Maa Kaal Ratri: नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा सातवां स्वरूप माँ कालरात्रि

Tue, Mar 28, 2023
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Tue, Mar 28, 2023
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Maa Kaal Ratri: नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा सातवां स्वरूप माँ कालरात्रि

Maa Kalratri: माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। 

नवरात्र से संबंधित ज्योतिषीय उपाय जानने के लिये एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें।

माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा विधि

  • ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए, फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।

  • दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है।

  • इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाज़ा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं।

  • सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें, इसके पश्चात माता कालरात्रि जी की पूजा कि जाती है।

  • पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है।

  • सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।

  • इस दिन कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित कि जाती है। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है।

यह भी पढ़ें:👉 नवरात्रि में कन्या पूजन देता है शुभ फल

ध्यान

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्तोत्र पाठ

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

आरती देवी कालरात्रि जी की

कालरात्रि जय जय महाकाली।काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।महाचंडी तेरा अवतारा॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।महाकाली है तेरा पसारा॥

खड्ग खप्पर रखने वाली।दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवे।महाकाली माँ जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।कालरात्रि माँ तेरी जय॥

मां कालरात्रि की व्रत कथा

मां कालरात्रि को देवी दुर्गा के सातवें रूप के रूप में पूजा जाता है। इनका स्वरूप अत्यंत भयावह लेकिन कल्याणकारी है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया, तब देवी ने अपने क्रोध से इस रूप को धारण किया। मां कालरात्रि ने शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे असुरों का वध कर धरती पर शांति स्थापित की। रक्तबीज के वध के समय वह हर बूंद से नया रूप धारण कर लेता था, इसलिए मां कालरात्रि ने उसे समाप्त करने के लिए अपना विकराल रूप लिया और उसकी रक्त की बूंदों को अपनी जिह्वा से ग्रहण कर उसका अंत कर दिया।

मां कालरात्रि का रूप डरावना है, उनका रंग काला और बाल बिखरे हुए हैं। गले में नरमुंडों की माला और तीन नेत्रों से अग्नि की लपटें निकलती हैं। वे असुरों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली देवी हैं।

मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों के सभी भय और संकट दूर हो जाते हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से इनकी उपासना करता है, उसे भय से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, और जीवन में शांति का वरदान प्राप्त होता है। इनकी कृपा से भक्तों का मार्ग हमेशा उज्ज्वल और सुरक्षित बना रहता है।

माता के रुप:👉 माँ शैलपुत्री | माँ ब्रह्मचारिणी | माता चंद्रघंटा | कूष्माण्डा माता | माता कात्यायनी | माता शैलपुत्री | माता महागौरी | माता सिद्धिदात्री

article tag
Hindu Astrology
Pooja Performance
Navratri
Festival
article tag
Hindu Astrology
Pooja Performance
Navratri
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!