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नवजात इस दुनिया में आया नहीं की हम उसके लिए कई सपने संजोते हैं। उसका नाम क्या होगा, उसके क्या क्या खिलौने लेने हैं, वह क्या पहनेगा आदि। हम अपने संतान को दुनिया की हर खुशी देने की सोचते हैं। ऐसे में क्या हम अपने संतान के लिए एक अच्छा नाम नहीं सोचेंगे। जरूर सोचेंगे। हर माता पिता अपने बच्चे के लिए एक शुभ नाम की तलाश में रहते हैं। परंतु बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसके लिए नाम निर्धारित करना जितना सही है। आपने कभी इस पर विचार किया है। नहीं ना? आज हम कन्या राशि में जन्मे जातकों के बारे में बात करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में इस राशि के नक्षत्रों गुण व प्रभाव के आधार पर कुछ नाम वर्ण तय किए गए हैं। इनके आधार पर ही कन्या राशि में जन्मे जातकों का नामकरण किया जाता है। जिसके बारे में हम आगे जानेंगे।
कन्या राशि
यह राशि ज्योतिष राशि चक्र में 150 से 180 अंश तक अपना विस्तार रखती है। राशि के जातकों पर पृथ्वी तत्व का अधिक प्रभाव होता है। इस राशि में जन्म लेने वाले जातक जीवन में सफल होते हैं। साथ ही उच्च पद को प्राप्त करते हैं। कन्या राशि में जन्मे जातक अधिक लोगों से गहरी मित्रता नहीं रखते ये केवल उन्हीं से दोस्ती करते हैं जो इनके ज्ञान व विवेक के बराबर का हो। कन्या राशि के जातकों को गुस्सा भी जल्दी आता है। परंतु ये शांत भी हो जाते हैं। बात इनके कार्यक्षेत्र की करें तो ये जमीन से जुड़े व सेवा के कार्यों में अधिक सफल होते हैं।
कन्या राशि नक्षत्र
इस राशि के स्वामी बुध हैं। वैदिक ज्योतिष में हर राशि के तीन नक्षत्र व नक्षत्र के नौ चरण निर्धारित किए गए हैं। यानी की इन नक्षत्रों में जिसका भी जन्म होगा व कन्या राशि का जातक माना जाएगा। कन्या राशि के अंतर्गत उत्तरा फ़ाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण,चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। इन चरणों में जन्मे जातक अलग स्वभाव व विचार तथा गुण अलग हो सकते हैं। ऐसा जरूरी नहीं की कन्या राशि में जन्मे सारे जातकों का गुण समान हो।
उत्तरा फ़ाल्गुनी नक्षत्र
कन्या राशि के अंतर्गत इस नक्षत्र का केवल तीन चरण आते हैं। नक्षत्र के देव आर्यमान और स्वामी सूर्यदेव हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों में उत्साह बहुत ही संतुलित व कामेच्छा मध्यम रहती है यानी की जातक साथी का चयन बहुत ही सोच समझकर करते हैं। जातक विवेकवान होते हैं। इसके साथ ही जातक में कन्या राशि के सभी गुण पाए जाते हैं।
चित्रा नक्षत्र
कन्या राशि में इस नक्षत्र के पहले दो चरण आते हैं। इस नक्षत्र के स्वामी मंगल व देव विश्वकर्मा हैं। इन चरणों में जन्म लेने वाले जातक शिल्पकला व अन्य विधाओं में अधिक रूचि लेते हैं। इसके साथ ही जातक शौकीन मिज़ाज के होते हैं। मान – सम्मान को अधिक महत्व देते हैं। जातक छोटी से छोटी बातों को लेकर नाराज़ हो सकते हैं।
हस्त नक्षत्र
नक्षत्र स्वामी चंद्र व देव सूर्य हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इसके साथ ही इनकी कल्पना गजब की होती है। जातक कला व संस्कृति व साहित्य में भी रूचि रखते हैं। इसके साथ ही अपने कार्य को लेकर गंभीर होते हैं। प्रेम के मामले में भी ये बड़े ही सावधान रहते हैं। इसके साथ ही ये अपने लिए भी उतने ही प्रेम की आशा रखते हैं जितना अपने साथी को देते हैं।
कन्या राशि नक्षत्र वर्ण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कन्या राशि में जन्में जातकों का नाम ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो से ही शुरू होगा। इनमें से कुछ अक्षर ऐसे हैं जिनके नाम मिलना कठिन हो जाता है। माता पिता इन अक्षरों के अनुसार अच्छे नाम तलाश ने में असहज हो जाते हैं। ऐसे में एस्ट्रोयोगी ने इन अक्षरों के कुछ नाम आपके लिए यहां दिए हैं। जिनसे आप सहायता ले सकते हैं। इसके साथ ही कन्या राशि के बारे में और विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए आप देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से बात कर सकते हैं। अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।