मंगल ग्रह सौर मंडल का सबसे लाल ग्रह माना जाता है। इसकी दूरी पृथ्वी से काफी है फिर भी इसका असर हमारे जीवन में पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। मंगल ग्रह का वैदिक ज्योतिष में भी काफी महत्व है। इन्हें आवेश व ऊर्जा का कारक माना जाता है। इस लेख में हम मंगल ग्रह के बारे में विस्तार से जानेंगे। लेख में हम मंगल (Mars) क्या है?, मंगल ग्रह का क्या ज्योतिषीय महत्व है?, मंगल ग्रह की पौराणिक मान्यता क्या है? मानव जीवन पर मंगल कैसे असर डालता है? इसके साथ ही मंगल मंत्र उपाय व रत्न के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। जो आपके लिए काफी फ़ायदेमंद साबित होगी। तो आइये जानते हैं मंगल ग्रह के बारे में  -
  
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मंगल ग्रह सौर मंडल का चौथा ग्रह है। इसका रंग लाला व यह पृथ्वी के समान स्थलीय ग्रह है। इस ग्रह पर जीवन होने की बात कही जाती है। अब बात करते हैं मंगल ग्रह के ज्योतिष पक्ष की, ज्योतिष में मंगल ग्रह को पराक्रम का कारक माना जाता है। ज्योतिष मंगल को एक क्रूर ग्रह के रूप में उल्लेखित करते हैं। मंगल (Mars) ऐसा ग्रह है जो किसी के जीवन में अमंगल पैदा कर दे।
  
मंगल ग्रह का ज्योतिष में अलग ही महत्व है। इस मंगल को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी और पराक्रम व ऊर्जा का कारक माना जाता है। इसलिए इस ग्रह के जातक तेज व पराक्रमी होते हैं। ज्योतिष की माने तो मंगल कुंडली में किस भाव में विराजमान हैं उनका प्रभाव उसी तरह से जातक पर पड़ता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में मंगल ग्रह का सही स्थिति में न होना जैसे पहले, चौथे, सातवें व बारहवें में भाव में विराजने पर कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण होता है। बात दें कि इसी दोष के कारण जातक के विवाह में देरी होती है। माना जाता है कि मांगलिक को मांगलिक के साथ ही विवाह करना चाहिए। ऐसा न होने से वर वधु के जीवन में परेशानियां आती है। वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता है। इसलिए ज्योतिष व पंडित मंगल (Mars) दोष निवारण करवाने की सलाह देते हैं।
   
मंगल का सबसे अधिक प्रभाव जातक के शरीर व स्वभाव पर पड़ता है। ज्योतिष की माने तो मंगल (Mars) यदि लग्न भाव में स्थित है तो ऐसी स्थिति में जातक आकर्षक व सुंदर व्यक्तित्व का धनि होता है। इसके साथ ही ऐसे जातक क्रोधी स्वभाव के होते हैं। चीजें अनुरूप न मिलने पर आवेश में आ जाते हैं। ये जातक सेना व सुरक्षा विभाग में कार्य करते हैं।
जिन जातकों का मंगल बली होता है। वे जातक निर्णय लेने में जरा भी नहीं हीचकिचाते, जो निर्णय लेना होता है उसे ले लेते हैं। इसके साथ ही ऊर्जावाल रहता है। विपरीत से विपरीत परिस्थिति में वह पीछे नहीं हटता है। संघर्ष को हसते हुए अपनाते हैं। यदि आपका मंगल बली है तो यह केवल आपके लिए ही नहीं अच्छा है बल्कि आपके परिवार के सदस्यों के लिए भी शुभ है। ऐसे में आपके भाई- बहन करियर में अच्छा ग्रोथ करेंगे। परंतु यदि आप मंगल से पीड़ित हैं तो आपको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली में मंगल का कमजोर होना उचित नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति में परिवारीक जीवन सुखमय नहीं होता है। दुर्घटना होने की भी संभावना बनी रहती है।
हिंदू मान्यता के अनुसार मंगल (Mars) देवी पृथ्वी के पुत्र हैं, परंतु इस घटना के संबंध में दो पौराणिक कथाएं मिलती है। एक अंधका सुर व शिव युद्ध व दूसरा श्रीहरि के वाराह रूप से संबंध हैं। एक कथा में मंगल को शिव पृथ्वी का पुत्र बताया गया है तो दूसरे में विष्णु व पृथ्वी का यह दोनों ही कथाएं हिंदू पुराणों में पायी जाती हैं। इसके बाद ही मंगल को ग्रह की उपाधि मिली और ये सौर मंगल में स्थापित हुए।
यंत्र -  मंगल यंत्र
 मंत्र -  ओम मंगलाय नमः
 रत्न -  मूँगा
 रंग  - लाल
 जड़ -  अनंत मूल
 उपाय - मंगल ग्रह की शांति से लिए मंगलवार का उपवास व हनुमान की आराधना करनी चाहिए। लाल वस्त्र का दान करने से भी मंगल शांत होते हैं। उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर में मंगल (Mars) दोष के लिए पूजा करना सबसे फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रम्हाजी ने की थी।
| दिनाँक | Tuesday, 04 November 2025 | 
|---|---|
| तिथि | शुक्ल चतुर्दशी | 
| वार | मंगलवार | 
| पक्ष | शुक्ल पक्ष | 
| सूर्योदय | 6:35:49 | 
| सूर्यास्त | 17:34:9 | 
| चन्द्रोदय | 16:30:58 | 
| नक्षत्र | अश्विनी | 
| नक्षत्र समाप्ति समय | 33 : 41 : 15 | 
| योग | सिद्धि | 
| योग समाप्ति समय | 35 : 29 : 22 | 
| करण I | वणिज | 
| सूर्यराशि | तुला | 
| चन्द्रराशि | मेष | 
| राहुकाल | 14:49:34 to 16:11:52 |