बृहस्पति ग्रह को गुरु का दर्जा दिया जाता है। इसलिए ज्योतिष की दुनिया में गुरु गोचर को एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। यह गुरु ग्रह गोचर अपने साथ कई बड़े परिवर्तन लेकर आता है। आपको बता दें कि जब बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो यह जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है।
साल 2026 में भी गुरु का विशेष गोचर होने जा रहा है। इस पेज पर आपको गुरु गोचर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जानने को मिलेंगी। साथ ही आप यह भी जानेंगे कि गुरु गोचर 2026 में कब है ? और बृहस्पति गोचर 2026 किस राशि में होगा ? तो चलिए जानते हैं कि क्यों इतना खास होता है बृहस्पति ग्रह गोचर।
सबसे पहले जान लेते हैं कि ज्योतिष में “गोचर” का मतलब क्या होता है? जब कोई ग्रह किसी एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो उस प्रक्रिया को गोचर कहा जाता है। इसी प्रकार जब बृहस्पति यानी गुरु ग्रह अपनी राशि बदलते हैं, तो उसे गुरु गोचर या बृहस्पति गोचर कहा जाता है। गुरु ग्रह गोचर बाकी ग्रहों की तुलना में काफी खास माना जाता है, क्योंकि गुरु लगभग हर 12 से 13 महीने में एक बार ही नई राशि में प्रवेश करते हैं। इस वजह से इसका असर लंबा और गहरा होता है।
ज्योतिष के अनुसार, गुरु या बृहस्पति ऐसा ग्रह है जो जीवन में दिशा और ज्ञान देने वाला माना जाता है। यह ग्रह सिर्फ भाग्य ही नहीं, बल्कि सही सोच, नैतिकता और समझदारी का प्रतीक है। गुरु जिस व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है, वह आमतौर पर आशावादी, व्यावहारिक और धार्मिक स्वभाव का होता है।
गुरु व्यक्ति के जीवन में विकास, विस्तार और आत्मविश्वास लाता है। जब गुरु का गोचर अनुकूल होता है, तो भाग्य साथ देता है, सोच स्पष्ट होती है, और अवसर बढ़ते हैं। लेकिन अगर गुरु पर राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों का असर हो, तो कभी-कभी राह थोड़ी कठिन हो जाती है। ऐसे समय में धैर्य, सच्चाई और श्रद्धा बनाए रखना ही सबसे बड़ी कुंजी होती है।
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, साल 2026 में गुरु ग्रह यानी बृहस्पति अपनी राशि बदलकर एक नई शुरुआत का संकेत देंगे। इस दौरान कई लोगों को जीवन में नए विचार, सीखने की इच्छा और ज्ञान बढ़ाने के मौके मिलेंगे। जो लोग शिक्षा, लेखन, मीडिया या कारोबार से जुड़े हैं, उनके लिए यह समय आगे बढ़ने का हो सकता है।
स्थान और पंचांग के अनुसार यह समय थोड़ा भिन्न भी हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव हर राशि पर होगा।
| गुरु का कर्क राशि में गोचर: | 2 जून 2026, मंगलवार, सुबह 2:25 बजे |
गुरु यानी बृहस्पति ऐसा ग्रह है जो जिस भाव में गोचर करता है, वहां विकास, सीख और नई दिशा लेकर आता है। लेकिन हर भाव में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है, कहीं यह तरक्की दिलाता है, तो कहीं आत्मचिंतन की जरूरत जगाता है। आइए जानते हैं कि अगर गुरु जन्म कुंडली के बारह भावों में में गोचर करे, तो उसका क्या असर देखने को मिल सकता है।
पहला भाव: जब गुरु पहले भाव में आता है, तो व्यक्ति के आत्मविश्वास और सोच में सकारात्मक बदलाव आता है। आप खुद को बेहतर महसूस करते हैं, सेहत और व्यक्तित्व दोनों निखरते हैं। बस अहंकार या जल्दबाजी से बचें, वरना छोटी बातें भी बड़ी लग सकती हैं।
दूसरा भाव: यह समय धन, बचत और पारिवारिक सुख में वृद्धि का हो सकता है। व्यापार या नौकरी में लाभ के अवसर मिलेंगे। अगर पहले कोई कर्ज या आर्थिक दिक्कत थी, तो अब राहत की संभावना है। परिवार में मेलजोल बढ़ेगा और माहौल खुशनुमा रहेगा।
तीसरा भाव: गुरु का तीसरे भाव में गोचर आपकी हिम्मत और बोलने की क्षमता बढ़ाता है। आप नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित होंगे, यात्राएं और नेटवर्किंग बढ़ेगी। बस बहस या अनावश्यक विवादों से बचें, वरना ऊर्जा व्यर्थ जा सकती है।
चौथा भाव: यह गोचर घर, वाहन या संपत्ति से जुड़ी खुशखबरी ला सकता है। माता-पिता के साथ संबंध बेहतर होंगे। मानसिक शांति और स्थिरता महसूस होगी। घर में सकारात्मकता बढ़ेगी और कुछ लोगों को नया घर या जमीन का लाभ मिल सकता है।
पांचवा भाव: गुरु का यह स्थान विद्यार्थियों और रचनात्मक लोगों के लिए बेहद शुभ होता है। पढ़ाई, कला, लेखन या प्रेम संबंधों में अच्छी प्रगति संभव है। बच्चों से जुड़ी कोई खुशखबरी मिल सकती है। कुल मिलाकर, यह भाव आपकी रचनात्मकता को नई दिशा देता है।
छठवां भाव: इस गोचर में आत्म-नियंत्रण और स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी होता है। कामकाजी जीवन में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, या पुराने कर्ज का दबाव महसूस हो सकता है। लेकिन अगर आप अनुशासन और संयम रखेंगे, तो मुश्किलें धीरे-धीरे कम होंगी और आत्मबल बढ़ेगा।
सातवां भाव: यह गोचर वैवाहिक जीवन और साझेदारियों के लिए सकारात्मक परिणाम दे सकता है। जिन लोगों के रिश्ते में दूरी थी, उनमें फिर से मेल-मिलाप हो सकता है। व्यापारिक पार्टनरशिप के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा। बस निर्णय सोच-समझकर लें।
आठवां भाव: जब गुरु आठवें भाव में आता है, तो जीवन में गहराई और बदलाव लेकर आता है। आप आध्यात्मिक रूप से मजबूत महसूस कर सकते हैं, लेकिन कभी-कभी भावनात्मक उतार-चढ़ाव भी आ सकता है। अचानक लाभ, बीमा, या पैतृक संपत्ति से जुड़े मामलों में प्रगति संभव है।
नौवां भाव: गुरु का यह स्थान सबसे शुभ माना जाता है। इस समय भाग्य आपका साथ देता है, और शिक्षा, यात्रा व अध्यात्म में प्रगति होती है। यह समय आशीर्वाद, विश्वास और नई संभावनाओं से भरा रहता है। किसी गुरु या मेंटर से मार्गदर्शन मिलने की भी संभावना है।
दसवां भाव: यह गोचर करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा में उन्नति दिलाता है। मेहनत का फल मिलेगा, नए अवसर सामने आएंगे। नौकरी में प्रमोशन या व्यापार में विस्तार संभव है। यह समय अपनी मेहनत से पहचान बनाने का है।
ग्यारहवां भाव: गुरु जब लाभ भाव में होता है, तो लक्ष्य पूरे होने की संभावना बढ़ जाती है। मित्रों और संपर्कों से फायदा होगा। यह समय सपनों को साकार करने और आर्थिक वृद्धि का है। सामाजिक कामों या समूह से जुड़े कार्यों में भी सम्मान मिलेगा।
बारहवां भाव: यह गोचर आत्मचिंतन और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरित करता है। कुछ लोगों के लिए यह विदेश यात्रा या नई जगह पर रहने का योग बना सकता है। हालांकि खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है, इसलिए आर्थिक संतुलन जरूरी है। ध्यान और सेवा कार्यों से मन की शांति मिलेगी।