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ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि किसी भी जातक का नाम इसके बारे में बहुत कुछ जानकारी दे देता है। इसलिए नाम का चयन करते समय किसी भी जातक के माता पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे जो भी नाम अपने बच्चे का रख रहे हैं। इसका अर्थ शुभ हो साथ ही नाम उसके राशि के अनुसार भी ठीक हो। अन्यथा बच्चे का नाम ही उसके लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर सकता है। इस समस्या से बचने के लिए भारत में प्रचीनकाल से ही ज्योतिष की सहायता से नवजातकों का नामकरण किया जाता था। यह प्रक्रिया आज भी चली आ रही है। हिंदू धर्म में तो इस क्रिया को संस्कार की संज्ञा प्राप्त है। जो जातक के जन्म के 10 से 12 दिन में पूर्ण कर दिया जाता है। इस सेक्शन में हम मिथुन राशि के नामों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। परंतु इससे पूर्व हम मिथुन राशि व इसके नक्षत्र तथा नक्षत्र वर्ण के बारे में जानेंगे।
मिथुन राशि
ज्योतिषीय राशि चक्र में मिथुन राशि 60 से 90 अंश तक विद्धमान है। मिथुन राशि द्वि-स्वभाव वाली राशि मानी जाती है। इस राशि में जन्मे जातकों पर वायु तत्व की प्रधानता रहती है। मिथुन राशि के जातको का व्यवहार बहुत ही मिलनसार होता है। ये विपरीत लिंगी के प्रति आमतौर पर आकर्षित हो जाते है कहें तो ये भी इनके व्यक्तित्व का एक हिस्सा है। मिथुन जातकों में मौजूद द्वि-स्वभाव इनके व्यक्तित्व को बहुमुखी बनाता है। मसलन ये एक ही समय में व्यावहारिक होने के साथ साथ कलात्मक और रचनात्मक भी हो सकते हैं। इस राशि के जातक विवेकशील कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं। मिथुन जातक जिज्ञासु तो होते ही हैं साथ ही अपने बुद्धि बल से चतुर व चपल बन जाते हैं।
मिथुन राशि के नक्षत्र
ज्योतिष के अनुसार मिथुन राशि के तीन नक्षत्र माने जाते हैं। परंतु इस राशि के नौ नक्षत्र चरणों को तय किया गया है। ये सभी राशि ग्रहों के आधार पर निर्धारित किए गए हैं। मिथुन राशि के नक्षत्रों में मृगशीर्ष, आर्द्रा व पुनर्वसु नक्षत्र शामिल हैं। इन नक्षत्रों का इस राशि के जातकों पर सीधा असर पड़ता है। जिसके चलते जातक अपने नक्षत्र के गुण व स्वभाव के अनुसार व्यवहार करते हैं। नक्षत्रों के प्रभाव के चलते कुछ जातक गुस्से वाले तो वहीं कुछ शांत मन वाले व क्षमा करने वाले हो सकते हैं। ये बस नक्षत्र के चरणों के आधार पर अलग हो सकता है।
मृगशीर्ष नक्षत्र
ज्योतिष के मुताबिक मृगशीर्ष नक्षत्र के देव चंद्र देव हैं और नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं। इन दोनों का ही प्रभाव जातकों के हर कार्य व व्यवहार पर पड़ता है। मंगल के प्रभाव से मिथुन जातक थोड़े गुस्सैल व कठोर हो सकते हैं। तो वहीं चंद्रमा के प्रभाव के चलते इनका मन स्थिर भी हो सकता है। इसके साथ ही मृगशीर्ष नक्षत्र में जन्मे जातक अपने संबंधों के प्रति बहुत ही गंभीर होते हैं। इसके साथ ही ये अपने कार्य के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। एक बार जो काम अपने हाथ में लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। ये बड़े मेहनती होते है।
आर्द्रा नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव रूद्र हैं जिने हिंदू धर्म में लोग भगवान शिव के रूप में भी जानते हैं। बात इस नक्षत्र के स्वामी की करें तो वे चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक स्वभाव से शांत व बहुत ही परिश्रमी होते हैं। परंतु एक बार गुस्सा आ जाए तो सामने वाली की खैर नहीं। इसके साथ ही इनके अंदर कुटनीति व राजनीति के गुण विद्धमान होते हैं। ये अपने शत्रुओं को सबक सिखाने से भी पीछे नहीं हटते हैं। इसके साथ ही ये दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। करियर को लेकर गंभीर रहते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र
इस नक्षत्र की अधिपति की बात करें तो वे देवों की माता अदिति हैं और नक्षत्र स्वामी गुरू बृहस्पति हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। ये अपने हित के लिए किसी का अहित नहीं करते हैं। इनके अंदर राजनीति के गुण होते हैं। साथ ही इनका स्वभाव सरल व शांत होता है। परंतु ये थोड़े स्वार्थी भी होते हैं।
मिथुन राशि नक्षत्र वर्ण
मिथुन राशि के जातकों के नाम के अक्षर की शुरुआत - का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह जैसे अक्षरों से होती है। ये अक्षर इनके मिथुन राशि राशि के नक्षत्रों के आधार पर तय की गई है। यदि आपको नाम तलाशने में परेशानी हो रही है तो यहां उपलब्ध कोई भी नाम आप अपने बच्चे को दे सकते हैं। यहां मौजूद सभी नाम ज्योतिषीय मानकों को ध्यान में रखकर दिया गया है। इसके अलावा आप कोई जानकारी चाहते हैं तो अभी परामर्श करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।