Maa Kushmanda : नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा चौथा स्वरूप माँ कूष्माण्डा

Tue, Sep 09, 2025
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Tue, Sep 09, 2025
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Maa Kushmanda : नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा चौथा स्वरूप माँ कूष्माण्डा

Maa Kushmanda: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है, जो ब्रह्मांड की रचयिता मानी जाती हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कूष्माण्डा ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए उन्हें यह नाम मिला। उनका निवास सूर्यमंडल के मध्य में है, जिससे वे सूर्य की ऊर्जा को नियंत्रित करती हैं। आठ भुजाओं वाली यह देवी अपने भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद देती हैं। मां कूष्माण्डा की पूजा से भक्तों के दुख, रोग और संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

नवरात्र से संबंधित ज्योतिषीय उपाय जानने के लिये एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें।

चतुर्थी के दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से  सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा विधि

  1. ज्योतिषाचार्य की माने तो सर्वप्रथम कलश और उस में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात माता के साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्माण्डा की पूजा करनी चाहिए। 

  2. पूजा की विधि शुरू करने से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए। 

  3. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां कूष्माण्डा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

  4. इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

यह भी पढ़ें:👉Navratri 2025 Date: शारदीय नवरात्रि 2025 कब है और कब से शुरू होगी?

ध्यान

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

यह भी पढ़ें:👉 Navratri Ghatasthapana 2025: जानें शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना मुहूर्त और तिथियां

स्तोत्र पाठ

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥

आरती देवी कूष्माण्डा जी की

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।शाकम्बरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कूष्माण्डा की व्रत कथा

मां कूष्माण्डा को सृष्टि की आदि शक्ति माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर केवल अंधकार था। उस समय न तो कोई जीव था, न ब्रह्मांड की कोई रचना हुई थी। तब देवी ने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "कुम्हड़ा" यानी "कद्दू" से ब्रह्मांड का निर्माण करना। यह देवी अपनी हंसी मात्र से पूरे ब्रह्मांड को अस्तित्व में ले आईं।

मां कूष्माण्डा का निवास सूर्यमंडल के भीतर है, जहां अन्य कोई भी देवता या शक्ति निवास नहीं कर सकती। इनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें वे विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और अमृत कलश धारण करती हैं। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। मां का वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।

मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के रोग, शोक और भय समाप्त हो जाते हैं। यह देवी अपने भक्तों को दीर्घायु, सुख, समृद्धि और तेजस्विता का आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां की आराधना करने से जीवन में नए सृजन, उन्नति और शांति का मार्ग प्रशस्त होता है।

माता के रुप:👉माँ शैलपुत्री | माँ ब्रह्मचारिणी | माता चंद्रघंटा | स्कंदमाता | माता कात्यायनी | माता कालरात्रि | माता महागौरी | माता सिद्धिदात्री 

article tag
Pooja Performance
Navratri
Festival
article tag
Pooja Performance
Navratri
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!