एम्बर भी रत्नों में एक रत्न हैं। यह रत्न गुरू बृहस्पति का उपग्रह माना जाता है। इस लेख में हम एम्बर क्या है? इसका क्या ज्योतिषीय महत्व है? यह कहां पाया जाता है? इसके धारण करने के क्या लाभ हैं? एम्बर को किस तरह से धारण किया जाता है? इन सभी पहलुओं के बारे में जानेंगे।
एम्बर को कहरुवा या तृणमणि के नाम से भी जाना जाता है। एक कार्बनिक रत्न है जो वास्तव में खनिज नहीं है। लेकिन यह एक विशेष वृक्ष की कठोर गोंद है। यह पीले, भूरे, लाल, काले, नीले और हरे आदि रंगों में पाया जाता है। इस रत्न में कभी-कभी आकर्षक कीड़े या पौधे के समावेश होते हैं जो इसके मूल्य को बहुत बढ़ा देते हैं। प्राचीन काल से एम्बर का उपयोग आभूषण, सजावटी टुकड़ों और उपचार चिकित्सा में किया जाता है।
प्राकृतिक एम्बर पत्थर रूस, डोमिनिकन गणराज्य, बर्मा (म्यांमार), मैक्सिको, इटली, जर्मनी, अफ्रीका, इंडोनेशिया आदि देशों में खनन स्थानों से प्राप्त होते हैं। बाल्टिक राज्यों से बाल्टिक एम्बर पत्थर रूस के समृद्ध रंग, प्राकृतिक सुंदरता के लिए बेहद लोकप्रिय है। बर्मी एम्बर, अफ्रीकी एम्बर, इंडोनेशियाई एम्बर और डोमिनिकन एम्बर अन्य लोकप्रिय विकल्प हैं।
यह रत्न गुरू बृहस्पति का उप-रत्न माना जाता है। ज्योतिषियों कहना है कि जो लोग किसी कारण पुखराज नहीं धारण कर पाते हैं उनके लिए एम्बर एक अच्छा विकल्प है। यह भी पुखराज की ही तरह लाभ देता है। परंतु इसके लिए ज्योतिषीय परामर्श लेना जरूरी है। क्योंकि उप रत्न को भी सब धारण नहीं कर सकते हैं। इसे कितना और किस धातु में धारण करना है यह भी ज्योतिष कुंडली का आकलन करने के पश्चात ही आपको बताएँगे। इसलिए यदि आप एम्बर धारण करने पर विचार कर रहे हैं तो आपको ज्योतिषीय परामर्श जरूर लेना चाहिए। अभी ज्योतिशाचार्य से बात करने के लिए यहां क्लिक करें।
भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वृषभ राशि के जातकों के लिए एम्बर का राशि रत्न के तौर पर उल्लेख किया गया है। तो वहीं पश्चिमी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एम्बर को कर्क, सिंह, कुंभ, कन्या, मीन, वृष और मकर राशि के लिए वैकल्पिक बर्थ-स्टोन के रूप में धारण कर सकते हैं।
एम्बर धारण करने से गुरू मजबूत होता है। इसके अलावा एम्बर रत्न अपनी अद्भुत चिकित्सा क्षमताओं और आध्यात्मिक विशेषताओं के लिए भी पहचाना जाता है। इस रत्न को एक प्राकृतिक उपचारक के रूप में माना जाता है और इसका उपयोग दाँतों के दर्द से लेकर गठिया और अवसाद जैसी कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
एम्बर पत्थर पहनने से लोगों को अवसाद, चिंता, भय और तनाव जैसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों से निपटने में मदद मिलती है। यह रत्न गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा या उपचार में पेशेवरों के लिए अत्यधिक फ़ायदेमंद माना जाता है।
शारीरिक बीमारियों को ठीक करता है!
एम्बर धारण करने से गोइटर, सिरदर्द, तनाव, पीलिया, फ्लू आदि सहित चिकित्सा स्थितियों से तेजी से रिकवरी का लाभ मिलता है। एमीमेस्टोन रत्न को पीड़ित लोगों के लिए एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
स्मरण व बौद्धिक क्षमताओं में सुधार करता है!
एक प्राचीन मान्यता के अनुसार, एम्बर पत्थर बौद्धिक गुणों से साथ ही पहनने वाले की स्मृति को भी बढ़ाता है। इसकी सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा सकारात्मक तरंगों को बढ़ावा देती है और जीवन में तर्कसंगत निर्णय लेने में धारण करने वाले की मदद करती है।
एम्बर धारण करने की विधि
एम्बर को अंगूठी, ब्रेसलेट और पेंड़ेट में जड़वा कर धारण कर सकते हैं। इसे आपको बृहस्पतिवार या शुक्रवार के दिन धारण करना चाहिए। यदि ये वारें शुक्ल पक्ष की हो तो अच्छी बात है। इसे धारण करने से पहले रत्न को गंगाजल, दूध, शहद व मिश्री के घोल में डाल कर रख दें। इसके बाद धूप दीप कर इसे धारण करें।
यह जानकारी सामान्य है। परंतु यदि आप एम्बर के बारे में अन्य ज्योतिषीय पहलू जानना चाहते हैं तो आपको ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों से बात कर आप अधिक स्पष्ट हो पाएंगे। जिसका आपको लाभ होगा। ज्योतिषाचार्य से अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।