पंचांग की रचना में योग का महात्वपूर्ण स्थान है। पंचांग योग ज्योतिषाचार्यों को सही तिथि व समय की गणना करने में सहायता करता है। योग को पंचांग के पांच मूल तत्वों में से एक माना जाता है। आगे योग की गणना कैसे करते हैं, कुल कितने योग हैं और इनकी विशेषता क्या हैं इस बारे में जानेंगे।
योग की गणना सूर्य और चंद्रमा के देशांतर के योग द्वारा की जाती है। इसे 13 डिग्री और 20 मिनट से विभाजित किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष में कुल 27 योग परिभाषित हैं। जिनका जातक पर बहुत ही गहरा प्रभाव होता है। ये योग जातक के कार्य, व्यवहार और प्रवृत्ति को तय करते हैं। आगे इन योगों की विशेषताओं को सक्षिप्त रूप से प्रस्तुत किया गया है।
विशकुंभ - इस योग में जन्मा जातक धनवान होता है। जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
प्रीति - जातक जीवन में सराहनीय कार्य करता है। अपने से विपरीत लिंग के बीच लोकप्रिय होता है। इनका जीवन आनंदमय व्यतीत होता है।
आयुष्मान - इस योग में जन्मे जातक एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं। सदैव ऊर्जावान रहते हैं। बुद्धिमान होने के साथ- साथ प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनि होते हैं।
सौभाग्य - इस योग के जातक बहुत भाग्यशाली होते हैं। भाग्य सदैव इनका साथ देता है। ये एक आरामदायक जीवन जीते हैं। इन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत सारे अवसर मिलते हैं।
शोभना - जातक कामुक प्रवृत्ति के होते हैं। विपरीत लिंग के प्रति जल्दी आकर्षित होते हैं। साथ ही विपरीत लिंग को आकर्षित भी करते हैं। इनमें यौन सक्रिया अधिक होती है। ये भावुक होते हैं ।
अतिगण्ड - इस योग के जातक तामसिक होते हैं। मांस, मदिरा का अधिक सेवन करते हैं। इन पर दुर्घटना का खतरा सदैव बना रहता है।
सुकर्मा - इस योग में जन्मे जातक धार्मिक होते हैं। जीवन नैतिक मूल्यों पर जीते हैं। वैध कार्य में ही शामिल होते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते है और जीवन में समृद्ध को प्राप्त करते हैं।
धृति - जातक हर्षित स्वभाव के होते हैं, जीवन को एक अगल नजरीये से देखते है। इस योग में जन्मा जातक धनवान होता हैं। ये मेहमाननवाजी मों निपुण होते हैं।
शूल - इस योग के व्यक्ति लघु स्वभाव वाले होते हैं। छोटी-छोटी बात पर लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन्हें गुस्सा बड़ी जल्दी आता है।
गंड - इन जातकों का जीवन विडंबनाओं से भरा होता है। कष्टप्रद जीवन जीते हैं। क्योंकि ये अपनी नैतिकता से जीते हैं और थोड़े खतरनाक होते हैं। दुश्मनी निभाने में पिछे नहीं हटते।
वृद्धि - ये जातक आशावादी होते हैं। जीवन में शीर्ष पद प्राप्त करते हैं और सभी मोर्चों पर सफलता हासिल करने में सफल होते हैं।
ध्रुव - इस योग में जन्मे जातकों का एकाग्र गजब का होता है। निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं। व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं होती है।
व्याघता - इस योग में जन्मे जातकों का स्वभाव क्रूर होता है। लोगों से असभ्यता से पेश आते हैं। हानिकारक प्रवृत्ति के होते हैं।
हर्षण - इस योग के जातक स्वभाव से खुशमिजाजी होते हैं। ये विवेकवान होने के साथ ही बहिर्मुखी (एक्स्ट्रोवर्ट) होते हैं। इनका सामाजिक स्तर बेहतर होता है।
वज्र - इन जातको का स्वभाव अप्रत्याशित होता हैं। ये कब क्या कर जाएं, इसका भरोसा नहीं किया जा सकता। वज्र योग में जन्मे जातक आशावादी और स्वभाव से काफी मुखर होते हैं। ये आधिकार रखने में विश्वास करते है।
सिद्धि - इस योग के जातक अपने कार्यक्षेत्र में कुशल होते हैं। जिसके चलते ये सफलता हासिल करते हैं। ये अवसरवादी भी होते हैं, मौका मिलने पर उसे भुनाना जानते हैं। कभी आश नहीं छोड़ते हैं। हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं।
व्यतिपात - ये जातक अपने वास्तविकता को छुपा कर रखते हैं, जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं हैं। इनका जीवन अस्थिर होता है।
वरीयाना - ये सुस्त होते हैं, काम के प्रति गैरजिम्मैदारा रवैया रखते हैं। जीवन आराममय चाहते हैं।
परिघ - इस योग में जन्मे जातक का जीवन बाधाओं से भरा रहता है। ये स्वभाव से चिड़चिड़े होते हैं और दूसरों के जीवन में बिना वजह ही दखल देते रहते हैं।
शिव - इस योग में जन्मा जातक धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। समाज में इनका मान बढ़ता है। ये जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। इन्हें अपने जीवन में धन संबंधी किसी तहर की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
सिद्ध - इन जातकों का जीवन सुखद रहता है। आध्यात्म में अपना जीवन लगाते हैं। समाज सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
साध्य - ये जातक हर कार्य करने में प्रवीण होते हैं। इनके अंदर प्रतिभा की कमी नहीं होती हैं। अपना जीवन शिष्टाचार्य से जीते हैं। हर किसी के साथ सभ्यता से पेश आते हैं।
शुभा - ये जातक धनवान होते हैं। प्रभावशाली व्यक्तित्व रखते हैं। लेकिन रोग से ग्रस्त भी रहते हैं। स्वभाव से मृदुल होते हैं।
शुक्ल - इस योग में जन्मे जातक जोश के भरे होते हैं। हर कार्य में जल्दबाजी करते हैं और असंगत में रहते हैं।
ब्रह्म - इस योग के जातक महत्वाकांक्षी होते हैं। हर परिस्थिति का सामना निडर होकर करते हैं। ये विवेकशील और निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
इंद्र - इस योग में जन्मे जातक हर किसी को संदेह की नजरों से देखते हैं। कुछ नया सीखने मे विश्वास रखते हैं। सदैव सहायता के लिए तैयार रहते हैं और बड़े ही संवेदनशील होते हैं।
वैधृति - इस योग के जातक तंदुरूस्त व बलवान होने के साथ चतुर होते हैं। साथ ही अपना कार्य दूसरों से निकलवाने की क्षमता रखते हैं।
पंचांग में योग का महत्व -योग पंचांग का तीसरा तत्व है और यह चंद्रमा और सूर्य के निरयन देशांतर के योग से लिया गया है। योग को 13 अंश और 20 मिनट से भाग देने पर एक योग प्राप्त होता है। योग को 27 भागों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक को 20 मिनट दिया गया है। योग किसी भी व्यक्ति के कुछ विशेषताओं को पहचानने में मदद करते हैं। ज्योतिषियों की सलाह है कि वैदृति और व्यतिपात योगों में कभी भी शुभ कार्यों नहीं करना चाहिए या उपयोग में नहीं लेना चाहिए।
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