जैसा की आपको नाम से ही ज्ञात हो गया होगा कि हम राशि रत्न की बात कर रहे हैं। इस भाग में हम ज्योतिष में राशि रत्नों की क्या महत्व है? राशि रत्नों को धारण करने के क्या लाभ हैं? किस राशि के जातक कौन सा रत्न धारण कर इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। यहां नौ ग्रह के नौ रत्नों के साथ ही बरहों राशि में जन्मे जातकों के लिए महत्वपूर्ण रत्नों के बारे में जानकारी दी जा रही है। आपके लिए निश्चित तौर पर लाभकारी सिद्ध होगी।
हम सब जानते हैं कि प्रकृति की एक अमूल्य देन है ये रत्न। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि ग्रहों व राशियों का हमारे जीवन व मनोस्थिति के साथ ही व्यवहार व स्वभाव पर सीधा असर पड़ता है। ज्योतिष की माने तो इन ग्रहों में से किसी की भी स्थिति खराब हो जाए तो यह हमारी स्थिति भी बिगाड़ देते हैं। कहे तो ग्रहों की दशा ही हमारे जीवन की दिशा तय करती है। सही दशा ही हमें उचित दिशा में आगे ले जाती है। इसलिए इन्हें सही दशा व स्थिति में रखने के लिए ज्योतिषाचार्य हमें इनके रत्न धारण करने की सलाह देते हैं क्योंकि राशि रत्न अपने सामर्थ्य से इन ग्रहों को सही स्थिति में रखते हैं। जिसका लाभ धारण करने वाले को होता है।
यदि आपके मन भी यह सवाल उठ रहा है कि क्यों राशि रत्न को धारण करें तो हम आपको बता दें कि राशि रत्न धारण करने से जातक को रत्न का लाभ मिलता है। ज्योतिष करते हैं कि आदिकाल से ही इस विधा का उपयोग किया जा रहा है। आदिकाल से ही रत्नों को आभूषण व ज्योतिषीय नजरियें के चलते धारण किया जा रहा है। वर्तमान में भी लोग रत्नों को शौक वश धारण कर रहे हैं। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि रत्न को बिना ज्योतिषीय सलाह के धारण करना हानिकार हो सकता है। क्योंकि रत्न अपने राशि के स्वामी ग्रह को प्रबल बनाता है। जिससे आपको उसका लाभ स्थिति व प्रभाव के अनुसार मिलता है। यदि आपने गलत रत्न धारण कर लिया तो आपको इसके गंभीर नतीजे मिल सकते हैं। राशि के रत्न धारण करने से जातक को राशि का लाभ मिलता है। ज्योतिष कहते हैं कि राशि रत्न को तब धारण करने की सलाह तब दी जाती है जब राशि व राशि का स्वामी कमजोर हो या किसी तरह की रत्न से संबंधित समस्या व रोग हो। ज्योतिष कहते हैं कि रत्नों से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। करियर, धन, संतान, संबंध, प्रेम व व्यवसाय में लाभ के लिए भी रत्न धारण किया जाता है। इसके साथ ही ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि केवल इसके भौतिक ही नहीं अपितु चिकित्सीय लाभ भी हैं। कुछ रत्न मानसिक तनाव, रक्त संबंधित विकार के साथ ही कई अन्य विकारों में भी फायदा पहुँचाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों की माने तो राशि रत्न दो तरह के होते हैं एक राशि रत्न व दूसरा उपराशि रत्न। ये रत्न ही होते हैं लेकिन राशि रत्न (rashi gems) से कम कीमती व उतने ही प्रभावी होते हैं। यदि आपको रत्नों के बारे कुछ जानकारी है तो आप नौ रत्नों के बारे में भी जानते होंगे। यदि नहीं है तो हम आपको बता दें कि ये नौ रत्न नौ ग्रह की अगुवायी करते हैं। सभी अपने गुण व शक्ति के अनुसार अगल महत्व रखते हैं। वैसे तो सभी रत्न मायने रखते हैं लेकिन इन रत्नों में नौ रत्न सबसे अधिक महत्व रखते हैं। जिस तरह से ज्योतिष में नौ ग्रह हैं इसी की तर्ज पर इन ग्रहों के नौ रत्न भी हैं। नौ रत्नों में हीरा, मोती, पन्ना, माणिक, नीलम, पुखराज, गोमेद, मूंगा व लहसुनिया शामिल है। ज्योतिषियों की माने तो राशि व राशि के स्वामी के गुण व स्वभाव के आधार पर ही इनके राशि रत्नों को निर्धारित किया है।
राशि रत्न का ज्योतिष शास्त्र में आप इसी बात से लगा सकते हैं। जब भी ग्रह अपनी दिशा व स्थिति बदलते हैं तो ज्योतिषाचार्य राशि रत्न को ही धारण करने की सलाह देते हैं। क्योंकि रत्न अपने प्रभाव से कमजोर ग्रह को शक्तिशाली बनाने के साथ ही आपके किस्मत को भी बदलने का काम करता है। सभी बरहों राशि के जातकों के लिए उसके राशि व राशि स्वामी के अनुसार रत्न निर्धारित है। जिसे ज्योतिष परामर्श के बाद धारण किया जाता है। कुल मिलाकर अगर आपकी जिंदगी में कोई परेशानी काफी दिनों से है तो हो सकता है कि आपके ग्रह गर्दिश में हैं। इसे समय रहते सही नहीं किया गया तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
किसी भी राशि के जातक अपने राशि के अनुसार रत्न तय किए गए रत्न को धारण कर सकते हैं। लेकिन यहां एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप अपनी कुंडली का आकलन एक बार ज्योतिषाचार्य से अवश्य ही करवाये इसके बाद ही रत्न को धारण करें।
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