुहूर्त की गणना करवाते हैं। शुभ मुहूर्त की गणना कोई नई परंपरा नहीं है। पहले राजा-महराजा ब्रह्मणों और ज्योतिषियों से संधियों पर हस्ताक्षर करने से पहले या नए क्षेत्र पर शासन शुरू करने से पहले शुभ समय की गणना करवाते थे। इतना ही नहीं, राजा अपने विवाह मुहूर्त की गणना करवाते थे। भगवद गीता इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि समय कितना महत्वपूर्ण और शक्तिशाली है। पौराणिक कहानी इस बात का समर्थन करती है कि व्यक्ति को हमेशा अनुकूल समय के अनुसार अच्छे समारोह और नई गतिविधियां क्यों शुरू करनी चाहिए।
वर्तमान जीवन में मुहूर्त की उपयोगिता
अब शुभ मुहूर्त विवाह और एक नया व्यवसाय शुरू करने के लिए ही नहीं निकाला जाता है, बल्कि कई लोग ज्योतिषियों से नया घर खरीदने, कॉलेज शुरू करने से पहले भी शुभ मुहूर्त पर सलाह लेते हैं। अन्य अवसरों के दौरान, शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है, जिसमें यात्रा मुहूर्त, संपत्ति या वाहन खरीदने का मुहूर्त और यहां तक कि मुंडन संस्कार के लिए भी शामिल है। भारत में विशेष रूप से, रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए, शुभ मुहूर्त की गणना के लिए ज्योतिषियों से सलाह ली जाती है। त्योहारों और आध्यात्मिक तिथियों में पूजा कब की जानी चाहिए, यह तय करने के लिए भी शुभ समय की गणना की जाती है।
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