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पाश्चात्य ज्योतिष में जातक के सूर्य राशि के मुताबिक उसके भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यहां में हम सूर्य राशि क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है, इसे जानना क्यों आवश्यक है? और पाश्चात्य ज्योतिष में इसकी क्या उपयोगिता है? इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानेंगे।
पाश्चात्य ज्योतिष में सूर्य राशि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान समय में दैनिक राशिफल से लेकर सेलिब्रिटी तक अपना राशिफल सूर्य राशि के अनुसार देखते हैं। हालांकि वैदिक ज्योतिष के अनुसार भविष्यफल की सटीकता के लिये चंद्र राशि को अधिक भरोसेमंद माना जाता है। फिर भी वर्तमान में सूर्य राशि के आधार पर ज्योतिष का चलन काफी बढ़ रहा है। राशि चक्र की राशियां तो वही 12 हैं लेकिन इनमें सूर्य और चंद्र राशि का मुख्य भेद इनका निर्धारण ही है। चंद्र राशि जहां जातक की जन्मतिथि, जन्म समय व जन्म स्थान से निर्धारित होती है वहीं सूर्य राशि एक विषेश अवधि जो लगभग एक माह के करीब होती है मान्यता है कि सूर्य इस दौरान लगभग उक्त राशि में रहते हैं जिससे उन्हें सूर्य राशि कहा जाता है।
सूर्य राशि की गणनासूर्य राशि की गणना के लिये आपको अपनी जन्मतिथि का पता होना चाहिए। सभी राशियों के लिये एक निश्चित अवधि तय है। इस अवधि में जो भी जातक जन्म लेंगें उनकी सूर्य राशि उक्त निर्धारित राशि होगी। सूर्य चूंकि एक राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं ऐसे में सभी 12 राशियों में सूर्य के समय को विभाजित करते हुए सूर्य के भ्रमण की मानक तिथियां निर्धारित की गई हैं। लेकिन विद्वानों के मतानुसार जातक की सूर्य राशि वही होती है जिसमें जातक के जन्म के समय सूर्य उपस्थित रहता है। ऐसे में जन्मतिथि से ही सूर्य राशि का पता लग जाता है। लेकिन सूर्य यदि संक्रमण की स्थिति में हो तो सूर्य राशि का पता करने में जातक को दुविधा का सामना भी करना पड़ सकता है।
सूर्य राशि क्यों है महत्वपूर्ण?जैसा कि शुरूआत में ही बताया गया है, पाश्चात्य ज्योतिष में किसी जातक के राशिफल की गणना या अनुमान लगाने के लिए सूर्य राशि का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार एक जातक के भविष्य को निर्धारित करने में सूर्य राशि एक अहम भूमिका निभाती है। यह जातक के समग्र विकास को परिभाषित करती है और उसके व्यक्तित्व व स्वभाव के कई पहलुओं को दर्शाती है। सूर्य राशि जातक के जन्म के दिन पर आधारित होती है जो उसके भौतिक विकास को प्रभावित करती है या निर्धारित करती है। समान राशि होने पर भी सूर्य और चंद्र राशि वाले दो अलग-अलग जातकों के स्वभाव में समानता का होना आवश्यक नहीं है। वैदिक व पाश्चात्य ज्योतिष में माना जाता है कि मस्तक के मध्य में भगवान सूर्य का स्थान है। ज्योतिष के अनुसार मस्तिष्क पर सूर्य देव का अधिकार होता है और चिंतन व मनन, इन सभी का आधार सूर्य ग्रह को माना गया है।
सूर्य राशि का उपयोगयह ज्ञात है कि पाश्चात्य ज्योतिष सूर्य राशि पर आधारित है। इस पद्धति में सूर्य नक्षत्रों और सूर्य अभ्रक को मुख्य कारक के रूप में लिया जाता है। पाश्चात्य ज्योतिष में जातक के व्यवहार, स्वभाव, प्रवृत्ति, गुण, स्वास्थ्य और सफलता का आकलन सूर्य राशि के आधार पर किया जाता है। सूर्य जातक को ताकत, आत्मविश्वास, आत्मबल देने वाला ग्रह है जो उन्हें उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता करता है। ज्योतिष में सूर्य को प्रसिद्धि, धन और भाग्य का कारक माना जाता है।
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