भारत में नवरात्रि के रंग

Thu, Oct 15, 2020
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Thu, Oct 15, 2020
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
भारत में नवरात्रि के रंग

नवरात्रि का त्यौहार गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान डांडिया नृत्य और गरबा गुजरात के शहरों में पूरे नौ दिनों तक प्रदर्शित किया जाता है। गुजरात में खेला जाने वाला गरबा और डांडिया नृत्य दुनिया भर के बड़े नृत्य त्योहारों में से एक हैं। इन नृत्यों को पारंपरिक रूप से सजाए गए मिट्टी बर्तन (गरबी) के आसपास प्रदर्शित किया जाता है। गरबी के अंदर एक छोटे से (दीपक) को प्रज्वलित किया जाता है, जो ज्ञान रूपी प्रकाश का अज्ञान रूपी अंधेरे के भीतर फैलाने प्रतीक माना जाता है। एक अन्य नृत्य डांडिया-रास के रूप में गुजरात में नवरात्रि समारोह के दौरान बेहद लोकप्रिय है, यह अधिकतर पुरुष (men folk) द्वारा किया जाता है। आज इन नृत्यों के व्यावसायीकरण हो जाने के कारण इस नृत्य की वास्तविकता ,पारंपरिकता और नाजुक लय, वैकल्पिक रूपों में खोती जा रही है।

 

राज्यों में नवरात्र के नव रंग

 

पंडितजी का कहना है कि गुजरात में नवरात्रि का अपना अलग महत्व है। गुजरात के लोगो के लिए, यह पर्व न सिर्फ माँ दुर्गा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर है, बल्कि मौज-मस्ती का समय भी होता है। नौ दिन तक माता का पंडाल सजाया जाता है, और लोग पारंपरिक वस्त्र जैसे कि घाघरा चोली पहन कर डांडिया और गरबा खेलते है। युवाओं के लिए अपने संस्कृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर होता है। युवक- युवतियाँ पारंपरिक वेशभूषा में गानों पर थिरकते हैं और डांडिया खेलते है। गुजरात अपने स्वादिष्ट खाने के लिए जग प्रसिद्ध है। नवरात्रो के पावन अवसर में गुजरात न सिर्फ डांडिया और गरबा की धुन में झूमता है बल्कि लुभावने भोजन से सबका दिल जीत लेता है।

 

पश्चिमी भारत में नवरात्रि के खास भोज

  • गुजरात अपने शाकाहारी भोजन के लिए विख्यात है। नवरात्रों के दौरान दूध और दालों से बनी वस्तुओं को गुजरात में बड़े चाव से खाया जाता है।

  • नवरात्रि रायता, गुजरात का खास रायता है जो, दही और बंद गोभी से तैयार होता है। स्वाद के लिए इसमे काली मिर्च का ज़ायका डाला जाता है।
  • गुजरात का साबूदाना वड़ा, अपने अनूठे स्वाद के लिए लोगो को आकर्षित करता है। उपवास में खाने के लिए साबूदाना वड़ा बहुत अच्छी चीज़ है। इसे आसानी से बनाया जा सकता है।
  • गुजरात के भोजन में दाल, सब्ज़ियाँ और दूध प्रमुख हिस्सा होते है। इसलिए नवरात्रो के दौरान यहाँ खाने के लिए आपको ढेरो विकल्प मिल जाएंगे। जो न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होंगे बल्कि आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं।

 

दक्षिण भारत में नवरात्रि

 

दक्षिण भारत में महिलाएं बोम्मई कोलू (Doll) के साथ अपने घरों को सजाती हैं। विभिन्न रंग के पाउडर और फूलों का उपयोग करके परंपरागत डिज़ाइन या रंगोली बनाती हैं। परिवार के सदस्य और दोस्त इस अवसर पर नारियल, कपड़े और मिठाई व पारंपरिक उपहार का आदान-प्रदान करते हैं। इस त्यौहार को दक्षिण भारत में कोलू के रूप में भी जाना जाता है।

 

दक्षिण भारत में नवरात्रि के रंग 

 

महिलाएं और अविवाहित लड़कियाँ घर पर लकड़ी की गुड़िया सजाती हैं और घर के कोनों में इनकी स्थापना की जाती है। भक्तों में दृढ़ विश्वास है कि गुड़िया या कोलू, देवी दुर्गा का ही प्रतीक है। शाम को पूरा परिवार देवी के सम्मुख एक साथ बैठता है और एक रंगोली के केंद्र में छोटे दीपक (कुथुविलक्कु "kuthuvilakku" ) को जला कर मंत्र, भक्ति भजन और श्लोकों का पाठ किया जाता है। इस बारे में अधिक जानने के लिये परामर्श करें एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से। परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।

 

दक्षिण भारत में नवरात्रि भोज

 

नवरात्रों के पावन अवसर पर पूरा भारत माँ कि भक्ति में लगा हुआ होता है। पूरे दिन के उपवास के बाद नवरात्री भोज की अलग ही बात होती है। दक्षिण भारत में नवरात्री के दौरान कई स्वादिष्ट भोज बनाए जाते हैं, जिन्हे देखते ही मुँह में पानी भर आता है। नवरात्रों के दौरान बनाया गया भोज मुख्य रूप से सुण्डल होता है जो चने से तैयार होता है। दूध, नारियल और चावल अन्य सामग्रियाँ हैं, जो खास व्यंजन बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं। नवरात्र के भोज बनाने के लिए इस बात का ध्यान रखा जाता है, कि तेल, सरसों के दाने, कढ़ी पत्ता, लाल मिर्च जैसे मसालों का सही मिश्रण इस्तेमाल किया गया हो।

 

स्वादिष्ट सुण्डल भोज तैयार करने के कई अलग-अलग तरीके हैं। सब्ज़ियों से लेकर फल और सूखे मेवें (ड्राय फ्रूट्स) तक, सब सुण्डल बनाने के प्रयोग में आते हैं। मूली, मक्का(कॉर्न), मूँग दाल, चना दाल, पालक आदि कुछ सामग्रियाँ है, जिन्हे दक्षिण भारत में लोग नवरात्रो के दौरान बड़े चाव से खाते हैं।

 

पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा

 

पश्चिम बंगाल में नवरात्रि दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यहाँ दुर्गा पूजा के अवसर को बुराई पर अच्छाई की विजय के जश्न के रूप में मनाया जाता है। यहाँ देवी दुर्गा की विशाल मूर्ति हर जगह बड़े पंडाल में प्रदर्शित की जाती है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है। यहाँ  नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा जो मुख्य रूप से दुर्गा सप्तमी के दिन शुरू की जाती है। शन्धी पूजा, शिन्धोर खेला, कन्या पूजा और महानवमी बंगाली लोगों के लिए नवरात्रि के दौरान मुख्य अनुष्ठान रहते हैं। समारोह के दसवें दिन, मूर्तियों को बाहर रंगीन जुलूस के साथ निकाला जाता है, और फिर किसी नदी या एक तालाब में विसर्जन (immerge) किया जाता है।

 

टैरो रीडर । अंक ज्योतिषी । वास्तु सलाहकार । फेंगशुई एक्सपर्ट । करियर एस्ट्रोलॉजर । लव एस्ट्रोलॉजर । फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजर । 

मैरिज एस्ट्रोलॉजर । मनी एस्ट्रोलॉजर । स्पेशलिस्ट एस्ट्रोलॉजर 

 

नवरात्रि में बंगाल के रंग

 

बंगाल अपनी दुर्गा पूजा के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। नवरात्रों के नौ दिन बंगाली समुदाय के लोग माँ दुर्गा का पंडाल बनाकर माँ की विशाल प्रतिमा को स्थापित करते है। नौवे दिन बंगाली लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा धारण करते हैं। महिलाएँ साड़ियाँ पहनती है और पुरुष धोती-कुर्ता धारण करते है। सभी लोग लाल और सफेद रंग के वस्त्र पहनकर दुर्गा पूजा करते है। बंगाल में दुर्गा पूजा का मतलब है नए फैशन ट्रेंड को प्रदर्शित करना. हर साल नए बदलते फैशन ट्रेंड ध्यान में रख कर ही लोग दुर्गा पूजा के लिए सुसज्जित होते हैं। किशोरों की पोशाकों में फिल्मी फैशन का स्पर्श रहता है। इस साल की दुर्गा पूजा भी अपवाद नहीं है।

 

पूर्वी भारत मे नवरात्रि भोज

 

पंडितजी का कहना है कि बंगाल मे नवरात्रि मुख्य रुप से छठें दिन से शुरु होते हैं। और बंगाली समुदाय के लोग हर दिन के लिए अलग व्यंजन की तैयारी करते हैं जो स्वादिष्ट तो होते ही हैं, साथ ही सेहत के लिहाज़ से भी अच्छे होती हैं।

 

नवरात्रि के खास पकवान 

 

नवरात्रो में आटे, आलू, दाल और दूध से बने पकवान बनाने की परंपरा है। आटे से तैयार लुछी, उबले आलू के दम और दूध से तैयार पायेश जो मेवें से सजाकर परोसा जाता है, बंगालियों के अलावा दुसरे प्रदेश के लोग भी यह व्यंजन चाव से खाते हैं।

 

सबंधित लेख

नवरात्र – चैत्र नवरात्रि में करें मां भगवती की आराधना   |   माँ शैलपुत्री - नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि   |   माँ ब्रह्मचारिणी- नवरात्रे के दूसरे दिन की पूजा विधि

माता चंद्रघंटा - तृतीय माता की पूजन विधि   |   कूष्माण्डा माता- नवरात्रे के चौथे दिन की पूजा   |   स्कंदमाता- नवरात्रि में पांचवें दिन होती है इनकी पूजा

माता कात्यायनी - नवरात्रि के छठे दिन की पूजा   |   माता कालरात्रि - नवरात्रे के सातवें दिन होती है इनकी पूजा   |   माता महागौरी - अष्टमी नवरात्रे की पूजा विधि

माता सिद्धिदात्री - नवरात्रे के अंतिम दिन की पूजा   |   नवरात्रों के अंत में कन्या पूजन देता है शुभ फल   |   जानें नवरात्रों में, करने और ना करने वाले कुछ कार्य

article tag
Hindu Astrology
Navratri
Festival
article tag
Hindu Astrology
Navratri
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!