शुक्र ग्रह को वैदिक ज्योतिष में प्रेम व सुख का कारक माना है। इसी बात से आप ज्योतिष में शुक्र ग्रह के स्थान व महत्व को जान सकते हैं। इस लेख में हम प्रेम के कारक ग्रह शुक्र (Venus) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। हम जानेंगे कि शुक्र का ज्योतिष में क्या महत्व है? शुक्र का मानव जीवन पर क्या प्रभाव होता है? शुक्र की पौराणिक मान्यता क्या है? इसके साथ ही शुक्र के यंत्र, मंत्र, नक्षत्र, मूल, रत्न तथा राशि के बारे में भी बात करेंगे। तो आइये जानते हैं शुक्र के बारे में -
शुक्र ग्रह को काम व सुख के कारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली में शुक्र की स्थिति का आकलन कर के ही ज्योतिष ज्योतिष जातक के सुख व संपन्न तथा प्रेम की गणना करते हैं। जातक के जीवन में प्रेम की कितना व कब आएगा इसकी जानकारी मिलती है। शुक्र ग्रह सौर मंडल में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है और यह चंद्रमा के बाद रात में चमकने वाला दूसरा ग्रह है। शुक्र (Venus) आकार व द्रव्यमान में पृथ्वी के समान ही है और इसे अक्सर पृथ्वी की बहन या जुड़वा के तौर पर वर्णित किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र (Venus) एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।
सबसे पहले बात करते हैं कि शुक्र का मानव शरीर की संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह जिस जातक की कुंडली में लग्न भाव में विराजमान होता है वह जातक रूप-रंग से बेहद सुंदर व आकर्षक होता है। जातक का व्यक्तित्व विपरीत लिंग के जातकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जातक स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है। लग्न में शुक्र (Venus) का होना जातक का कला के क्षेत्र में रूचि पैदा करता है।
ज्योतिष के मुताबिक शुक्र यदि कुंडली में प्रभावी व मजबूत स्थिति में हैं तो जातक का प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी रहता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र मजबूत हैं तो आप अनुभव किए होंगे कि आपका प्रेम पक्ष काफी अच्छा है। यदि आप विवाहित हैं तो आप अपने वैवाहिक जीवन को देख ही रहे होंगे। शुक्र पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है तो वहीं प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस में वृद्धि करता है। जातक भौतिक जीवन में रूचि रखता है।
यदि जातक की कुंडली में शुक्र (Venus) कमजोर स्थिति में या किसी क्रूर ग्रह के साथ प्रतिकूल स्थिति में बैठा हो तो ऐसे में जातकों को परिवार व प्रेम के मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुक्र के कमजोर होने से जातक कम रोमांटिक हो सकता है। इसके साथ ही आपका प्रेम जीवन उतार-चढ़ाव से गुजरता है हो वहीं पती-पत्नि के बीच मतभेद होते रहते हैं। अकारण ही विवाद होता है। इसके साथ ही वह भौतिक सुख को भोग नहीं पाता है।
शुक्र की पौराणिक मान्यता की बात करें तो शुक्र को हिंदू पुराणों में दैत्य के गुरू के रूप में उल्लेखित किया गया है। शुक्र का पौराणिक काथाओं में प्रचलित नाम शुक्राचार्य है, जिनके बाद संजीवनी विद्या थी और ये शिव के परम भक्त थे। शुक्र महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं। सप्ताह में शुक्रवार का दिन शुक्र को समर्पित है।
यंत्र - शुक्र यंत्र
मंत्र - ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
जड़ी - अरंड मूल
रत्न - हीरा
रंग – गुलाबी
उपाय – कुंडली में शुक्र को मजबूत बनाने के लिए आप हीरा धारण कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको शुक्र यंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए। दान करना भी आपको लाभ पहुँचाएगा। महिलाओं का सम्मान करें। परशुराम की आराधना करने से भी शुक्र की कृपा प्राप्त होगी।
दिनाँक | Thursday, 21 November 2024 |
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तिथि | कृष्ण सप्तमी |
वार | गुरुवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 6:49:11 |
सूर्यास्त | 17:25:32 |
चन्द्रोदय | 22:44:5 |
नक्षत्र | अश्लेषा |
नक्षत्र समाप्ति समय | 41 : 11 : 46 |
योग | ब्रह्म |
योग समाप्ति समय | 35 : 33 : 38 |
करण I | विष्टि |
सूर्यराशि | वृश्चिक |
चन्द्रराशि | कर्क |
राहुकाल | 13:26:54 to 14:46:26 |