शनि ज्योतिष शास्त्र में शनि सबसे ज्यादा शक्तिशाली ग्रह माने जाते हैं। शक्तिशाली इसलिये क्योंकि शनि बहुत ज्यादा प्रभावी हैं। शनि की ढ़ैय्या हो या साढ़ेसाती जातक के भविष्य पर इनका व्यापक प्रभाव पड़ता है। शनि को पाप व क्रूर ग्रहों में माना जाता है हालांकि शनि स्वभाव से ऐसे नहीं हैं। बल्कि शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं और जो जैसा कर्म करता है उसी के अनुरूप फल भी प्रदान करते हैं। लेकिन शापित होने के कारण शनि की दृष्टि जिन पर पड़ती है उनका अनिष्ट होता है इस कारण शनि की छवि एक क्रूर ग्रह की बनी हुई है। शनि बुध, शुक्र व राहू के साथ मित्रता रखते हैं तो सूर्य, चंद्रमा व मंगल के साथ इनका संबंध शत्रुता का है। बृहस्पति और केतु के साथ इनका संबंध सम रहता है। मकर व कुंभ राशियों के ये स्वामी माने जाते हैं। शनि एक राशि में लगभग ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं इस कारण शनि का गोचर काफी अहम माना जाता है। शनि के राशि परिवर्तन से कुछ राशियों से ढ़ैय्या व साढ़ेसाती समाप्त होती है तो कुछ पर आरंभ ऐसे में शनि के गोचर की जानकारी होना बहुत जरुरी है। एस्ट्रोयोगी के इस पेज पर आप शनि ग्रह की चाल के बारे में तो जानेंगें ही साथ ही आपकी राशि पर शनि के इस गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में भी आपको जानकारी मिलेगी।
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