मंगल को हम लाल ग्रह के रूप में भी जानते हैं। सौरमंडल के ग्रहों में वैज्ञानिकों के नज़रिये से तो मंगल महत्वपूर्ण है ही लेकिन ज्योतिषशास्त्र में भी मंगल का काफी महत्व माना जाता है। अंग्रेजी में मंगल को मार्स जो कि युनानियों के कृषिदेवता कहे जाते हैं। इन्हीं के नाम पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के तीसरे महीने का नाम मार्च रखा गया है। रोमन इन्हें युद्ध का देवता भी कहते है। लेकिन हिंदू पौराणिक ग्रंथों में मंगल को भौमेय यानि पृथ्वी का पुत्र कहा जाता है। कुछ पुराण इन्हें भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न मानते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगल मेष एवं वृश्चिक राशि के स्वामी माने जाते है। मंगल ऊर्जा के प्रतीक हैं। मंगल जातक को जूझारू बनाते हैं। ये सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के मित्र हैं तो बुध व केतु के साथ इनका शत्रुवत संबंध है। शुक्र और शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। मंगल मकर राशि में उच्च के रहते हैं तो कर्क राशि में इन्हें नीच का माना जाता है। मंगल दोष से पीड़ित जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कष्टों से लेकर दरिद्रता जैसे दु:ख उठाने पड़ते हैं। मंगल का राशि परिवर्तन करना जातक की कुंडली में भावानुसार सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस पेज पर आपको मंगल के गोचर की समस्त जानकारी मिलेगी साथ ही आप जान पायेंगें कि मंगल का राशि परिवर्तन आपको कैसे प्रभावित करेगा।
आपकी कुंडली के अनुसार ग्रहों की दशा क्या कहती है, जानें एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से। अभी परामर्श करें।मेष से वृषभ | 22 फरवरी 2021 05:04 पूर्वाह्न |
वृषभ से मिथुन | 14 अप्रैल 2021 01:41 पूर्वाह्न |
मिथुन से कर्क | 02 जून 2021 07:17 पूर्वाह्न |
कर्क से सिंह | 20 जुलाई 2021 06:19 पूर्वाह्न |
सिंह से कन्या | 06 सितम्बर 2021 04:22 पूर्वाह्न |
कन्या से तुला | 22 अक्तूबर 2021 02:26 पूर्वाह्न |
तुला से वृश्चिक | 05 दिसम्बर 2021 06:21 पूर्वाह्न |