- Home
- Baby names
- Dhanu
नाम के केवल किसी जातक को पुकारने या बुलाने का माध्यम मात्र नहीं होता अपितु यह जातक की पहचान होता है। इसी से किसी जातक को समाज ने जाना व पहचाना जाता है। आदिकाल से ही नाम का बड़ा महत्व माना जाता रहा है। कहते हैं कि नाम का असर जातक स्वभाव व कर्म पर पड़ता है। इसलिए सनातन हिंदू धर्म में बकायदा इसकी विधि बनायी गई। नामकरण संस्कार स्थापित किया गया। जो प्रत्येक हिंदू धर्म के मानने वालों को करना होता है। इस संस्कार के बिना नवजात को उसका अस्तित्व नहीं मिलता है। इस भाग में हम धनु राशि के जातकों के नाम व नक्षत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
धनु राशि
धनु राशि, राशि चक्र की नौवीं राशि है। जिसका विस्तार 240 से 270 अंश तक माना जाता है। इस राशि के स्वामी गुरू बृहस्पति हैं। जिसके कारण यदि जातकों सही मार्गदर्शन मिल जाए तो ये उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। धनु राशि के जातक का मन एकाग्र होता है परंतु कुछ का नहीं। ये अपने लक्ष्य को लेकर बहुत गंभीर रहते हैं। परंतु इन्हें किसी भी विषय में पर निर्णय लेने में समय लग जाता है। लेकिन एक बार ये फैसला कर लेते हैं तो इनके मन व विचार को बदल पाना नामुमकिन सा हो जाता है। इसके साथ ही जातक के अधिक मित्र बनाते हैं और ये मित्रता को भी निभाते हैं। संबंधियों के लिए इनेक दिल में अधिक हमदर्दी नहीं होती परंतु अंजान के लिए बहुत दयालु व सहयोगी होते हैं।
धनु राशि नक्षत्र
ज्योतिष के अनुसार धनु राशि के लिए तीन नक्षत्रों को निर्धारित किया गया है। इनमें मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा शामिल हैं। नक्षत्र इसके साथ इनके नौ चरण भी हैं। जिनमें जन्मे जातक धनु राशि के माने जाते हैं। इन नक्षत्र चरणों के अनुसार सभी जातकों के स्वभाव गुण अलग- अलग होते हैं। हो सकता है कि कुछ चीजें मेल खाएं परंतु ये एक जैसे नहीं होंगे। दरअसल जातकों पर इन नक्षत्रों के देव स्वामियों का भी प्रभाव पड़ता है। इसी के चलते इनके स्वभाव में भेद होता है तथा इनमें कुछ विशेषताएं भी होती है।
मूल नक्षत्र
इस राशि के स्वामी केतु व देव नैऋत हैं। जिनका जातकों पर सीधा असर रहता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं। इनसे हर कोई प्रभावित हो जाता है। इनका आत्मबल व इच्छाशक्ति मजबूत होती है। किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए ये इसके तह तक जाते हैं। इसके बाद ही किसी निष्कर्ष तक पहुंचते हैं। स्वभाव से विनम्र होते हैं। परंतु इनके अंदर महत्वाकांक्षा भी भरी होती है। एक बार जिस चीज को पाने की ठान ले तो उसको पा कर ही दम लेते हैं।
पूर्वाषाढा नक्षत्र
इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र व देवता जल हैं। पूर्वाषाढा नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत ही साधारण जीवन जीना पसंद करते हैं। ये जातक बुद्धिमान होते हैं। इनके अंदर दिखावटीपन नहीं होता है। दयालु होने के चलते ये लोगों को क्षमा कर देते हैं। इसके साथी ही ये मित्र का मदद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अपने जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर होते हैं। परिश्रमी होने के साथ ही इनके अंदर प्रबंधन क्षमता गजब की होती है।
उत्तराषाढा नक्षत्र
धनु राशि के इस नक्षत्र पर सूर्य देव का स्वामित्व है। बात इस नक्षत्र के देव की करें तो नक्षत्र देव दस विश्वदेवा हैं। उत्तराषाढा में जन्मे जातक स्वभाव से उदार व सरल होते हैं। ये मनमौजी भी होते हैं। लोगों का मन बहलाना इनके प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं। इसके साथ ही ये जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की चाह रखते हैं। सूर्य का प्रभाव इन में देखा जा सकता है। मुख पर अलग तेज होता है। अच्छे परामर्शदाता होते हैं। मसले का हल हमेशा बात के जरिए करने का प्रयास करते हैं।
धनु राशि नाम नक्षत्र वर्ण
इस नक्षत्र में जन्मे सभी जातकों का नाम ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे अक्षर से शुरू होते हैं। इस राशि के जातकों के लिए अच्छे नाम उपलब्ध हैं। परंतु ये आसानी से मिलते नहीं, इसलिए एस्ट्रोयोगी आपकी सहायता हेतु इन अक्षरों के कुछ नाम सुझाएं हैं। जो आपकी जरूर सहायता करेंगे। इसके अलावा इस राशि व नाम नक्षत्र के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात कर सकते हैं। एस्ट्रोलॉजर से बात करने के लिए यहां क्लिक करें।
Name | Meaning | Short List |