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इस भाग में हम आपसे वृश्चिक राशि में जन्मे जातकों के राशि नक्षत्र, उनके गुण के साथ ही नक्षत्र नाम वर्ण के बारे में विस्तार से बात करेंगें। क्योंकि जातक किसी भी राशि का हो लेकिन उसके जन्म से पहले से ही माता- पिता उसके नाम को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। बच्चे का जन्म हुआ नहीं की उसके नाम के बारे में विचार करने लगते हैं। केवल माता पिता ही नहीं अपितु बच्चे की मौसी, बुआ, दादा दादी से लेकर नाना नानी तक इस संबंध में अनंदित रहते हैं। तो आइये जानते हैं वृश्चिक राशि, नाम नक्षत्र वर्णों के बारे में-
वृश्चिक राशि
210 से 240 अंश तक का विस्तार वृश्चिक राशि राशि चक्र में रखती है। यह राशि चक्र की आठवीं राशि है। इस राशि के स्वामी मंगल है। इस राशि में जन्मे जातक जल तत्व से संचालित होते हैं। इस राशि में जन्में जातक बुद्धिमान होते हैं। साथ ही इनमें स्वार्थी पना भी पाया जाता है। अपने हित के लिए ये दूसरे को नुकसान पहुंचा सकता है। परंतु ये उदार भी होते हैं। इसके साथ ही इनके अंदर धर्म के प्रति बहुत ही सम्मान व आस्था होती है। ये अपना धन धार्मिक कार्यक्रमों में अधिक व्यतीत करते हैं। प्रेम संबंध भी अच्छे रहते हैं। विपरीत लिंग के बीच आकर्षण के केंद्र बनते हैं।
वृश्चिक राशि नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार वृश्चिक राशि के लिए तीन नक्षत्रों को निर्धारित किया गया है। जिसमें विशाखा, अनुराधा तथा जेष्ठा नक्षत्र आते हैं। इसके साथ ही इसमें नौ नक्षत्र चरण भी शामिल हैं। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक वृश्चिक राशि के जातक माने जाते हैं। इसके साथ ही इन नक्षत्रों में जन्में जातकों का स्वभाव व प्रवृत्ति नक्षत्र के गुण व स्वभाव के आधार पर भिन्न होते हैं। जिसके बारे में हम आगे जानेंगे।
विशाखा नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव अग्नी व देवराज इंद्र और नक्षत्र स्वामी देव गुरू बृहस्पति हैं। जिनका जातकों पर सीधा असर पड़ता है। जातक विवेकवान होते हैं। परंतु अग्नी के स्वभाव चलते ये जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं। इनके अंदर उत्साह कूट कूट कर भरा होता है। इसके साथ ही ये कम शैकिन और अधिक महत्वाकांक्षी होते हैं। अपने हित के सामने ये किसी की नहीं सोचते हैं। इसके अलावा ये धार्मिक प्रवृत्ति के भी होते हैं। धर्म कर्म में विश्वास रखते हैं। सुंदरता के प्रेमी होते हैं।
अनुराधा नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव मित्र व स्वामी शनि हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक जीवन में बहुत सफल होते हैं। सफल होने के बाद भी इनके स्वभाव में बदलाव नहीं होता है। ये मिलनासार प्रवृत्ति के होते हैं। इसके साथ ही ये धार्मिक, संयमी व शांत होते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी ये विचलित नहीं होते । विवेक का उपयोग कर समस्या का समाधान करते हैं। इसके साथ ही न्याय प्रिय व अनुशासन मानने वाले होते हैं। इनकी सामाजित स्तर अच्छा होता है।
ज्येष्ठा नक्षत्र
इस नक्षत्र के स्वामी बुध हैं तथा देव इद्र हैं। जिनका प्रभाव इस नक्षत्र में जन्मे जातकों पर रहता है। बुध के प्रभाव के चलते जातक विवेकवान होते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता हासिल करते हैं। इसके साथ ही ये धार्मिक भी होते हैं। नई चीजों को लेकर उत्सुक रहते हैं। परंतु ये निराश भी जल्दी होते हैं। साथ ही जिस कार्य में इनका लाभ होता है उसे अधिक प्रथमिकता देते हैं। इसके साथ ही विवादों में फंसते रहते हैं। जिसके चलते इन्हें कष्टों का सामना करना पड़ता है।
वृश्चिक राशि नक्षत्र नाम वर्ण
वृश्चिक राशि में जन्मे लोगों का नामकरण संस्कार इन्हीं वर्ण अक्षरों के आधार पर किया जाता है यानी की वृश्चिक राशि में जन्म लेने वाले जातकों का नाम तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू से शुरू होगा। यह वर्ण इनके नक्षत्रों के अनुसार तय किया गया है। वैसे तो इस राशि के लोगों का नाम आसानी से मिल जाता है। फिर भी हम यहां आपको कुछ शुभ व फलदायी नाम सुझा रहे हैं। जिनकी सहायता से आप अपने संतान का नाम रख उसे नई पहचान देने में सहज होंगे। इसके अतिरिक्त इस संबंध में अधिक जानकारी पान के लिए आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात कर सकते हैं। अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।