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नाम का हमारे जीवन पर हम जीतना सोचते हैं उससे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इसलिए आदि काल से ही एक बच्चे के कई नाम रखने की परंपरा थी परंतु आज के दौर में लोग अब ज्यादा से ज्यादा दो ही नाम रखते हैं। लेकिन ये नाम भी यदि राशि के हिसाब से हो तो बात ही कुछ और हो जाती है। लेकिन दोनों में से कोई एक नाम राशि के विपरीत हुई तो इससे जातक के ऊपर समस्याओं के काले बदल छा जाते हैं। जिसके चलते जातक के विकास में समस्याएं खड़ी होती हैं। इसी लिए प्राचीन काल से ही नाम रखने की प्रक्रिया में ज्योतिषीय पहलू पर अधिक महत्व दिया गया है। आज भी नवजात का नामकरण उसके राशि व नक्षत्र के आधार पर ही किया जाता है। वैसे इस सेक्शन में आज हम आपके कर्क राशि के नक्षत्र व इसके नाम वर्ण के बारे में जानकारी देने के साथ ही कुछ नाम भी यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। जिससे आपको अपने बच्चे का नाम रखने में सहजता हो।
कर्क राशि
कर्क राशि, राशि चक्र की चौथी राशि है। इसका विस्तार राशि चक्र में 90 से 120 अंश तक है। इस राशि के जातकों को चंद्रमा प्रभावित करता है। जातक जल तत्व द्वारा संचालित होते हैं। इसलिये कर्क राशि जातकों में चंचलता, शीतलता, भावुकता और संवेदनशीलता भरी होती है। इनका स्वभाव मिलनसार होता है। कर्क राशि के जातक हमेशा दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं। ये अपने मित्रों का बहुत सम्मान करते हैं। इन जातकों का समाजिक स्तर भी अच्छा रहता है। मानवीय मूल्यों का आदर करते हैं। इसके साथ ही इनकी स्मरण शक्ति अच्छी रहती है। ये अपने फैसलों को लेकर स्पष्ट रहते हैं।
कर्क राशि नक्षत्र
कर्क राशि के लिए ज्योतिष शास्त्र में पुनर्वसु, पुष्प व अश्लेशा नक्षत्र तय किए गए हैं। कर्क राशि के अंतर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अंतिम चरण, पुष्प नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। यानी कुल नौ नक्षत्र चरण कर्क राशि के अंतर्गत आते हैं। इन चरणों में जन्मे जातक कर्क राशि के माने जाते हैं। इन्हीं के आधार पर उनका नाम रखा जाता है। इसके साथ ही इन नक्षत्रों का जातक के ऊपर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये जातक के स्वभाव व व्यवहार पर अपने शक्ति व गुण के मुताबिक अपना असर छोड़ते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र
इस नक्षत्र की अधिपति देवों की माता अदिति हैं और नक्षत्र के स्वामी गुरू बृहस्पति हैं। कर्क राशि में इस नक्षत्र का अंतिम चरण आता है। इस नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्मे जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। कोई कार्य को शुरू करने के लिए उत्साहित रहते हैं। इसके साथ ही ये अपने हित के लिए किसी अन्य व्यक्ति का अहित नहीं करते हैं। जातकों का स्वभाव सरल व शांत होता है। परंतु इनका मन बदलता रहता है।
पुष्प नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव गुरू बृहस्पति व नक्षत्र के स्वामी शनि हैं। जिनका जातकों पर सीधा असर होता है। शनि के प्रभाव के चलते जातक निष्पक्ष व न्याय प्रिय होते हैं। ये अपने जीवन में अनुशासन का पालन करते हैं। गुरू के प्रभाव के चलते जातकों में धर्म के प्रति लगाव भी रहता है। इसके साथ ही जातक बुद्धिमान होते हैं। इसके अलावा इनेक संतानों की संख्या अधिक हो सकती है। साथ ही इनमें पुरूषतत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है।
अश्लेषा नक्षत्र
कर्क राशि में अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। इस नक्षत्र के देव नाग देव हैं और नक्षत्र के स्वामी बुध हैं। जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में बुद्धि का कारक माना जाता है। इनके प्रभाव से जातक विवेकवान होते हैं। परंतु ये छोटी-छोटी बातों को अपने मन से लगा लेते हैं जिसका असर इनके मन पर पड़ता है। इसके साथ ही जातकों का सामाजिक स्तर भी अच्छा रहता है।
कर्क राशि नक्षत्र वर्ण
कर्क राशि के जातकों के नाम के अक्षर की शुरुआत ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो अक्षरों से होती है। ये अक्षर कर्क राशि के नक्षत्रों के आधार पर तय किया गया है। इसी के आधार पर नवजातकों का नाम रखा जाता है। कर्क राशि के नक्षत्र वर्णों की बात करें तो इनमें कुछ अक्षर मुश्किल हैं। इनके अच्छे नाम तलाशना भी थोड़ी परेशानी भरा है। आपके इस समस्या को एट्रोयोगी ने दूर करने की कोशिश की है। इसलिए हमने यहां कर्क राशि के लिए कुछ नाम सुझाएं। जिनमें से आप अपने बच्चे के लिए अच्छा नाम चुन पाएंगे। अधिक जानकारी के लिए आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात कर सकते हैं और अपने सवालों व समस्याओं का जवाब पा सकते हैं। तो देर किस बात की, अभी बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।