नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा दूसरा स्वरूप "मां ब्रह्मचारिणी"

Tue, Sep 09, 2025
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Tue, Sep 09, 2025
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा दूसरा स्वरूप "मां ब्रह्मचारिणी"

Maa Brahmacharini: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं, जो तप और संयम की प्रतीक मानी जाती हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है "वह जो ब्रह्म का आचरण करती हैं" यानी कठिन तपस्या करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी ने कठोर तप से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इनकी पूजा से भक्तों को दृढ़ संकल्प, धैर्य और आत्मनियंत्रण की शक्ति मिलती है। नवरात्रि के इस दिन मां की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन की शांति प्राप्त होती है।

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ  ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।

माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।

माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि

  • ज्योतिषाचार्य की माने तो देवी  ब्रह्मचारिणी जी की पूजा में सर्वप्रथम माता की फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें तथा उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को प्रसाद अर्पित करें. प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें. कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें.

  • देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें-

इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु
देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा

  • इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल व कमल बेहद प्रिय होते हैं अत: इन फूलों की माला पहनायें, घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें.

यह भी पढ़ें:👉Navratri 2025 Date: शारदीय नवरात्रि 2025 कब है और कब से शुरू होगी?

मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
“मां ब्रह्मचारिणी का कवच”
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

यह भी पढ़ें:👉 Navratri Ghatasthapana 2025: जानें शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना मुहूर्त और तिथियां

आरती देवी ब्रह्मचारिणी जी की

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा।जिसको जपे सरल संसारा॥

जय गायत्री वेद की माता।जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाए।कोई भी दुख सहने न पाए॥

उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने॥

रद्रक्षा की माला ले कर।जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥

आलस छोड़ करे गुणगाना।माँ तुम उसको सुख पहुँचाना॥

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम॥

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी॥

मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा

मां ब्रह्मचारिणी देवी की कथा उनके कठिन तप और संयम की गाथा है। माना जाता है कि पिछले जन्म में मां ब्रह्मचारिणी, पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती थीं। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। नारद मुनि के सुझाव पर माता पार्वती ने वर्षों तक घोर तप किया। कई वर्षों तक फल-फूल खाकर और फिर केवल जल-हवा पर रहकर तपस्या की। उनकी इस कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें पति रूप में स्वीकार किया।

मां ब्रह्मचारिणी का यह रूप तप और धैर्य की अद्भुत मिसाल है। उनकी पूजा से भक्तों को धैर्य, समर्पण और संयम की प्रेरणा मिलती है।

यहां दी गई जानकारी सामान्य है अपने राशि व कुंडली के अनुसार मां आदिशक्ति की आराधना विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें।

माता के अन्य रूप:👉माँ शैलपुत्रीमाता चंद्रघंटा | कूष्माण्डा माता | स्कंदमाता | माता कात्यायनी | माता कालरात्रि | माता महागौरी | माता सिद्धिदात्री 

article tag
Spirituality
Pooja Performance
Navratri
Festival
article tag
Spirituality
Pooja Performance
Navratri
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!