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राशि का पता तो बाद में चलता है परंतु हम अपने बच्चे का नाम पहले से ही तय करना शुरू कर देते हैं। घर में जैसे ही यह खुशी जाहिर होती है तैसे ही परिवार का हर सदस्य अपने इच्छानुसा आने वाले मेहमान का नाम तय करने लगता है। लेकिन अंत में उसका क्या नाम होगा। यह तो उसके राशि नक्षत्र के अक्षरों से पता चलता है। जो राशि के नक्षत्रों के अनुसार कुछ भी हो सकता है। परंतु इस लेख में हम केवल तुला राशि के नक्षत्र कौन से हैं? व राशि नक्षत्र नाम वर्ण क्या हैं इसके बारे में बात करेंगे।
तुला राशि
तुला राशि वैदिक राशि चक्र की सातवीं राशि है। इसका विस्तार राशि चक्र में 180 से 210 अंश तक माना जाता है। राशि के स्वामी शुक्र हैं। इस राशि में जन्मे जातकों पर वायु तत्व की प्रधानता रहती है। इस राशि में पैदा हुए जातक जीवन में सफल रहते हैं। खासकर तुला वाले लोग कला के क्षेत्र में अधिक नाम कमाते हैं। लेखन भी इनके लिए अच्छा क्षेत्र माना जाता है। तुला जातक स्वभाव से मिलनसार होते हैं। जल्दी किसी बात पर उलझते नहीं हैं। हमेशा बात से विवाद को हल करने की कोशिश करते हैं। परंतु एक बार ये जो ठान लें उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। इसके साथ ही जातकों का सामाजिक स्तर काफी अच्छा होता है। बड़े ही प्रेमी किस्म के होते हैं।
तुला राशि नक्षत्र
तुला राशि के लिए तीन नक्षत्र व नौ नक्षत्र चरणों को निर्धारित किया गया है। तुला राशि के अंतर्गत विशाखा नक्षत्र के तीन चरण, चित्रा नक्षत्र के आख़िरी दो चरण तथा स्वाति नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। इन चरणों में जन्म लेने वाले जातक तुला राशि के माने जाते हैं। इन जातकों का स्वभाव गुण इनके राशि देव व स्वामी के प्रभाव के चलते भिन्न हो सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है।
चित्रा नक्षत्र
इस नक्षत्र के स्वामी मंगल तथा देव विश्वकर्मा हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक किसी भी विषय पर अधिक समय तक ध्यान नहीं रख पाते हैं। ये एक से ज्यादा विषय में रुचि रखते हैं। इसके साथ ही ये कला के प्रेमी होते हैं। खाने – पीने घुमने फिरने का इन्हें बहुत शौक होता है। विवेकवान होते हैं लेकिन अधिक मानसिक मेहनत नहीं करना चाहते। परंतु ये जीवन में सफल रहते हैं।
स्वाति नक्षत्र
स्वाति नक्षत्र के स्वामी राहु हैं और देव वायु। जिनका जातकों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक आपने लक्ष्य को निर्धारित करके आगे बढ़ते हैं। साथ ही इनका ध्यान व मन एकाग्र रहता है। जीवन में काफी सफल होते हैं। इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है। ज्यादातर विपरीत लिंग के लोग इनके मित्र बनते हैं। इसके साथ ही इनकी विचार दार्शनिक होते हैं।
विशाखा नक्षत्र
इस नक्षत्र के स्वामी गुरू हैं तथा देव इंद्र व अग्नी हैं। जिनका जातकों पर सीधा असर देखने को मिलता है। जातक विवेकवान होते हैं। शोध के क्षेत्र में अधिक सफलता हासिल करते हैं। इसके साथ ही ये कम शैकिन होते हैं। अधिक महत्वाकांक्षी भी होते हैं। परंतु एकाग्र नहीं होते हैं। जिसके चलते मन में नकारात्मक विचार जल्दी आ जाते हैं। मित्र मंडली में अधिक लोगों को शामिल करते हैं। सौदर्य के प्रेमी होते है। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होते हैं। परंतु इसका लाभ नहीं उठा पाते।
तुला राशि नक्षत्र नाम वर्ण
इस राशि के नामों की बात करें तो इस राशि के नाम रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते अक्षरों से शुरू होते हैं। इनके अलावा किसी और अक्षर से इस राशि के लोगों का नामकरण नहीं किया जाता है। वैदिक ज्योतिष ने नक्षत्रों के हिसाब से इन अक्षरों को निर्धारित किया है। वैसे तो इस राशि के लोगों के लिए नाम तलाशना कुछ खास समस्या का विषय नहीं है लेकिन एक योग्य व शुभ नाम ढूँढना भी जरूरी है। इसलिए हम यहां तुला जातकों के लिए कुछ नाम सुझा रहे हैं। तुला राशि नक्षत्रों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप एस्ट्रोयोगी पर देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से बात कर सकते हैं। एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात करने के लिए यहां क्लिक करें।