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सनातन हिंदू धर्म में किसी भी जातक का नाम रखने से पहले उसके राशि व नक्षत्र के बारे में पता लगाया जाता है। इसके बाद उसका नामकरण किया जाता है। परंतु यह इतना आवश्यक क्यों है? क्या आपने के कभी इस बात पर ध्यान दिया है? इसके महत्व को इसी बात से जान सकते हैं कि नामकरण बच्चे के जन्म के 10 स 12 दिन बाद ही कर दिया जाता है। जिससे बच्चे को उसका संबोधन नाम मिल सके। इस भाग में हम वृष राशि में जन्मे जातकों के लिए कुछ शुभ व अच्छे लोकप्रिय नाम दे रहे हैं। परंतु इससे पहले हम वृषभ राशि के साथ ही इसके नक्षत्र व नाम वर्ण के बारे में जानेंगे।
वृषभ राशि –
वृषभ राशि, राशि चक्र की दूरी राशि है। यह राशि चक्र में 30 अंश से लेकर 60 अंश तक रहती है। वृष राशि के जातक पृथ्वी तत्व से संचालित होते हैं। इस राशि के स्वामी शुक्र हैं। वृषभ राशि में जन्मे जातक स्वभाव से उदार होते हैं परंतु इन्हें यदि गुस्सा आ जाए तो ये कुछ भी कर सकते हैं। जातक समाज के साथ कदम से कदम मिला कर चलते हैं। इसके साथ ही इनके अंदर धन संचय करने की प्रवृत्ति होती है। इसके साथ ही इस राशि के जातक तेज दिमाग और परिश्रमी भी होते हैं। इसके साथ ही इनका झुकार साजो-सज्जा की ओर अधिक रहता है।
वृषभ राशि के नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र में सभी बारह राशियों के लिए तीन नक्षत्र निर्धारित किए हैं। इन नक्षत्रों का निर्धारण इनके ग्रहों के हिसाब के किया गया है। जिसका अर्थ है कि कोई भी नक्षत्र किसी भी राशि का हो सकता है। प्रत्येक राशि के लिए नक्षत्र के नौ चरण तय किए गए हैं। इन चरणों का भी निर्धारण इनके ग्रहों के ही आधार पर किया गया है। वृषभ राशि के अंतर्गत कृतिका, रोहणी तथा मृगशीर्ष नक्षत्र आते हैं। बात इनके चरणों की करें तो वृष के अंतर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशीर्ष के प्रथम दो चरण आते हैं।
कृतिका नक्षत्र
कृतिका नक्षत्र नक्षत्र के देव अग्नि देव को माना जाता है। वो वहीं इस नक्षत्र के स्वामी सूर्यदेव हैं। जिसके कारण इस नक्षत्र के जातको में एक गजब का तेज देखने को मिलता है। इसके साथ ही ये आकर्षक व्यक्तित्व के धनी भी होते हैं। इसके अलावा इनके भीतर सृजना करने व संशोधन करने की भी प्रवृत्ति पायी जाती है यानी के ये किसी को बनाने व बनी हुई चीजों में सुधारने करने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसके साथ ही जातक अति महत्वाकांक्षी भी होते हैं। इनके क्रोध के साथ ही उदारता भी विद्धमान होती है। जातकों में सत्ता भोग ने की चाह भी रहती है।
रोहणी नक्षत्र
ज्योतिष के अनुसार रोहणा नक्षत्र के देव ब्रह्मा हैं और नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है। इस राशि में जन्में जातकों पर इनका सीधा प्रभाव होता है। जिसके चलते जातक बुद्धिमान व चंलल होते हैं। इसके साथ ही इस नक्षत्र में जन्मा जातक सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व का होता है। इसके साथ ही जातक कल्पनाशील व लगलशील होते हैं। पंरतु जातकों में स्वार्थ की भावना भी विद्धमान रहती है। ये सबसे पहले स्वयं का लाभ देखते हैं। इसके अलावा जातक यदि गुस्सा हैं भी तो इनके चेहरे को देखकर यह नहीं लगता की ये गुस्से में हैं।
मृगशीर्ष नक्षत्र
मृगशीर्ष नक्षत्र के देव चंद्र देव हैं तो वहीं इस नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं। इनका प्रभाव जातक के हर पहलू पर पड़ता है। मंगल के चलते जातक थोड़े गुस्सैल व हठी होते हैं। चंद्रमा का प्रभाव इनके मन पर होता है। इसके साथ ही मृगशीर्ष नक्षत्र में जन्मे जातक अपने कार्य के प्रति बहुत ही गंभीर होते हैं। जो काम अपने हाथ में लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। इसके साथ ही ये कम स्वार्थी होते हैं। अपने से पहले दूसरों का भला सोचते हैं।
वृषभ राशि नक्षत्र वर्ण
वृषराशि के नक्षत्र वर्णों की बात करें तो इनमें ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो अक्षर शामिल हैं। जिसे ज्योतिष शास्त्र में राशि नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है। वृष राशि में जन्मे जातकों का नाम इन्हीं अक्षरों के आधार पर रखा जाता है। चूंकि इनमें कुछ ऐसे अक्षर भी मौजूद हैं जिनके नाम मिलना थोड़ा मुश्किल है इसलिए हम आपके लिए इन नाम वर्णों कुछ शुभ व सार्थक नाम यहां दे रहे हैं। जिनसे आप अपने बच्चे के लिए अपने मन मुताबिक नाम ढूंढ पाएंगे।
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