चंद्रमा (Moon) का वैदिक ही नहीं अपितु खोगोलीय महत्व भी है। सौर मंडली में चंद्रमा का स्थान सभी ग्रह से भिन्न है। इस लेख में हम ज्योतिष में चंद्रमा का क्या महत्व है? मानव जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही हम इसका यंत्र. मंत्र, जड़ व रत्न क्या है? इसके बारे में भी जानने की कोशिश करेंगे। तो आइये जानते हैं चंद्रमा के बारे में-
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। ज्योतिषियों की माने तो चंद्रमा के प्रभाव से ही जातक मन विचलित व स्थिर होता है। कहते हैं मन यदि नियंत्रण में हो तो सब कुछ आसानी से हो जाता है, परंतु यदि मन अस्थिर हो तो कार्य पूर्ण होने में परेशानियां तो आती ही हैं साथ ही कार्य भी कुशला से नहीं होता कुल मिलाकर इसमें नुकसान ही होता है। खगोलीय दृष्टि से चंद्रमा (Moon) का काफी महत्व है। समुंद्र में ज्वार आने से लेकर ग्रहण लगने तक में चंद्रमा का योगदान होता है। सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा की कक्षीय दूरी पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है इसीलिए आसमान में सूर्य और चंद्रमा का आकार हमेशा सामान नजर आता है।
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा (Moon) नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, सुख-शांति, धन-संपत्ति, बायीं आँख, छाती आदि का कारक होता है। ज्योतिष के मुताबिक चंद्रमा राशियों में कर्क राशि का स्वामी और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। सभी ग्रहों में चंद्रमा की गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर कर जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि की ही गणना की जाती है। क्योंकि यह सबसे प्रभावी माना जाता है। चंद्र राशि की गणना ऐसे की जाती है कि जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। ज्योतिष में चंद्र को स्त्री ग्रह माना गया है।
शारीरिक बनावट पर चंद्रमा का प्रभाव देखा जाए तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस जातक की कुंडली के लग्न भाव में चंद्रमा विराजमान होता है, वह जातक सुंदर और आकर्षक होता है। इसके साथ ही वह साहसी व धैर्यवान होता है। उसका स्वभाव शांत होता है। चंद्र ग्रह के प्रभाव के कारण जातक अपने जीवन में सिद्धांतों को अधिक महत्व देता है। सिद्धांतवादी होने से वह जातक सामाजिक भी होता है। जातक थोड़ा घुमक्ड़ी होता है। इसके साथ ही लग्न भाव में बैठा चंद्रमा (Moon) जातक को कल्पनीक तौर पर प्रबल बनाता हैं। इसके साथ ही जातक संवेदनशील और भावुक भी होता है।
ज्योतिष में यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा मजबूत हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होता है। प्रबल चंद्रमा के चलते जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। मनमोस्थिति उसकी मजबूत होती है। वह विचलित नहीं होता है। अपने विचार व फैसलों पर जातक संदेह नहीं करता है। बात परिवार की करें तो जातका परिवार में अपने माता से अच्छे संबंध रहते हैं और माँ की सेहत भी अच्छी रहती है।
ज्योतिष की माने तो जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होते हैं उन जातकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें से मानसिक तनाव के साथ ही आत्मबल की कमी भी शामिल हैं। इसके अलावा जातका माता के साथ संबंध मधुर नहीं रहते हैं। वैवाहिक जीवन में भी शांति नहीं रहती है। जातक क्रोधी व वह अपने वाणी पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। जिसके कारण जातक को निराशा का सामना करना पड़ता है। जातक की स्मृति शक्ति क्षीण हो जाती है। माता के लिए किसी न किसी प्रकार की समस्या बनी रहती है।
चंद्रमा का हिंदू पौराणिक कथाओं में काफी जिक्र किया गया है। कथाओं में भी चंद्रमा को मन को नियंत्रित करने वाला व जल का देव बताया गया है। हिंदू धर्म में इन्हें देव की उपाधि प्राप्त है। आपने भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा को देखा होगा। इसके साथ ही शिव के साथ ही सोमवार का दिन चंद्र देव का भी दिन माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान शिव शंकर को चंद्रमा का स्वामी माना जाता है। सनातन धर्म ग्रंथ श्रीमद्भगवत गीता में चंद्र देव को महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र के रूप में उल्लेखित किया गया है। पौराणिक शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता कहा जाता है और दिशाओं में यह वायव्य दिशा का स्वामी होता है।
यंत्र - चंद्र यंत्र
जड़ - खिरनी
रत्न – मोती
रंग – सफेद
उपाय – यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर या कम प्रभावी है तो उस जातक को उपाय हेतु भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। जिससे जातकों को चंद्र (Moon) देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा की महादशा दस वर्ष तक चलती है।
दिनाँक | Sunday, 13 October 2024 |
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तिथि | शुक्ल एकादशी |
वार | रविवार |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
सूर्योदय | 6:21:19 |
सूर्यास्त | 17:53:45 |
चन्द्रोदय | 15:20:54 |
नक्षत्र | धनिष्ठा |
नक्षत्र समाप्ति समय | 26 : 52 : 55 |
योग | शूल |
योग समाप्ति समय | 21 : 26 : 50 |
करण I | वणिज |
सूर्यराशि | कन्या |
चन्द्रराशि | मकर |
राहुकाल | 16:27:12 to 17:53:45 |