सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण 2024

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) वैज्ञानिकों की नज़र में यह सिर्फ एक खगोलीय घटना है। लेकिन भारत में इसके सामाजिक-सांस्कृतिक, धार्मिक-आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी हैं। स्नान-दान पुण्य आदि के लिये ग्रहण काल को श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के जातक यानि व्यक्ति के जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसी कारण ग्रहण काल से पहले ही सूतक आरंभ हो जाता है। ग्रहण के नेगेटिव प्रभाव से बचने के लिये ग्रहण के दौरान करने और न करने वाली भी काफी सारी चीज़ें विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने सुझाई है।

बचपन से ही किताबों में ग्रहण के बारे में पढ़ाया जाता है कि विज्ञान भी इसकी पुष्टि करता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य से जो किरणें निकलती हैं उनके नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ते हैं इसलिये इसे ज्योतिषीय मान्यताओं की सत्यतता का आधार भी मजबूत होता है। यही कारण है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव की उपासना व पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान-दान का महत्व होता है।

सूर्य देव को एक ग्रह के रूप में पिता का कारक भी ज्योतिष में माना जाता है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को ही लगता है। क्योंकि इसी दिन सूर्य चंद्रमा व पृथ्वी एक सीध में होते हैं। विज्ञान मानता है कि जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में होते हैं तो ऐसे में चंद्रमा सूर्य को ढ़क लेता है जिससे सूर्य आंशिक, वलयाकार या पूर्ण रूप से ढ़का नज़र आता है। यह स्थिति हालांकि कुछ समय के लिये बनती है।


सूर्य ग्रहण के प्रकार

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि सूर्य ग्रहण पूर्ण, वलयाकार या आंशिक तौर पर लगता है। जिस स्थिति में चंद्रमा पूर्ण रूप से सूर्य को ढ़क लेता है और पृथ्वी पर अंधेरा नज़र आने लगता है उस स्थिति में पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाता है। लेकिन जब वह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता तो उस स्थिति में इसे खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण माना जाता है। एक ऐसी स्थिति भी होती है जिसमें सूर्य सिर्फ वलयाकार रूप मे दिखाई देता है यानि की सूर्य का गोलाई वाला जो बाहरी आवरण होता है केवल वह चमकता हुआ दिखता है और बीच से वह गायब दिखाई देता है उसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह ग्रहण के वैज्ञानिक आधार भी हैं लेकिन ज्योतिष में ग्रहण कारण चंद्रमा को नहीं बल्कि राहू को माना जाता है।

मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब मोहिनी रूप मे भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पान करवा रहे थे तो विष्णु के इस छल की भनक एक दैत्य को लग गई और वह देवताओं के वेश में कतार में आकर बैठ गया जैसे ही उसने अमृत पान किया तो सूर्य व चंद्रमा ने उसे चिन्हित कर भगवान विष्णु को बता दिया, अमृत उसके गले से नीचे उतरता उससे पहले ही उस दैत्य का शीष धड़ से अलग हो चुका था। धड़ बना राहू और बाकि शरीर बना केतु अब ये दोनों ही सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते हैं और अपनी शत्रुता निभाते हैं। इस साल सूर्य ग्रहण कब लग रहा है। कहां इसे देखा जा सकता है। सूर्य ग्रहण पर सूतक का समय क्या रहेगा इस पेज पर आपको इन तमाम सवालों के जवाब मिलेंगें।

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सूर्य ग्रहण (पूर्ण ) 08 अप्रैल 2024 12:00 पूर्वाह्न
सूर्य ग्रहण (वलयाकार) 02 अक्तूबर 2024 12:00 पूर्वाह्न

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