प्राचीन वैदिक काल में प्रचलित 16 संस्कारों में से कुछ संस्कारों को आज भी मनुष्य अपने जीवन में अनुसरण कर रहा है। उनमें एक संस्कार है, नामकरण संस्कार। इस संस्कार के अंर्तगत जातक का नाम चन्द्र राशि के नक्षत्र वर्ण के आधार पर किया जाता है। आगे हम चंद्र राशि क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है, इसे जानना क्यों आवश्यक है? और मानव जीवन में इसकी क्या उपयोगिता है? इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानेंगे।
चन्द्र राशि को वैदिक ज्योतिष में सूर्य राशि की तुलना में विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि इसका निर्धारण जातक के जन्म समय व स्थान के अनुसार बनने वाली जन्मकुंडली से होता है। जातक के जन्म समय व स्थान के अनुसार लग्न कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वह राशि चन्द्र राशि होती है और इसे जन्म राशि के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार चन्द्र राशि से जातक की प्रवृत्तियों के बारे में जाना जा सकता है। न सिर्फ प्रवृतियों के बारे में बल्कि जातक की शारीरिक बनावट, रुप रंग आदि के बारे में भी चंद्र राशि से पूर्वानुमान लगाये जाते हैं।
इसकी गणना कैसे की जाती है?चंद्र राशि की गणना आपके जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति से होती है। जैसा कि पहले हम बता भी चुके हैं। जन्मकुंडली में चंद्रमा जिस राशि में स्थिति होता है वही जातक की चंद्र राशि बनती है। चंद्रमा का महत्व राशि निर्धारण के लिये है। जब चंद्र राशि का निर्धारण हो जाता है तो उसके पश्चात उक्त राशि के स्वामी, जन्मकुंडली की लग्न राशि व उसके स्वामी एवं अन्य ग्रहों की दशा, दिशा व गोचर के अनुसार ही जातक के भविष्यफल के बारे में घोषणा की जाती है। चंद्रमा एक राशि में लगभग ढ़ाई दिन रहते हैं ऐसे में जातक की चंद्र राशि ज्ञात करने के लिये जन्म समय का होना बहुत आवश्यक है। कई बार जन्मतिथि से भी चंद्र राशि ज्ञात की जा सकती है लेकिन यह चंद्रमा की डिग्री पर निर्भर करता है यदि चंद्रमा उक्त तिथि को आरंभिक अवस्था या अंतिम अवस्था का हो तो निश्चित समय के अभाव में चंद्र राशि भी निश्चित नहीं कही जा सकती लेकिन यदि चंद्रमा गोचर में थोड़ा आगे बढ़ा हुआ है तो उससे जातक की चंद्र राशि पता लग जाती है। लेकिन सटीक भविष्यवाणी के लिये ज्योतिषाचार्य चंद्र राशि के साथ-साथ जन्म लग्न की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
चन्द्र राशि का ज्ञान क्यों है महत्वपूर्ण?जैसा कि शुरूआत में ही बताया गया है, किसी जातक के राशिफल की गणना या अनुमान लगाने के लिए चन्द्र राशि को उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा, वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक जातक के व्यवहार को निर्धारित करने में चन्द्र राशि एक अहम भूमिका निभाती है। यह जातक के भावनात्मक विकास को परिभाषित करती है और उसके व्यक्तित्व के अनिच्छित पक्ष को दर्शाती है। चन्द्र राशि जातक के जन्म के समय पर आधारित होती है जो जातक के इंद्रियों को प्रभावित करता है या निर्धारित करता है कि उसकी इंद्रियां कैसे कार्य करेंगी। मान लो किसी क जातक की चंद्र राशि मेष है और ख जातक की सूर्य राशि मेष है तो ऐसे में राशि समान होते हुए भी दोनों जातकों के स्वभाव, शारीरिक बनावट आदि में भिन्नता मिलती है। ऐसे जातक पूरी तरह से एक-दूसरे से अलग व्यक्तित्व वाले हो सकते हैं।
चन्द्र राशि के उपयोगयूं तो ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह हैं। लेकिन व्यक्ति की जन्म राशि के स्वामी ग्रह का निर्धारण चंद्र की स्थिति पर निर्भर करता है। यानि की जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस घर में, जिस राशि में स्थित होगा, उस घर या उस राशि के स्वामी जातक के राशि स्वामी माने जाते हैं। जैसे किसी क जातक की चंद्र राशि मेष है तो उसके राशि स्वामी मंगल होंगे। वैदिक ज्योतिष में चंद्र राशि के अनुसार हुए भविष्यकथन को अधिक सटीक व मान्य माना जाता है। विवाह संस्कार के लिये बालक व बालिका की जन्मकुंडलियों का मिलान किया जाता है। चंद्रमा चूंकि सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला ग्रह है ऐसे में इसका प्रभाव मानव जगत पर दैनिक रूप से भी माना जाता है। इस तरह से चंद्रमा का महत्व वैदिक ज्योतिष में बहुत अधिक बढ़ जाता है।
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