आपकी कुंडली में ऐसे बहुत योग और दोष होते हैं, जिनका जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। कुछ योग जीवन को सकारात्मक ढंग से प्रभावित करते हैं तो कुछ नकारात्मक तरीके से। यह निर्भर करता है कि आपकी कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति क्या है। गुरु चांडाल योग भी कुंडली के इन्हीं योग में से एक है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण योग माना जाता है। इस योग नाम सुनकर अक्सर लोग भयभीत हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसे कुंडली का एक नकारात्मक योग माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु चांडाल योग होता है उन्हें जीवन में विभिन्न के क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह योग अपने साथ अनेकों प्रकार के संघर्ष और बाधाएं लेकर आता है। यह योग आपके विचार, करियर, और धार्मिक मान्यताओं को प्रभावित करता है।
हालांकि यह योग हमेशा नकारात्मक नहीं होता है, बहुत-सी स्थिति में यह योग सकारात्मक परिणाम भी देता है। अगर कुछ सही उपायों का पालन किया जाए तो यह योग आपके लिए लाभकारी भी साबित हो सकता है। इस पेज पर हम आपको गुरु चांडाल योग के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। इसकी मदद से आप अपने हर सवाल का जवाब पा सकते हैं और अपने जीवन में सुधार ला सकते हैं। तो चलिए जानते हैं गुरु चांडाल योग क्या होता है? , उसके फायदे क्या हैं? और उसके असरदार उपाय क्या हो सकते हैं?
ग्रह सभी कुंडली चार्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रहों की स्थिति हर व्यक्ति के जी वन को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है। वैसे ही कुंडली में बना गुरु चांडाल योग (Guru Rahu Chandal Yog) आपके जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है। आइए अब हम "गुरु चांडाल योग" का अर्थ समझते हैं। ग्रह बृहस्पति को गुरु के रूप में जाना जाता है, जबकि, "चांडाल" शब्द का अर्थ एक व्यक्ति है जो बहिष्कृत है और "योग" का अर्थ है 'संघ' या 'जुड़ना'। गुरु चांडाल दोष पूजा (guru chandal dosh puja) करवाने के लिए विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क करें।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी की कुंडली में राहु या केतु बृहस्पति के साथ स्थित होते हैं या गुरु का राहु या केतु के साथ दृष्टि संबंध है तो कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है, जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में परेशानियां शुरू हो जाती हैं। ऐसा व्यक्ति अनैतिक या अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकता है।
1. यदि कुंडली के पहले भाव में गुरु और राहु एक साथ बैठे होते हैं तो जा तक संदिग्ध चरित्र वाला होता है और गलत तरीकों से धन अर्जित करने की कोशिश करता है।
2. वहीं दूसरे भाव में इस योग के बनने से जातक धनवान तो होता है लेकिन भोग विलासिता की चीजों पर धन अपव्यय करता है। गुरु के कमजोर होने पर जातक नशे की आदी हो सकता है।
3. कुंडली के तीसरे भाव में गुरु और राहु की युति जातक को साहसी और पराक्रमी तो बनाती है लेकिन राहु की मजबूत स्थिति जातक को गलत कार्यों के लिए कुख्यात कर देती है। जातक जुएं के जरिए धन कमाने लगता है।
4. यदि कुंडली के चौथे भाव में गुरु चांडाल योग बनता है तो जातक समझदार और बुद्धिमान होता है। लेकिन गुरु की स्थिति कमजोर होने के कारण व्यक्ति पारिवार के प्रति रुचि नहीं लेता है और घर में अशांति बनी रहती है।
5. कुंडली के पांचवें घर में गुरु और राहु की युति से संतान को कष्ट झेलना पड़ता है और संतान अनैतिक कार्यों में शामिल हो जाता है। गुरु की कमजोर स्थिति की वजह से उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता है और मन अस्थिर बना रहता है।
6. कुंडली के छठें भाव में इस योग के निर्माण से जातक बीमारियों से जूझता रहता है और उसकी कमर के नीच हमेशा दर्द बना रहता है।
7. यदि किसी जातक की कुंडली के सातवें भाव में गुरु कमजोरी और राहु बलवान होता है तो जातक के वैवाहिक जीवन में हमेशा विवाद बना रहता है और जीवनसाथी के साथ तालमेल बना पाना काफी मुश्किल होता है।
8. यदि कुंडली के आठवें घर में गुरु चांडाल योग बनता है तो जातक के बहुत चोट लगती है और जीवनभर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। यहां तक कि राहु बलवान होने से जातक खुदकुशी की भी कोशिश कर सकता है।
9. यदि नौवें भाव में गुरु और राहु की युति होती है तो जातक का माता-पिता से हमेशा विवाद बना रहता है और समाज में अपयश की प्राप्ति होती है।
10. कुंडली के दशवें भाव में गुरु चांडा ल योग बनने से जातक के मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा में कमी आ जाती है और कार्यक्षेत्र में लगातार बदलाव करता रहता है।
11. कुंडली के ग्यारहवें भाव में इस योग के निर्माण से जातक गलत तरीके से धन कमाता है और मित्रों की संगति अच्छी नहीं होती है और अनैतिक कार्यों को करने में मन लगता है।
12. कुंडली के द्वादश भाव में गुरु कमजोर होने और राहु बलवान होने से व्यक्ति नास्तिक बन जाता है और धर्म की आड़ में लोगों को धोखा देता है।
अगर गुरु चांडाल योग का सकारात्मक पक्ष देखा जाए तो यह कई बड़े फायदे भी दे सकता है। जब यह आपकी कुंडली में कुछ सकारात्मक प्रभाव देता है तो आपको अपनी बौद्धिक क्षमताओं में वृद्धि देखने को मिलती है। आपके सोचने के तरीके में बदलाव आता है, यह बदलाव आपकी विकसित सोच को दर्शाता है। इसके प्रभाव से आप मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी सही निर्णय ले सकते हैं। यह आपके भीतर चीजों को संभालने का साहस पैदा करता है। इस तरह आप ज्यादा तेजी से सफल होने में सक्षम हो सकते हैं।
गुरु चांडाल योग के शुभ प्रभाव से आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है। यह गुण आपको लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह आप जीवन में बड़ी सफलता पाने में भी सक्षम होते हैं। आपकी सोच और दृष्टिकोण में नयापन लेकर आता है। आप अलग-अलग ढंग से चीजों के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं। आप लोग समाज में एक अलग पहचान बना सकते हैं और अपने व्यक्तित्व की प्रभावी छाप छोड़ सकते हैं। इसके अलावा गुरु चांडाल योग आपको आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करता है। अगर इस योग को समझदारी से समझा जाए और सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो यह जीवन में कुछ नई संभावनाओं और सफलताओं की राह खोलता है।
गुरु चांडाल योग के नाकरात्मक प्रभावों को कम करने के लिए और शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको गुरु चांडाल योग होने पर इन खास उपायों का उपयोग करना चाहिए।
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गुरु चांडाल दोष से क्या होता है?
कुंडली में जब गुरु चांडाल दोष बनता है तो लोगों को कई लोगों को इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। यह मान-सम्मान की हानि और जीवन में कष्टों का कारण बनता है।
गुरु चांडाल योग कब तक रहता है?
गुरु चांडाल योग से आपको छुटकारा कब तक मिलेगा, इसके लिए आपको एक विशेषज्ञ ज्योतिषी से सटीक जवाब मिल सकता है। वे आपको आपकी व्यक्तिगत कुंडली के आधार पर सही सुझाव देंगे।
गुरु चांडाल योग की शांति कैसे करते हैं?
ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दोष से पीड़ित होते हैं उन्हें भगवान गणेश और देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। साथ ही पुखराज भी धारण करना चाहिए। इससे उन्हें इस योग के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
गुरु दोष कैसे दूर करें?
गुरु दोष दूर करने के लिए आपको कुछ खास उपायों का पालन करना चाहिए। इस लेख में ऊपर दिए गए उपाय आपकी बहुत मदद कर सकते हैं।
गुरु और राहु की युति से कौन सा योग बनता है?
जब कुंडली में देव गुरु बृहस्पति राहु के साथ स्थिति होते हैं तो यह गुरु चांडाल योग का निर्माण करता है। इस योग के आमतौर पर नकारात्मक परिणाम होते हैं, लेकिन सही उपायों से साथ यह शुभ फल भी दे सकता है