Annaprashan Muhurat 2025: बच्चे की जिंदगी में कई लम्हें ऐसे होते हैं जो माता-पिता के दिल में खास जगह बना लेते हैं – पहली बार कदम रखना, पहला शब्द बोलना और नामकरण समारोह। इन्हीं प्यारे पलों में से एक और खास अवसर होता है, जब बच्चे को पहली बार ठोस आहार से परिचित करवाया जाता है। इसे हिंदू धर्म में अन्नप्राशन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान बच्चे के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
हिंदू धर्म में "सोलह संस्कार" की परंपरा है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण चरण को दिशा देने का काम करते हैं। इन्हीं संस्कारों में एक अहम संस्कार है अन्नप्राशन, जो बच्चे की जन्म राशि, नक्षत्र, और अन्य कई कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है। अन्नप्राशन के दौरान बच्चे को पहली बार अन्न चखाया जाता है, और इसे उसकी स्वस्थ, समृद्ध, और खुशहाल जिंदगी का प्रतीक माना जाता है।
अन्नप्राशन एक बेहद महत्वपूर्ण हिंदू संस्कार है, जिसमें बच्चे को पहली बार ठोस भोजन का स्वाद चखाया जाता है। संस्कृत में "अन्नप्राशन" का अर्थ है "भोजन की शुरुआत करना," और यह संस्कार सोलह संस्कारों में से एक है। जिस प्रकार नामकरण, मुंडन, और विवाह के संस्कार बच्चे के जीवन में मील का पत्थर होते हैं, वैसे ही अन्नप्राशन भी अपने आप में एक अनमोल अवसर है।
जन्म के शुरुआती छह महीनों तक शिशु पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर रहता है। पहली बार उसे पके हुए भोजन का स्वाद देने का यह अनुष्ठान न केवल उसकी आहार यात्रा में एक बदलाव का प्रतीक है, बल्कि उसकी अच्छी सेहत और पोषण के प्रति परिवार की शुभकामनाओं का भी प्रतीक है। हिंदू संस्कृति में, अन्नप्राशन से पहले बच्चे को चावल देने से परहेज किया जाता है। इसे एक शुभ मुहूर्त में संपन्न किया जाता है ताकि बच्चे के जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य का संचार हो।
अन्नप्राशन का उद्देश्य बच्चे को शुरुआती उम्र से ही पोषण प्रदान करना है ताकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। इस संस्कार का आयोजन हर क्षेत्र में अपनी विशेष परंपराओं के अनुसार किया जाता है। जैसे, उत्तराखंड में इसे "भातखुलाई," बंगाल में "मुखेभट," और केरल में "चोरोनू" कहा जाता है। आमतौर पर यह समारोह तब होता है, जब बच्चा छह महीने का हो जाता है।
ध्यान देने योग्य है कि अन्नप्राशन की प्रथाएं और नाम भारत के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में भिन्न होते हैं, लेकिन सभी में इसकी भावना एक ही है—बच्चे की सेहत और खुशियों की कामना।
आपको बता दें कि साल 2025 में आप अन्नप्राशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कई शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) चुन सकते हैं। हम आपके लिए हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2025 के अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (Shubh annaprashan Muhurat 2025) लाए हैं ताकि आपके सभी कार्य उपयुक्त तिथियों पर अच्छे से सम्पन्न हो सकें।
जानिए साल 2025 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त।
जनवरी का महीना नई शुरुआत और संकल्पों का प्रतीक है, और यह अन्नप्राशन जैसे महत्वपूर्ण संस्कार की योजना बनाने के लिए एक शानदार समय है। यह समारोह बच्चे के जीवन में ठोस आहार की शुरुआत को चिह्नित करता है, जो एक नए पोषण अध्याय की शुरुआत है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी 2025 में अन्नप्राशन के लिए कुछ विशेष शुभ तिथियां हैं: 1, 2, 6, 8, 13, 15, 30, और 31 जनवरी। इन दिनों में अन्नप्राशन करना बच्चे के स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
जनवरी अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (January Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
01 जनवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:50 बजे से सुबह 10:20 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
01 जनवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 11:55 बजे से शाम 04:40 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
01 जनवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:05 बजे से रात 11:30 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
02 जनवरी 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:50 बजे से सुबह 10:15 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
02 जनवरी 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से शाम 04:40 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
02 जनवरी 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 06:59 बजे से रात 11:30 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
06 जनवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:25 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
08 जनवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:20 बजे से शाम 06:30 बजे तक, नक्षत्र: भरणी
13 जनवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:35 बजे से रात 10:50 बजे तक, नक्षत्र: आर्द्रा
15 जनवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:55 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
30 जनवरी 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:10 बजे से रात 10:30 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
31 जनवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:45 बजे से सुबह 09:50 बजे तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
31 जनवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 11:20 बजे से शाम 05:00 बजे तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
31 जनवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:25 बजे से रात 11:55 बजे तक, नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
फरवरी बदलाव का महीना माना जाता है, जो जीवन में नई दिशाओं और विकास का प्रतीक है। यह माह अन्नप्राशन जैसे खास संस्कार के लिए शुभ समय हो सकता है, क्योंकि यह बच्चे के आहार में ठोस भोजन की शुरुआत का प्रतीक है। साल 2025 में, 7, 10, 17, और 26 फरवरी को अन्नप्राशन संस्कार के लिए विशेष शुभ तिथियां मानी गई हैं। इन दिनों में यह संस्कार करना बच्चे के स्वास्थ्य, खुशहाली, और समृद्धि की शुभकामनाओं से भरा होता है।
फरवरी अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (February Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
07 फरवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:40 बजे से सुबह 07:50 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
07 फरवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 09:20 बजे से दोपहर 02:18 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
07 फरवरी 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:40 बजे से रात 11:25 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी, मृगशीर्ष
10 फरवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:40 बजे से सुबह 09:10 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
10 फरवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:40 बजे से शाम 06:40 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
17 फरवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:40 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
17 फरवरी 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 03:59 बजे से रात 10:40 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
26 फरवरी 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:15 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण, धनिष्ठा
मार्च का महीना वसंत ऋतु की शुरुआत के साथ नवीनीकरण और नई ऊर्जा का प्रतीक है, जो अन्नप्राशन जैसे महत्वपूर्ण संस्कार के लिए एक उपयुक्त समय बनाता है। यह महीना नए जीवन के पोषण और विकास का प्रतीक है, इसलिए बच्चे को पहली बार ठोस आहार देने का यह अवसर बेहद अर्थपूर्ण हो सकता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्च 2025 में अन्नप्राशन संस्कार के लिए 3, 6, 24, 27, और 31 मार्च शुभ तिथियां हैं। इन दिनों में यह संस्कार बच्चे के सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए अनुकूल माना गया है।
मार्च अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (March Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
03 मार्च 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 09:59 बजे से 12:05 ए.एम. तक, नक्षत्र: अश्विनी
06 मार्च 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:40 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
24 मार्च 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 06:55 बजे से सुबह 09:25 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
24 मार्च 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:40 बजे से शाम 06:10 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
27 मार्च 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:45 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक, नक्षत्र: शतभिषा
27 मार्च 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 03:50 बजे से रात 10:30 बजे तक, नक्षत्र: शतभिषा
31 मार्च 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:30 बजे से सुबह 09:00 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी
31 मार्च 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:59 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी, भरणी
अप्रैल का महीना प्रकृति के खिलने और नए विकास का प्रतीक है, जो अन्नप्राशन जैसे शुभ संस्कार के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है। इस समय में अन्नप्राशन समारोह बच्चे के जीवन में नए आहार की शुरुआत का प्रतीक बनता है, जिससे उसके स्वस्थ और खुशहाल भविष्य की कामना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में 2, 10, 14, 25 और 30 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं।
अप्रैल अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (April Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
02 अप्रैल 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:05 बजे से शाम 07:50 बजे तक, नक्षत्र: कृत्तिका
10 अप्रैल 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:55 बजे से शाम 05:00 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
10 अप्रैल 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:35 बजे से 01:25 A.M. तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
14 अप्रैल 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:05 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति
14 अप्रैल 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:46 बजे से रात 11:25 बजे तक, नक्षत्र: विशाखा
25 अप्रैल 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:20 बजे से रात 10:20 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
30 अप्रैल 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:10 बजे से सुबह 08:45 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
30 अप्रैल 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 11:20 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
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मई का महीना, जो वास्तविकता और स्थिरता का प्रतीक है, अन्नप्राशन जैसे पवित्र संस्कार को मनाने के लिए एक बेहतरीन समय हो सकता है। यह जीवन में समृद्धि और स्थायित्व की शुरुआत का प्रतीक है, जब बच्चे को पहली बार ठोस भोजन से परिचित कराया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मई 2025 में अन्नप्राशन के लिए 1, 9, 14, 19, और 28 तारीखें शुभ मानी गई हैं। इन तिथियों पर अन्नप्राशन संस्कार करना बच्चे के सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए अनुकूल माना जाता है।
मई अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (May Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
01 मई 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:35 बजे से अपराह्न 03:40 बजे तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष, आर्द्रा
09 मई 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:55 बजे से रात 10:00 बजे तक, नक्षत्र: हस्त
14 मई 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:05 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा
19 मई 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:15 बजे से रात 11:30 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
28 मई 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 09:28 बजे से शाम 06:30 बजे तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष
28 मई 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:59 बजे से रात 10:50 बजे तक, नक्षत्र: मृगशीर्ष
जून का महीना गर्मजोशी और ऊर्जा का प्रतीक है, जो अन्नप्राशन जैसे विशेष संस्कार के लिए एक उपयुक्त समय बनाता है। इस माह में बच्चे को ठोस भोजन से परिचित कराना उसके जीवन में नई ऊर्जा और स्वास्थ्य की कामना का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जून 2025 में 5, 16, 20, 23, 26, और 27 तारीखें अन्नप्राशन के लिए शुभ मानी गई हैं। इन तिथियों पर अन्नप्राशन समारोह करना बच्चे के उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य के लिए अनुकूल रहेगा।
जून अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (June Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
05 जून 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:55 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक, नक्षत्र: हस्त
05 जून 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 06:10 बजे से रात 10:35 बजे तक, नक्षत्र: हस्त
16 जून 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:08 बजे से शाम 05:20 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
20 जून 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:39 बजे। शाम 07:20 बजे तक, नक्षत्र: रेवती
23 जून 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:58 बजे से रात 10:35 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
26 जून 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:28 बजे से शाम 04:40 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
26 जून 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:06 बजे से रात 10:40 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
27 जून 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:29 बजे से सुबह 09:40 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
27 जून 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से शाम 06:50 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
27 जून 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 09:07 बजे से रात 10:40 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
जुलाई का महीना गर्मियों की मौज-मस्ती और उल्लास का प्रतीक है, जो अन्नप्राशन जैसे खुशी भरे संस्कार को मनाने के लिए एक आनंदमय समय बनाता है। इस महीने में बच्चे को ठोस आहार से परिचित कराना उसके जीवन में नए स्वाद और पोषण की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जुलाई 2025 में 2, 4, 17, और 31 तारीखें अन्नप्राशन के लिए शुभ मानी गई हैं। इन तिथियों पर यह संस्कार बच्चे के सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए अनुकूल रहेगा।
जुलाई अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (July Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
02 जुलाई 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:10 बजे से दोपहर 01:55 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
04 जुलाई 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 06:35 बजे से रात 10:10 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
17 जुलाई 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:48 बजे से शाम 05:35 बजे तक, नक्षत्र: रेवती
31 जुलाई 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:38 बजे से दोपहर 02:20 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
31 जुलाई 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:40 बजे से रात 09:50 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
अगस्त का महीना, जो गर्मियों के अंत और नए परिवर्तनों का संकेत है, अन्नप्राशन जैसे महत्वपूर्ण संस्कार के लिए एक गहन और सार्थक समय बनाता है। यह समय चिंतन और जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें बच्चे को ठोस आहार देने का अनुष्ठान उसकी अच्छी सेहत और उज्ज्वल भविष्य की कामना से जुड़ा होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अगस्त 2025 में 4, 11, 13, 20, 21, 25, 27 और 28 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं। इन तिथियों पर यह संस्कार करना बच्चे के सुखद और समृद्ध जीवन के लिए अनुकूल रहेगा।
अगस्त अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (August Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
04 अगस्त 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 09:39 बजे से सुबह 11:40 बजे तक, नक्षत्र: ज्येष्ठा
11 अगस्त 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 06:49 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक, नक्षत्र: शतभिषा
13 अगस्त 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:59 बजे से अपराह्न 03:50 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
13 अगस्त 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:59 बजे से रात 10:25 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
20 अगस्त 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 03:30 बजे से रात 10:00 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
21 अगस्त 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:30 बजे से दोपहर 03:15 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
25 अगस्त 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:05 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी
25 अगस्त 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:49 बजे। शाम 06:45 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
25 अगस्त 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:19 बजे से रात 11:10 बजे तक, नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
27 अगस्त 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:05 बजे से शाम 06:40 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
27 अगस्त 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 09:40 बजे से रात 11:05 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
28 अगस्त 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 06:29 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा, स्वाति
28 अगस्त 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:59 बजे से शाम 06:35 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति
सितंबर का महीना, जो गर्मी से ठंड में बदलाव का प्रतीक है, अनुकूलन और परिवर्तन का समय होता है। यह महीना जीवन में नए अवसरों और शुरुआत का संकेत है, जो अन्नप्राशन जैसे संस्कार के लिए आदर्श होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सितंबर 2025 में 5 और 24 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं। इन तिथियों पर यह संस्कार करना बच्चे के स्वस्थ जीवन और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं से भरा होगा।
सितंबर अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (September Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
05 सितंबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:29 बजे से सुबह 09:40 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
05 सितंबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से शाम 06:10 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
05 सितंबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:39 बजे से रात 10:35 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
24 सितंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 06:45 बजे से सुबह 10:40 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
24 सितंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:09 बजे से शाम 06:18 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा, स्वाति
24 सितंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:49 बजे से रात 11:12 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति
अक्टूबर, शरद ऋतु की सुंदरता और इसके परिवर्तनकारी गुणों का प्रतीक है, जो अन्नप्राशन जैसे विशेष संस्कार के लिए एक आदर्श समय हो सकता है। यह माह नए जीवन की शुरुआत और शुद्धता का प्रतीक है, जब बच्चे को ठोस आहार से परिचित कराया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्टूबर 2025 में 1, 2, 8, 10, 22, 24, 29 और 31 तारीखें अन्नप्राशन के लिए शुभ और अनुकूल मानी गई हैं। इन तिथियों पर यह संस्कार करना बच्चे के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य की शुरुआत का प्रतीक होगा।
अक्टूबर अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (October Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
01 अक्टूबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:56 बजे से रात 10:49 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
02 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:42 बजे से सुबह 07:57 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
02 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:16 बजे से शाम 04:21 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
02 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:49 बजे से रात 08:49 बजे तक, नक्षत्र: श्रवण
08 अक्टूबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:36 बजे से 02:19 A.M तक, नक्षत्र: अश्विनी
08 अक्टूबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 03:58 बजे से रात 08:22 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:19 बजे से रात 10:10 बजे तक, नक्षत्र: कृत्तिका
22 अक्टूबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 09:28 बजे से रात 11:38 बजे तक, नक्षत्र: स्वाति
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:16 बजे से सुबह 11:02 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:17 बजे से शाम 05:40 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:25 बजे से रात 11:30 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा
29 अक्टूबर 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 08:32 बजे से सुबह 10:44 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
31 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 10:45 बजे से दोपहर 03:50 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
31 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:25 बजे से रात 10:12 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा, शतभिषा
नवंबर, कृतज्ञता और चिंतन का महीना, जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। यह महीना अन्नप्राशन जैसे महत्वपूर्ण संस्कार के लिए एक गहन और सार्थक समय हो सकता है। इस समय में बच्चे को ठोस आहार से परिचित कराना उसके स्वस्थ भविष्य और समृद्धि की शुभकामनाओं से जुड़ा होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नवंबर 2025 में 3, 7, 17 और 27 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से अनुकूल मानी गई हैं। इन तिथियों पर यह संस्कार बच्चे के जीवन में खुशहाली और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक बनेगा।
नवंबर अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (November Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
03 नवंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:08 बजे से सुबह 10:24 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
03 नवंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:39 बजे से शाम 05:00 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
03 नवंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 06:46 बजे से रात 10:52 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद, रेवती
07 नवंबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:59 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
07 नवंबर 2025, शुक्रवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 03:27 बजे से रात 08:20 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
17 नवंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:19 बजे से दोपहर 01:20 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
17 नवंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:49 बजे से रात 09:55 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
27 नवंबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:27 बजे से दोपहर 12:41 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
27 नवंबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 02:09 बजे से रात 09:19 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
दिसंबर, जो उत्सवों और बीते वर्ष पर चिंतन का महीना होता है, अन्नप्राशन समारोह के लिए एक हार्ट टचिंग और विशेष वातावरण प्रदान कर सकता है। यह महीना नए साल के स्वागत की तैयारियों के साथ-साथ जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिसंबर 2025 में 4, 8, 17, 22, 24, 25 और 29 तारीखें अन्नप्राशन के लिए शुभ और अनुकूल मानी गई हैं। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं, तो आप इन तिथियों का उपयोग करके इस पवित्र संस्कार को अपने बच्चे के जीवन में सही समय पर मनाने का निर्णय ले सकते हैं।
दिसंबर अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (December Annaprashan Shubh Muhurat) यहाँ देखें!
04 दिसंबर 2025, गुरुवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: रात 08:56 बजे से रात 11:11 बजे तक, नक्षत्र: रोहिणी
08 दिसंबर 2025, सोमवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 06:27 बजे से रात 10:52 बजे तक, नक्षत्र: पुष्य
17 दिसंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 05:49 बजे से रात 10:21 बजे तक, नक्षत्र: अनुराधा
22 दिसंबर 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:45 बजे से सुबह 09:21 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
22 दिसंबर 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:32 बजे से शाम 05:22 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
22 दिसंबर 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:46 बजे से सुबह 12:00 बजे तक, नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
24 दिसंबर 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:49 बजे से शाम 05:12 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
24 दिसंबर 2025, मंगलवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 07:36 बजे से 12:02 ए.एम. तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
25 दिसंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: सुबह 07:47 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक, नक्षत्र: शतभिषा
25 दिसंबर 2025, बुधवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 01:46 बजे से दोपहर 03:15 बजे तक, नक्षत्र: शतभिषा
29 दिसंबर 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: दोपहर 12:06 बजे से दोपहर 03:01 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी
29 दिसंबर 2025, रविवार, शुभ अन्नप्राशन मुहूर्त: शाम 04:59 बजे से रात 11:50 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी, भरणी
धार्मिक ग्रंथों में मानव जीवन के 16 संस्कारों का महत्वपूर्ण स्थान है, जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं। इन संस्कारों की शुरुआत जन्म से पहले गर्भाधान से होती है और मृत्यु के बाद तक चलती है। इन संस्कारों में से "अन्नप्राशन" को सातवां संस्कार माना गया है, जो बच्चे के जन्म के लगभग 6 महीने बाद संपन्न होता है।
अन्नप्राशन संस्कार का उद्देश्य नवजात शिशु को पहली बार ठोस भोजन से परिचित कराना होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह वह महत्वपूर्ण पल होता है जब शिशु को भोजन का पहला स्वाद चखाया जाता है। इसके बाद, बच्चा केवल मां के दूध पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि उसे ठोस आहार भी दिया जाता है। यह संस्कार बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह शिशु के जीवन में पोषण और स्वास्थ्य की शुरुआत का प्रतीक है। इस समारोह के दौरान अक्सर हवन या यज्ञ विधि का आयोजन किया जाता है, जो बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्ध भविष्य की कामना के लिए होता है। फिर, बच्चे को पहली बार अन्न का सेवन कराया जाता है, जो उसकी समृद्धि और खुशहाली की कामना का प्रतीक है।
अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त का चयन करने के बाद, सबसे पहले घर की साफ-सफाई और शुद्धिकरण करना आवश्यक होता है। इसके बाद, नवजात शिशु के माता-पिता स्नान कर नए वस्त्र धारण करें, और शिशु को भी नए कपड़े पहनाए जाते हैं, ताकि यह संस्कार पूरी तरह से पवित्र और शुभ हो।
अन्नप्राशन पूजा के लिए माता-पिता अपने बच्चे को लेकर पूजा स्थल पर बैठते हैं और सबसे पहले ईश्वर के समक्ष दीपक प्रज्वलित किया जाता है। इस हवन या पूजा में परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं, खासकर शिशु के माता-पिता और परिवार के बुजुर्गों का आशीर्वाद अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पूजा के दौरान पंडित जी उत्तर दिशा में बैठते हैं, जबकि माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठते हैं। सबसे पहले पंडित जी शिशु को खीर खिलाते हैं, और फिर माता-पिता भी उसी खीर से शिशु को खिलाते हैं। इस संस्कार के दौरान शिशु को खिलाई जाने वाली खीर केवल परिवार की विवाहित स्त्रियों द्वारा बनाई जाती है, ताकि यह संस्कार पूर्ण रूप से पारंपरिक और शुभ हो।
पूजा के अंत में परिवार के अन्य सदस्य भी शिशु को खीर खिलाते हैं और साथ ही शिशु के उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की कामना करते हुए नए माता-पिता को भी आशीर्वाद देते हैं। यह संस्कार परिवार के साथ-साथ शिशु के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए एक पवित्र शुरुआत प्रदान करता है।
अन्नप्राशन संस्कार न केवल शिशु के जीवन का महत्वपूर्ण क्षण होता है, बल्कि उसके माता-पिता के लिए भी यह एक विशेष अवसर है। हर माता-पिता की यही कामना होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत करे। इस संस्कार के दौरान, जब शिशु को पहली बार खीर खिलाई जाती है, तो माता-पिता को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सबसे पहले, माता-पिता को अपने मन और हृदय से ईश्वर का आभार प्रकट करना चाहिए, क्योंकि यह अनुष्ठान शिशु के जीवन में एक नया अध्याय लेकर आता है। इस संस्कार के समय शुद्धता और सकारात्मकता बनाए रखना बहुत आवश्यक है। जब बच्चे को खीर खिलाई जाती है, तब माता-पिता निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें, ताकि शिशु का स्वास्थ्य और भविष्य उज्ज्वल हो:
ओम अन्नपूर्णायै नमः
यह मंत्र मां अन्नपूर्णा का आह्वान करता है, जो भोजन और पोषण की देवी हैं। इसे जपने से शिशु को स्वस्थ और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
ओम श्री महालक्ष्म्यै नमः
इस मंत्र का जाप माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए किया जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। यह शिशु के जीवन में आर्थिक स्थिरता और खुशहाली की कामना के लिए किया जाता है।
ओम त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्
यह महामृत्युंजय मंत्र है, जो शिशु के जीवन में स्वास्थ्य, दीर्घायु और सुरक्षा के लिए जपा जाता है।
शिवौ ते स्तां व्रीहीयवावबलासावदोमधौ।
एतौ यक्ष्मं वि बाधेते एतौ मुंचतौ अंहस:।।
इन मंत्रों का जाप करके माता-पिता अपने बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और ईश्वर से उसके स्वस्थ जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
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अन्नप्राशन संस्कार के बाद एक विशेष रिवाज होता है जिसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रिवाज में शिशु के सामने कई वस्तुएं रखी जाती हैं, और शिशु को इन वस्तुओं में से किसी एक को चुनने दिया जाता है। यह मान्यता है कि जो वस्तु शिशु चुनता है, वह उसके भविष्य के रुझान और योजनाओं की ओर संकेत करती है।
इस रस्म के दौरान शिशु के सामने निम्नलिखित वस्तुएं रखी जाती हैं:
किताबें (ज्ञानार्जन): यदि शिशु किताब चुनता है, तो इसे संकेत माना जाता है कि वह शिक्षा और ज्ञान के प्रति रुचि रखेगा और उसका भविष्य शैक्षणिक दृष्टिकोण से उज्ज्वल होगा।
आभूषण (धनार्जन): अगर शिशु आभूषण चुनता है, तो इसका अर्थ है कि वह धन अर्जन और भौतिक समृद्धि की ओर झुका रहेगा।
कलम (बुद्धि अर्जन): कलम चुनने का मतलब है कि शिशु के जीवन में बौद्धिकता, रचनात्मकता, और बुद्धिमानी का महत्व रहेगा। वह लेखन या अन्य बौद्धिक गतिविधियों में रूचि लेगा।
मिट्टी (संपत्ति अर्जन): यदि शिशु मिट्टी को चुनता है, तो इसे संकेत माना जाता है कि वह भविष्य में संपत्ति, ज़मीन, या स्थायी चीजों की ओर आकर्षित रहेगा।
खाने-पीने की वस्तुएं (भोजन अर्जन): अगर शिशु खाने-पीने की वस्तुओं को चुनता है, तो इसका अर्थ है कि उसे जीवन में स्वादिष्ट भोजन और भोजन से जुड़ी चीजों का आनंद मिलेगा।