राहु काल - Rahu Kaal in hindi

राहुकाल भारतीय वैदिक पंचांग में एक विशिष्ट अवधि है जो दैनिक आधार पर होती है। यह समय किसी भी विशेष कार्य को करने के लिए अशुभ माना जाता है। इसके बदले वही कार्य शुभ समय पर करने से अच्छा परिणाम मिलता है। आगे राहुकाल की गणना कैसे की जाती है, वैदिक ज्योतिष में राहुकाल को लेकर क्या कहा गया है इसे भी जानेंगे।

आज का राहुकाल (Aaj Ka Rahu Kaal)

राहुकाल की गणना
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21 November 2024 |
राहुकाल - 07:36:47 से 09:10:41

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राहुकाल -
शहर राहुकाल यमगंडा गुलिक
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प्रमुख शहरों/देशों में आज का राहु काल - ( )
शहर राहुकाल यमगंडा गुलिक
न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM
टोरंटो, कनाडा 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM
लंदन, यूनाइटेड किंगडम 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM
केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM
दुबई, संयुक्त अरब अमीरात 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM 05:07:48 PM to 06:44:17 PM

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राहुकाल की गणना


यहां 8 तरह के राहुकाल खंड या मुहूर्त हैं। राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है।

कई कार्य करने के लिए समय शुभ या अशुभ हैं, यह हिंदू पंचांग से विचार-विमर्श किया जाता है। वैदिक पंचांग में राहुकाल, जिसे अशुभ माना जाता है, परिवर्तनशील है और हर दिन बदलता रहता है क्योंकि ग्रहों की गति हर गुजरते समय के साथ बदलती है। इसलिए, प्रत्येक दिन के लिए राहु काल की गणना महत्वपूर्ण है और गणना के आधार पर, विशेष कार्यों को किया जाना चाहिए। इसे अशुभ समय के रूप में देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कार्य को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है।

वैदिक ज्योतिष में राहुकाल

हिंदू वैदिक ज्योतिष में ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु हैं। राहु और केतु का भौतिक शरीर नहीं हैं, उन्हें दिन के आठ खंडों में से एक माना जाता है। इन दोनों को भारतीय ज्योतिष में अशुभ कहा गया है और राहुकाल को दिन की सबसे अशुभ अवधि के रूप में दर्शाया जाता है। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र बताता है कि राहु एक उत्तरी सिरा है और केतु एक दक्षिणी सिरा है, और इन दोनों में एक साथ सूर्य को ग्रहण लगाने और ब्रह्मांड पर पड़ने वाले प्रकाश को दूर करने की क्षमता मौजूद है। इसके कारण, ज्योतिष ने इन दोनों को अमंगलकारी और प्रतिकूल प्रवृत्ति के लिए अशुभ मानते हैं।

प्रत्येक दिन का राहुकाल समय

सोमवार - दूसरा मुहूर्त – प्रातः 7: 30 से 9:00 तक
मंगलवार - सातवां मुहूर्त - दिन – 3:00 से 4:30 तक
बुधवार – पांचवां मुहूर्त - दिन – 12:00 से 1. 30 तक
गुरुवार – छठवां मुहूर्त - दिन - 1:30 से 3:00 तक
शुक्रवार - चौथा मुहूर्त - प्रातः – 10:30 से 12:00 तक
शनिवार - तीसरा मुहूर्त - प्रातः – 9:00 से 10:30 तक
रविवार - आठवां मुहूर्त - सायं – 4:30 से 6:00 तक

राहुकाल की गणना पूरी तरह से सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर की जाती है और इस प्रकार यह प्रत्येक प्रतिदिन बदलता रहता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है।

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